
Bharat Bandh: कर्मचारी सड़कों पर, जानें क्या खुला रहेगा और क्या बंद!
Bharat Bandh: 9 जुलाई को भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा थमने की आशंका है, क्योंकि 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगियों ने देशव्यापी ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है.
Bharat Bandh।इसमें 25 करोड़ से अधिक कर्मचारी और किसान शामिल होने की उम्मीद है. यूनियनों का आरोप है कि सरकार की ‘मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और कॉर्पोरेट समर्थक’ नीतियां उन्हें इस कदम के लिए मजबूर कर रही हैं.
Bharat Bandh।इस बंद से बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, सड़क परिवहन और कई राज्यों में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
कौन-कौन शामिल हो रहा है?
इस विशाल बंद में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC), एचएमएस, सीटू, इंटक, इनुटुक, टीयूसीसी, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी जैसी प्रमुख ट्रेड यूनियनें शामिल होंगी.
इसके अतिरिक्त, संयुक्त किसान मोर्चा और कृषि मजदूर संघों के संयुक्त मोर्चे ने भी इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है, जिससे ग्रामीण इलाकों में भी इसका व्यापक असर दिखने की उम्मीद है.
हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (BMS) इस बंद में शामिल नहीं होगा.
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की नेता अमरजीत कौर ने बताया कि इस बंद में 25 करोड़ से ज़्यादा कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना है, जिसमें पूरे देश के किसान और मज़दूर एकजुट होंगे.
हिंद मजदूर सभा के नेता हरभजन सिंह सिद्धू ने पुष्टि की कि इस हड़ताल से बैंकिंग, डाक सेवाएं, कोयला खदानें, कारखाने और अंतर-राज्यीय परिवहन सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं.
आखिर क्यों हड़ताल पर हैं कर्मचारी?
हड़ताल का आह्वान करने वाली यूनियनों का कहना है कि उन्होंने श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को अपनी 17 मांगों का एक विस्तृत चार्टर सौंपा था, लेकिन उन पर अभी तक कोई विचार नहीं किया गया है.
यूनियनों का यह भी आरोप है कि सरकार पिछले 10 सालों से वार्षिक श्रम सम्मेलन आयोजित नहीं कर रही है. उनका मानना है कि नए श्रम कोड के ज़रिए श्रमिक यूनियनों को कमज़ोर किया जा रहा है।
काम के घंटे बढ़ाए जा रहे हैं और मज़दूरों के अधिकारों को कम करने की कोशिश की जा रही है, जिसके विरोध में यह हड़ताल बुलाई गई है.
यह पहली बार नहीं है जब इन यूनियनों ने इस तरह की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. इससे पहले 26 नवंबर, 2020, 28-29 मार्च, 2022 और 16 फरवरी, 2024 को भी इसी तरह के बंद हुए थे, और अब 2025 में भी यही स्थिति बन रही है.
प्रमुख मांगें क्या हैं?
ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों की कुछ प्रमुख मांगें जिनमें चार नए लेबर कोड को रद्द किया जाए: यूनियनों का आरोप है कि ये कोड श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए: यह कर्मचारियों की एक लंबे समय से चली आ रही मांग है.
न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रति माह किया जाए: यूनियनों का मानना है कि वर्तमान न्यूनतम वेतन अपर्याप्त है.ठेका प्रथा समाप्त हो: नियमित रोजगार की मांग की जा रही है.
सरकारी विभागों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए: रेल, बिजली, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और बीमा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के निजीकरण का विरोध किया जा रहा है.बेरोजगारी भत्ता शुरू किया जाए: बढ़ती बेरोजगारी के बीच यह मांग महत्वपूर्ण है.
यूनियनों का यह भी आरोप है कि सरकार ने कॉर्पोरेट घरानों को 17 लाख करोड़ रुपये की राहत दी है, लेकिन श्रमिकों और किसानों की समस्याओं की लगातार अनदेखी कर रही है.