
हाईकोर्ट का फैसला: यौन शोषण की शिकायत करने पर बर्खास्त की गई सचिव बहाल
इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के एक महत्वपूर्ण मामले में आदेश जारी किया है। अदालत ने विश्वविद्यालय के कुलपति की निजी सचिव को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है, जिन्हें रजिस्ट्रार के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत करने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था।
न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला स्पष्ट रूप से शिकायतकर्ता को अनावश्यक रूप से परेशान करने का है।
अदालत ने इस पर भी आश्चर्य जताया कि जिस रजिस्ट्रार पर यौन शोषण का आरोप है, वह अब भी पद पर बना हुआ है, जबकि शिकायत करने वाली महिला को चार बार नौकरी से हटाने की कार्रवाई की गई।
मामले में महिला कर्मचारी ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने पहले भी उसके पक्ष में फैसला सुनाते हुए बर्खास्तगी आदेश को रद्द किया था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने बार-बार नए आदेश जारी कर उसे सेवा से हटाने की कोशिश की।
अंततः 16 सितंबर 2025 को हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर 2024 को जारी बर्खास्तगी आदेश को पूरी तरह निरस्त कर दिया और विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को तुरंत कुलपति की निजी सचिव के पद पर पुनः नियुक्त किया जाए।
अदालत ने कहा कि घटनाक्रम यह दर्शाते हैं कि रजिस्ट्रार का आचरण गंभीर सवाल खड़े करता है। यौन शोषण की शिकायत के बाद पीड़िता को लगातार प्रताड़ित करना न्याय और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।