
Bilaspur NewsBusinessChhattisgarhJob/VacancyLifestyleMadhya Pradesh NewsRajasthan NewsReligion
CG NEWS:”सिटिंग एमएलए” को टिकट….. तो “सिटिंग मेयर” का दावा कितना मजबूत….. ?
CG NEWS:बिलासपुर। आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बिलासपुर नगर निगम मेयर का पद ओबीासी के लिए रिजर्व किया गया है ।अब इस पद को लेकर हलचल शुरू हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस में कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं । कांग्रेस शिविर में यह सवाल तैर रहा है कि क्या मौजूदा महापौर रामशरण यादव को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा जाएगा। इससे जुड़ा एक सवाल यह भी है कि जब सिटिंग एमएलए को टिकट दिए जाने का रिवाज रहा है तो क्या सिटिंग मेयर को भी टिकट दी जाएगी। ऐसी स्थिति में बीजेपी में भी पूर्व महापौर किशोर राय का नाम भी चर्चा में आ रहा है।
बिलासपुर नगर निगम मेयर का पद पिछली बार अनारक्षित था। यानी इस पद पर कोई भी उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता था। हालांकि 2019 में हुए पिछले नगर निगम चुनाव की प्रक्रिया कुछ अलग थी। उस समय बिलासपुर नगर निगम के वार्डो से निर्वाचित होकर आए पार्षद ही अपने बीच से किसी पार्षद को मेयर चुन सकते थे। उस समय बिलासपुर नगर निगम महापौर का पद सामान्य था और ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग से पार्षद चुनकर आए रामशरण यादव को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया। पार्षदों के बहुमत के आधार पर रामशरण यादव महापौर चुन लिए गए थे। इसके पहले जब महापौर पद पर मतदाताओं के सीधे वोट से चुनाव होता था, उस समय भी जब बिलासपुर महापौर का पद ओबीसी के लिए रिजर्व हुआ, तब भी एक बार रामशरण यादव को महापौर पद के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था। उस चुनाव में रामशरण यादव को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 2019 के चुनाव में वे पार्षदों के बहुमत के आधार पर महापौर्चन लिए गए थे।
इस बार के चुनाव में बिलासपुर महापौर का पद एक बार फिर अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी के लिए रिजर्व किया गया है। ऐसे में महापौर पद के लिए टिकट के दावेदारों के बीच दौड़ शुरू हो गई है ।सवाल यह उठ रहा है कि क्या कांग्रेस एक बार फिर महापौर पद पर रामशरण यादव को अपना उम्मीदवार बनाएगी। जो पिछले 5 साल बिलासपुर नगर निगम के महापौर रहे हैं। इस सिलसिले में दिलचस्प सवाल यह है कि क्या जिस तरह सिटिंग एमएलए को फिर से टिकट देने की परंपरा रही है….. क्या इस परंपरा के अनुसार सिटिंग मेयर रामशरण यादव को कांग्रेस फिर टिकट देगी। हालांकि बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में बीआर यादव ( कांग्रेस ), मूलचंद खंडेलवाल ( बीजेपी ), अमर अग्रवाल ( बीजेपी ) और शैलेश पांडे ( कांग्रेस ) भी उदाहरण रहे हैं कि एमएलए रहते हुए पार्टी ने उन्हें फिर से विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारा था ।
जहां तक नगर निगम का सवाल है यहां कोई भी महापौर लगातार दो बार रिपीट नहीं हो सका है। 80 -90 के दशक में जब 1 साल के लिए महापौर का कार्यकाल होता था। उस समय ठाकुर बलराम सिंह दो बार महापौर बने थे। लेकिन लगातार इस पद पर निर्वाचित नहीं हुए थे । बीच के कार्यकाल में श्री कुमार अग्रवाल महापौर रहे। लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी रामशरण यादव को अपना उम्मीदवार बनाती है तो वे महापौर रहते चुनाव में जनता के बीच जाएंगे। जिससे उनके पिछले 5 साल के कार्यकाल का मूल्यांकन हो सकेगा।
दूसरी तरफ बीजेपी में भी कुछ वैसी ही स्थिति है। हालांकि पिछले 5 साल के कार्यकाल में बीजेपी का महापौर नहीं था। लेकिन उसके ठीक पहले बीजेपी के किशोर राय जनता के बीच से प्रत्यक्ष मतदान के जरिए महापौर निर्वाचित हुए थे। उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रत्यक्ष मतदान से महापौर चुनने की प्रक्रिया बदल गई थी। लिहाजा उनके चुनाव मैदान में उतारने का सवाल ही नहीं था। राजनीतिक क्षेत्र में यह चर्चा भी है कि बीजेपी की ओर से किशोर राय का पिछला कार्यकाल रहा है और पार्टी संगठन में उन्हें सिटिंग महापौर के रूप में ही देखा जाता है। किशोर राय 36000 से अधिक वोट से जीत कर महापौर बने थे । वे ओबीसी वर्ग से आते हैं। महापौर के रूप में उनका कार्यकाल निर्विवाद भी रहा है और अपनी पार्टी में सभी को साथ लेकर चलने में उनकी अहम भूमिका रही है। पार्टी संगठन में भारतीय जनता युवा मोर्चा के वार्ड अध्यक्ष से लेकर जिला और प्रदेश संगठन में भी काम करने का लंबा अनुभव है। ऐसे में 5 साल के ब्रेक के साथ सिटिंग मेयर मानते हुए अगर भाजपा उनके नाम पर विचार करेगी तो किशोर राय को एक बार फिर जनता के बीच आने का मौका मिल सकता है।
इस राजनीतिक समीकरण के हिसाब से अगर बीजेपी – कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम तय होते हैं तो रामशरण यादव और किशोर राय एक बार फ़िर से मेयर पद के लिए आमने -सामने हो सकते हैं। बिलासपुर नगर निगम मेयर का पद ओबीसी के लिए रिजर्व होने के बाद हलचल तेज हुई है। प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के बीच दावेदारों की होड़ और कयासबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। लेकिन इस मामले में किस तरह के समीकरण बनेंगे और किसे टिकट मिलेगी यह देखना अब दिलचस्प होगा।