
जर्जर स्कूल पर हाईकोर्ट की तीखी प्रतिक्रिया…मुख्य न्यायाधीश ने पूछा…कलेक्टर क्या क्या करे…?..सचिव क्या कर रहे..?
हाईकोर्ट ने कहा..शपथ पत्र के साथ..शासन पेश करे जानकारी
बिलासपु… हाईकोर्ट ने स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर दायर जनहित याचिका को गंभीरता से लिया है। शासन और स्कूल शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर स्कूल भवनों को ठीक किये जाने को लेकर शपथ पत्र के साथ प्रोग्रेसिव रिपोर्ट मांगा है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डबल बैंच ने कलेक्टर को जिम्मेदारी दिए जाने के जवाब पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
स्कूलों के जर्जर भवनों की खबर को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की डबल बैंच ने शासन और स्कूल शिक्षा सचिव से शपथ पत्र के साथ स्कूल भवनों को ठीक करने को लेकर प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगा है।हाईकोर्ट ने मामले में कलेक्टर को ही जिम्मेदारी दिए जाने के जवाब पर तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर कहाँ-कहाँ देखे! शिक्षा सचिव को भी तो कुछ करना चाहिए। आखिर सचिव क्या कर रहे हैं?
दरअसल, प्रदेश भर के शासकीय स्कूलों के कई भवन जर्जर हो चुके हैं। बारिश में ऐसे स्कूलो में हादसा की आशंका बनी रहती है। मामले में छपी खबरों को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया। जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिविजन बेंच में सनवाई हुई।
डबल बैंच को अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री शाला जतन योजना के तहत शासकीय स्कूलों को सत्र 2022-23 में 1837 करोड़जारी किया गया। इतना सुनते ही मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, राशि का इस्तेमाल कहाँ किया गया। क्या स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है।
शासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि कलेक्टर डीएमएफ फंड से भी राशि उपलब्ध करा सकते हैं। इतना सुनते ही ड़बल बैंच ने कहा कि कलेक्टर कहाँ-कहाँ जाएगा । विभाग के जो प्रमुख हैं, शिक्षा सचिव है..उन्हें मानिटरिंग करना चाहिए कि फंड कहाँ जा रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया, कि शासन की तरफ से पेश शपथपत्र के अनुसार 31मार्च 2024 के पहले सरकार ने जर्जर और सुरक्षित स्कूलों की गिनती कराई थी।
इस दरान प्रदेश में 2 हजार 219 स्कूलों को डिस्मेंटल करना था। इससे अलावा 9 हजार स्कूलों को रिपेयर किया जाना था। ऐसे स्कूलों के लिए स्कूल जतन योजना और डीएमएफ फंड से यह इंतजाम करना है।