
भाजपा संगठन चुनावः मोहित का टूटता मोह…कहीं कांग्रेस विधायकों का भय तो नहीं.. पढ़ें, क्यों परेशान हैं..भाजपा कार्यकर्ता
क्यों परेशान हैं...संभावित बिलासपुर भाजपा जिला ग्रामीण अध्यक्ष
बिलासपुर—दो दिन बाद शायद बिलासपुर और बिलासपुर ग्रामीण जिला संगठन अध्यक्ष के नाम का एलान कर दिया जाएगा। नाम घोषणा में देरी को लेकर सवाल लगातार उठ रहे हैं। देरी की वजह क्या है। लेटतलीफी को लेकर संगठन के अन्दर से भी अलग अलग तर्क सामने आ रहे है। लेकिन छनकर जो बात सामने आ रही है..निश्चित रूप से चौकाने वाला है। बताया जा रहा है कि बिलासपुर ग्रामीण जिला बंटवारा को लेकर मोहित जायसवाल बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है। कार्यकर्ताओं में भी बहुत ज्यादा उमंग नही है। मतलब संगठन के भीतर जबरदस्त सिर फुटौव्वल है।
बताया जा रहा है दो जिला बनने से संगठन की ज्यादातर आबादी बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है। संगठन कर्यकर्ताओं की माने तो उत्साह जाहिर नहीं करने की वजह भी है…इसमें ना केवल मोहित जायसवल शामिल है..बल्कि मस्तूरी, कोटा और बेलतरा संगठन के कार्यकर्ता भी हैं। अन्दर खाने से जो बात सामने आ रही है..निश्चित रूप से विचारणीय है। संभव हो कि अध्यक्ष के नाम के एलान में देरी की वजह भी यही हो।
कुछ भाजपा नेताओं के मुंह से जो बात सामने आयी है..उस पर कुछ हद तक विश्वास किया जा सकता है। कयास लगाया जा सकता है कि मोहित के टूटते मोह और कार्यकर्ताओं में नए बिलासपुर ग्रामीण जिले के गठन को लेकर उत्साह में कमी का कारण क्या है। बात सीधे 23 दिसम्बर को आयोजित भाजपा कार्यालय में चुूनाव अधिकारियों की बैठक से जुड़ा है।
23 दिसम्बर को संगठन संभागीय चुनाव समन्वयक और जिला चुनाव प्रभारी की मौजूदगी में फैसला किया गया कि बिलासपुर, तखतपुर, कोटा विधानसभा को मिलाकर नया जिला बनाया जाएगा। दूसरा जिला बेलतरा,मस्तूरी और बिल्हा विधानसभा को मिलाकर बनाया जाएगा। रायशुमारी में दीपक और मोहित को अध्यक्ष बनाने को लेकर चर्चा हुई। नाम का एलान बाद में करने को कहा गया। इस दौरान दोनो नेताओं का नूरानी चेहरा देखने ही लायक था।
लेकिन कुछ घंटे बाद चुनाव पदाधिकारियों ने बनाये गए दोनो नए जिलों के विधानसभा में फेरबदल का एलान कर दिया। संगठन प्रमुखों ने बताया कि अब बिलासपुर ग्रामीण जिले से बिल्हा विधानसभा को निकालकर शहरी जिला में चस्पा कर दिया। और कोटा को बिलासपुर ग्रामीण जिला में फिट कर दिया गया है। शायद अप्रत्याशित बदलाव मोहित को पसंद नहीं आया। समर्थकों ने भी परिवर्तन को उत्साह से नहीं लिया। और निराशा का बादल आज भी बरकरार है।
संगठन के लोगों का अपना अलग तर्क है। हाल फिलहाल अविभाज्य बिलासपुर जिले के 6 विधानसभा में चार विधायक भाजपा के और दो कांग्रेस के हैं। बिल्हा, बिलासपुर विधानसभा में संगठन के दिग्गज नेता अमर और धरम विधायक हैं। अनुभव के धनी तखतपुर विधायक धरमजीत सिंह भी बिलासपुर शहर का हिस्सा होंगे। ऐसे में बिलासपुर ग्रामीण जिला में बेलतरा को छोड़कर कोटा और मस्तूरी विधानसभा कांग्रेसी है। बेहतर होता कि बिलासपुर,कोटा और तखतपुर को मिलाकर एक जिला और बिल्हा, बेलतरा, मस्तूरी को दूसरा जिला बनाया जाता। दोनो जिलों में दो- दो भाजपा विधायक होते। स्थानीय संगठन को मजबूती मिलती। ग्रामीण जिला अध्यक्ष के सामने फिलहाल बड़ी चुनौती है।
बहहाल भाजपा संगठन के सामने मोहित के जिला अध्यक्ष बनने के टूटते मोह की चुनौती है। और कार्यकर्ताओं की उदासी को दूर करने की समस्या भी…। बात में दम है कि कोटा और मस्तूरी में कांग्रेस के विधायक है। यहां काम करना मोहित के लिए मुश्किल नहीं तो आसान भी नहीं होगा।