Chhattisgarh

क्या यह पेंशन घोटाला है…? आत्मानन्द शिक्षकों की राशि कहां जमा हो रही….अधिकारियों के दबाव के बाद भी नहीं मिल रही जानकारी..शिक्षकों का गंभीर आरोप

आरटीआई से खुलासा...नहीं जमा हुई काटी गयी राशि..जानकारी देने से इंकार

बिलासपुर: स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय लगातार विवादों में है। तमाम कसावट के बीच लापरवाही और भ्रष्टाचार की ढेरों खबरें छनकर सामने आ रही है। ताजा मामला पेंशन राशि कटौती को लेकर है। पीड़ित अध्यापको को शक है कि पेंशन के लिए हर महीने  वेतन से काटी जा रही राशि खाते में जमा नहीं हो रही है। जानकारी मांगने पर संबधित जिम्मेदार लोग ना तो जवाब दे रहे हैं। और ना तो आरटीआई की जानकारी ही दे रहे हैं। कलेक्टर और वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का पालन भी नहीं कर रहे हैं। अध्यापकों ने बताया कि मामले को अब हम कोर्ट लेकर जाने को मजबूर हैं। 
आत्मानन्द विद्यालय के अध्यापकों के वेतन से  नियमानुसार हर महीने राशि कटौती हो रही है। जानकारी के अनुसार प्रत्येक महीने काटी गयी राशि को एनपीएस, सीपीएस, जी आईएस, सीजीपीएस में जमा किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि नियमों का पालन करते हुए विद्यालय शिक्षकों के वेतन से काटी गयी राशि को स्टेट बैंक  के माध्यम से जिला कोषालय में जमा किया जाता है। लेकिन कुछ अध्यापकों का आरोप है कि हर महीने काटी गयी राशि को खाते में जमा नहीं किया गया है। इससे जाहिर होता है कि शिक्षकों के वेतन से काटी गयी राशि में हेरा- फेरी की गई है ।
राशि की जानकारी कहीं नहीं
  मामले में पीड़ित अध्यापकों ने बताया कि हर महीने वेतन से कटौती कर उनके खाते में जमा की जाने वाली राशि  की जानकारी लेने के लिए पिछले डेढ़ साल भटक रहे हैं। जगह -जगह धक्के खा रहे हैं। लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। जबकि कलेक्टर से लेकर बड़े बड़े अधिकारियों के सामने आवेदन निवेदन किया है। बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन ना तो जानकारी दे रहा है। और ना ही काटी गयी राशि के बारे में ही कुछ बता रहा है।
 जिसके चलते उनकी समस्या यथावत है। गुहार लगाने के बाद भी विद्यालय के प्राचार्य अध्यापकों को चालान की प्रति उपलब्ध कराने से साफ इंकार कर दिया है। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगने पर प्राचार्य ने बताया कि उनके पास किसी प्रकार की जानकारी नहीं है। कोषालय के अधिकारियों का दो टूक जवाब है कि उनके पास भी चालान की प्रति उपलब्ध नहीं है। और ना ही अध्यापकों के खाते में  राशि ही जमा है।
डकैती का लगाया आरोप
 पीड़ित अध्यापकों ने बताया कि हम जानना चाहते हैं कि आकिर हर महीने काटी गयी राशि जमा कहां हो रही है। क्योंकि इसका हिसाब ना तो कोषालय के पास है और ना ही प्राचार्च जानकारी दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि वेतन के पैसे किसी ने सिस्टेमेटिक डकैती को अंजाम दिया है। पीड़ित अध्यापकों में से एक ने बताया कि उनके खाते में की गई गड़बड़ी की राशि को यदि जोड़ा जाए तो सेवानिवृत होने की आयु तक उन्हें  दस लाख रुपये तक  का नुकसान हो सकता है।
दर दर भटक रहे अध्यापक
 अध्यापकों ने बताया कि आरटीआई से जानकारी नहीं मिलने पर हमने 12 सितंबर 2024 को मस्तूरी में आयोजित जन समस्या निवारण शिविर में आवेदन किया। राहत और न्याय दिलाने की मांग की । जिला प्रशासन ने जानकारी देने के लिए पत्र को प्राचार्य को भेजा। हर बार की तरह इस बार भी प्राचार्यों ने  गोल-गोल और लीपा-पोती वाला जवाब दिया। और मामले से पल्ला झाड़ लिया । इसके बाद सभी अध्यापकों ने कलेक्टर जनदर्शन में अपनी पीड़ा को जाहिर किया। अध्यापकों ने कहा कि वेतन से काटी गयी राशि उनके निर्धारित खाते में जमा करायी जाए। अध्यापकों ने बताया कि महीन हो गया…अभी तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। अध्यापकों ने बताया कि मामले में सेजेस मस्तूरी के प्राचार्य जानबूझकर असहयोगात्मक रूख दिखाने के साथ परेशान कर रहे हैं।
कोषालाय को संरक्षण का आरोप
अध्यापकों के अनुसार आत्मानन्द स्कूल में बहुत ही गड़बड़ियों को रणनीति के तहत अंजाम दिया जा रहा है। सवाल उठना लाजिम है कि क्या कोषालय में भी गड़बड़ियां हो रही है। ऐसा लगता है कि कोषालय जानबूझकर प्राचार्यों की करतूतों को दबाने का काम कर रहा है। यह अपराध जिला शिक्षा अधिकारी के दबाव मे जानबूझकर किया जा रहा है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि घोटाला में बड़े चेहरों की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। अध्यापकों ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि  विडम्बना ही है कि, जन  -समस्या निवारण शिविर और जनदर्शन में शासकीय कर्मचारी खड़े होकर आवेदन दे रहे हैं। बावजूद इसके उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है। इतना सबकुछ शासन की लचर स्थिति को बताने के लिए पर्याप्त है।
अध्यापकों ने छोड़ी उम्मीद
बहराल अब पीड़ित अध्यापकों ने वेतन राशि का गबन करने वालों के ऊपर किसी प्रकार की कार्रवाई की उम्मीद छोड़ दिया है। क्योंकि अभी तो दोषी व्यक्ति की ही पहचान ही नहीं हो पायी है। देखने वाली बात होगी कि आरटीआई से जानकारी मिलने के बाद अब पी़ड़ित अध्यापक आगे क्या करते हैं ? चुप बैठ जाते हैं या अपनी लड़ाई आगे बढ़ते हैं।
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Bhaskar Mishra

पत्रकारिता के क्षेत्र में लगभग 16 साल का अनुभव।विभिन्न माध्यमों से पत्रकारिता के क्षेत्र मे काम करने का अवसर मिला।यह प्रयोग अब भी जारी है।वर्तमान में CGWALL में संपादकीय कार्य कर रहा… More »
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