MP Weather Update-मौसम का बदला मिजाज: हल्की बारिश के बाद नवंबर से कड़ाके की ठंड, ला-नीना का असर

MP Weather Update/मध्य प्रदेश में अक्टूबर का महीना मौसम के मिले-जुले असर के साथ बीत रहा है। रात और सुबह की हल्की ठंडक दिन की खिली धूप के साथ महसूस हो रही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अक्टूबर में मौसम ऐसा ही बना रहेगा, लेकिन नवंबर के दूसरे सप्ताह से राज्य में कड़ाके की ठंड का दौर शुरू हो जाएगा।

इससे पहले, शनिवार को मौसम का मिजाज बदला हुआ नजर आया। भोपाल में दिनभर बादल छाए रहे, जिससे दिन के तापमान में गिरावट दर्ज की गई। वहीं, इंदौर और खंडवा में तेज बारिश हुई, जबकि उज्जैन समेत प्रदेश के कई अन्य शहरों में भी ऐसा ही मौसम रहा।

मौसम विभाग के अनुसार, 20 अक्टूबर को हल्की बूंदाबांदी शुरू हो सकती है और 21 अक्टूबर से दक्षिणी हिस्से के ज्यादातर जिलों में हल्की बारिश का दौर शुरू होने की संभावना है। इसमें मुख्य रूप से अनूपपुर, डिंडौरी, बैतूल, मंडला, खंडवा आदि जिले शामिल हैं।

20, 21 और 22 अक्टूबर को बैतूल, नर्मदापुरम, खंडवा, हरदा, बुरहानपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी और अनूपपुर जिलों में कहीं-कहीं हल्की बारिश और गरज-चमक की स्थिति बनी रहेगी। 21 अक्टूबर से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में एक पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव पड़ने की भी संभावना है।

इधर, हवा की दिशा बदलने से रात के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। शुक्रवार-शनिवार की रात में ज्यादातर शहरों में पारा 20 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा। रीवा ही एकमात्र ऐसा शहर है, जहां पारा 15 डिग्री के आसपास बना हुआ है। दूसरी ओर, दिन के तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिली है। उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, खजुराहो में पारा 33 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है।

मौसम विभाग के अनुसार, नवंबर से कड़ाके की ठंड का दौर शुरू हो जाता है, जो आमतौर पर जनवरी तक रहता है। इस बार फरवरी तक ठंड का असर रहने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आने वाले सर्दियों के मौसम में 2010 के बाद सबसे भीषण ठंड का अहसास हो सकता है।

सर्दियों के दौरान इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश देखने को मिल सकती है, क्योंकि उत्तर-पश्चिम भारत के इलाकों में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ अधिक संख्या में प्रभावित करेंगे। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भी जल्द ही ला-नीना परिस्थितियां विकसित होने की पुष्टि की है, जो ठंड और बारिश को प्रभावित करती हैं।

इस बीच, पूरे मध्य प्रदेश से मानसून विदा हो चुका है। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल मानसून 3 महीने 28 दिन सक्रिय रहा। 16 जून को प्रदेश में मानसून ने दस्तक दी थी और 13 अक्टूबर को उसकी वापसी हुई। बावजूद इसके, प्रदेश में बारिश का दौर जारी रहने की उम्मीद है। इस बार प्रदेश में मानसून की ‘हैप्पी एंडिंग’ रही है। भोपाल, ग्वालियर समेत 30 जिले ऐसे रहे, जहां ‘बहुत ज्यादा’ बारिश दर्ज की गई। ओवरऑल सबसे ज्यादा बारिश वाला जिला गुना है, जहां पूरे सीजन में 65.7 इंच पानी गिरा, जबकि श्योपुर में 216.3% बारिश हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छी बारिश होने से न सिर्फ पेयजल बल्कि सिंचाई के लिए भी भरपूर पानी उपलब्ध है और भू-जल स्तर भी बढ़ा रहेगा।

हालांकि, शाजापुर ऐसा जिला है, जहां सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) ही बारिश हुई है। मानसूनी सीजन में मौसम विभाग ने प्रदेश में 106 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान जताया था, लेकिन वास्तव में 15 प्रतिशत पानी ज्यादा गिरा। ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में दोगुनी बारिश दर्ज की गई। इंदौर, ग्वालियर, चंबल, जबलपुर, रीवा, शहडोल, सागर संभाग के 50 जिलों में बारिश का कोटा पूरा हो गया। वहीं, भोपाल, उज्जैन और नर्मदापुरम संभाग के 4 जिले- उज्जैन, शाजापुर, बैतूल और सीहोर में 81.1 से 98.6 प्रतिशत बारिश हुई। इन जिलों में कोटा पूरा नहीं हो पाया, हालांकि इनमें से तीन जिले- उज्जैन, सीहोर और बैतूल में आंकड़ा 94% से ज्यादा ही है, जिससे वे सामान्य बारिश के आसपास हैं। लेकिन शाजापुर ‘बारिश की भारी कमी’ की कैटेगरी में है, जहां कोटे का केवल 81 प्रतिशत पानी ही गिरा।

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