BLO ट्रेनिंग पूरी, अब 72 हजार बूथों पर एसआईआर के जरिए घर-घर जाएगा टीम

भोपाल 
मध्य प्रदेश में मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बिहार की तर्ज पर आज से सिस्टमैटिक इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट (SIR) का काम शुरू हो रहा है. इसके लिए ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 65 हजार बूथ लेवल अधिकारी (BLO) प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के 72 हजार बूथों पर घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे. इस अभियान में हर वोटर को 2003 के एसआईआर के आधार पर मिली जानकारी से फिर से वेरिफाई किया जाएगा.

MP में आज से शुरू होगी SIR
दरअसल, बिहार की तर्ज पर आज से मध्य प्रदेश में भी एसआईआर की शुरुआत हो रही है. मध्य प्रदेश के सभी 65,000 बीएलओ का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है. बीएलओ घर-घर जाकर आयोग द्वारा जारी किए गए फॉर्म बाँटेंगे. वे 2003 की एसआईआर के आधार पर मतदाताओं से जानकारी एकत्र करेंगे. बता दें कि राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों के हर बूथ के हर मतदाता का दोबारा सत्यापन किया जाएगा.

जब BLO आपके घर पहुंचें तो सबसे पहले क्या करें?
चुनाव आयोग ने नागरिकों से बीएलओ के साथ पूरा सहयोग करने की अपील की है, लेकिन कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि घर-घर जाकर सर्वेक्षण के दौरान बीएलओ कोई भी दस्तावेज़ नहीं लेंगे. अगर सत्यापन के दौरान पुराने रिकॉर्ड से जुड़ी कोई समस्या आती है, तो बीएलओ केवल ईआरओ (निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी) को सूचित करके ही नागरिकों से ज़रूरी दस्तावेज़ मांग सकते हैं. अगर सत्यापन के दौरान पुराने रिकॉर्ड से जुड़ी कोई समस्या आती है, तो बीएलओ ईआरओ को सूचित करके नागरिकों से ज़रूरी दस्तावेज़ मांग सकते हैं. बीएलओ आयोग द्वारा अधिकृत पहचान पत्र साथ लाएंगे. नागरिक यहां पहचान पत्र देखकर जानकारी साझा कर सकते हैं. 

यूपी-एमपी समेत इन 12 राज्यों में होगी SIR की शुरुआत, कब भरा जाएगा फॉर्म? जानें सब कुछ

चुनाव आयोग बिहार के बाद अब नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआत करने जा रहा है. इसका मंगलवार (4 नवंबर) से आगाज होगा. इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर प्रक्रिया 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त होगी. इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 51 करोड़ वोटर्स हैं.

बिहार के बाद एसआईआर का यह दूसरा चरण है. बिहार में अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई थी. बिहार में करीब 7.42 करोड़ नामों को वोटर लिस्ट में शामिल किया गया था. दूसरे चरण में, जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर की कवायद होगी, उनमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

घर-घर सर्वेक्षण के दौरान बीएलओ दस्तावेज नहीं लेंगे, विवाहित महिलाओं को मायके से मंगानी होगी डिटेल

इस व्यवस्था के अंतर्गत वर्ष 2003 में जिन महिलाओं की उम्र 18 साल नहीं थी और एक जनवरी 2003 को जारी एसआईआर के दौरान जो महिलाएं विवाहित नहीं थीं। ऐसी महिलाओं को अब खुद को वोटर साबित करने के लिए मायके से अपना मतदाता क्रमांक और मतदान केंद्र क्रमांक मंगवाना होगा। सीईओ एमपी इलेक्शन ने कहा है कि घर-घर सर्वेक्षण के दौरान बीएलओ कोई भी दस्तावेज़ एकत्र नहीं करेगा।

ऐसे होगा एसआईआर का काम चुनाव आयोग ने वर्ष 2002 से 2008 के बीच देश के सभी राज्यों की एसआईआर कराई है। इसका डेटा चुनाव आयोग की वेबसाइट के अलावा एमपी सीईओ की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसमें वोटर पूरी जानकारी भरकर एमपी में हुई 2003 की एसआईआर के आधार पर अपना मतदाता क्रमांक, मतदान केंद्र क्रमांक और अन्य जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह जानकारी उन्हें बीएलओ द्वारा दिए गए फाॅर्म में भरकर देना होगी।

नए वोटर्स के लिए फॉर्म 6 भरने को देंगे बीएलओ

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजीव झा ने कहा है कि जिन परिवारों में कोई नया सदस्य 1 जनवरी 2026 तक 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, उनका नाम मतदाता सूची में जोड़ने के लिए बीएलओ द्वारा फॉर्म 6 उपलब्ध कराया जाएगा। यदि किसी परिवार सदस्य का निधन हो गया हो या वह अन्यत्र स्थानांतरित हो गया हो, तो उसकी जानकारी भी बीएलओ को दें ताकि सूची से नाम विलोपित किया जा सके। झा ने कहा कि घर-घर सर्वेक्षण के दौरान बीएलओ कोई भी दस्तावेज़ एकत्र नहीं करेगा। दस्तावेज केवल तभी आवश्यक होंगे जब किसी एंट्री का सत्यापन पूर्ववर्ती रिकॉर्ड से मेल न खाए। ऐसी स्थिति में संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्री अधिकारी (ERO) अलग से सूचना देकर आवश्यक दस्तावेज़ मांगेगा। बीएलओ आयोग द्वारा अधिकृत पहचान पत्र लेकर आएंगे, नागरिक उनसे पहचान पत्र देखकर जानकारी साझा करें।

मतदाता ऐसे तलाश सकेंगे अपना नाम

    एसआईआर 2003 में वोटर अपना नाम तलाशने के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट https://voters.eci.gov.in/ ओपन करेंगे।
    इसे ओपन करने पर वोटर को जिस राज्य में 2003 में वोटिंग की है या वोटर के माता पिता, परिजन ने वोट डाला है, उस राज्य पर क्लिक करना होगा।
    इसके बाद राज्य और संबंधित जिला तथा विधानसभा क्षेत्र पर क्लिक करना होगा।
    वोटर या उसके परिजन ने विधानसभा क्षेत्र में जिस गांव, वार्ड के मतदान केंद्र में वोट डाला है, उसे ध्यान कर संबंधित मतदान केंद्र स्थल का नाम तलाशना पड़ेगा।
    अगर 2003 में निवास वाले मोहल्ले में आबादी ज्यादा न हो तो आसानी से एक ही क्लिक में संबंधित मतदान केंद्र की वोटर सूची आ जाएगी जिसमें मतदाता क्रमांक और मतदान केंद्र की जानकारी निकालकर उसे बीएलओ द्वारा दिए गए फाॅर्म में भरना होगा।
    अगर कोई अपनी जानकारी नहीं दे पाता है तो उसे फाॅर्म में बताए गए 11 दस्तावेजों में से कोई एक दस्तावेज देना होगा जिसके आधार पर बीएलओ उस मतदाता को वेरिफाई करेगा।

2026 में इन राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनाव

इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. असम में भी 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां मतदाता सूची के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी, क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापित करने के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में प्रक्रिया चल रही है. साथ ही नागरिकता कानून का एक अलग प्रावधान असम में लागू होता है.

एसआईआर को लेकर क्या बोला इलेक्शन कमीशन

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 27 अक्टूबर को एसआईआर के नये चरण की घोषणा करते हुए कहा था, ‘‘नागरिकता अधिनियम के तहत, असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं. उच्चतम न्यायालय की निगरानी में नागरिकता की जांच का काम पूरा होने वाला है. 24 जून का एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था. ऐसी परिस्थितियों में, यह असम पर लागू नहीं होता.’’

एसआईआर की किस तारीख से होगी शुरुआत

एसआईआर की प्रक्रिया 4 नवंबर को शुरू होगी और 4 दिसंबर तक जारी रहेगी. निर्वाचन आयोग 9 दिसंबर को मतदाता सूची का मसौदा जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी.

इससे पहले 2002-04 में एसआईआर किया गया था. आयोग का मानना ​​है कि एसआईआर से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए और किसी भी अपात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची में नहीं रहे. एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें सूची से बाहर निकालना है. बांग्लादेश और म्यांमार सहित अवैध प्रवासियों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण है.

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