Chhattisgarh

बिहार में लड़ाई नीतीश बनाम तेजस्वी, चुनाव प्रचार शबाब पर , बिजली , सड़क, पानी कोई मुद्दा नहीं है

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पटना से लव कुमार मिश्र

पटना। सत्ताशीन पार्टी द्वारा अब राम मंदिर,आर्टिकल 370, तीन तलाक भी शून्य है,पिछले बार पुलवामा था,अब तो गलेवान, सिन्दूर की भी चर्चा नहीं हो रही हैं।लेकिन पिछली बार की तरह लालू राबड़ी की पंद्रह साल की तथाकहित जंगल राज की बात हो रही है,लोग सूर्यास्त के बाद घर से बाहर नहीं निकलते थे,पुनःयाद दिलाया जा रहा है,जैसे आजादी के बाद कांग्रेसी लोग अंग्रेजी राज के दो सौ साल की बात करते थे और अब 1975 की आपात काल की चर्चा हो रही है।अब तो बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की भी चर्चा नहीं हो रही है।

नीतीश कुमार के शासन में जब चुनाव हुए,राजनीतिक हिंसा नहीं हो रही थी,अब मोकामा में चुनाव प्रचार के दौरान जन सुराज के उम्मीदवार के चाचा दुलारचंद यादव की गोली मार कर हत्या कर दी गई,गया में जीतन राम मांझी के उम्मीदवार अनिल कुमार पर गोली चली.मंत्री श्रावण कुमार को उनके ही निर्वाचन क्षेत्र में खदेड़ा गया,भूतपूर्व संसद आनंद मोहन को भी भगा दिया गया,बीजेपी के विधायक को भी उनके ही निर्वाचन क्षेत्र में धक्का देकर भगा दिया गया।

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की चुनावी सभा को रदद किया गया_ कारण भीड़ नहीं थी।उधर राघोपुर जहां से महागठबंधन के मुख्य मंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव प्रत्याशी हैं से भी मतदाताओं ने नाराजगी व्यक्त की और पूर्व मुख्य मंत्री तथा उम्मीदवार की माता,राबड़ी देवी को जाना पड़ा,जिन्हें लोगों ने बताया_ आपके बेटे ने कुछ भी काम नहीं किया है।
2020 के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और महागठबंधन में सीधे लड़ाई थी,इस बार जन सूरज जिसका गठन एक साल पहले हुआ था,संघर्ष में है।इसने उम्मीदवार तो बेदाग दिए हैं,लेकिन बिहार जहां जात और उपजाति के नाम पर वोटिंग होता रहा है,इनके उम्मीदवारों के लिए चुनौती बन रहा है।

अखिलेश यादव और मायावती भी प्रचार कर रही हैं,लेकिन इनका वोट बैंक बिहार में अब नहीं रह गया है,ओवैसी जो सीमांचल में पिछली बार पांच सीटों पर विजय हुए थे,संघर्ष कर रहे हैं,लेकिन उनके वोट पर जन सुराज भी आक्रमण कर रही है।
बीजेपी के प्रचार अभियान की कामन गृह मंत्री अमित शाह ने ले ली है और मौर्य होटल में अपने कमरे से हरेक क्षेत्र पर निगरानी कर रहे हैं,उनकी मदद के लिए हिंदी भाषी राज्यों के मुख्य मंत्री,मंत्री, सांसद,विधायक भी पिछले पंद्रह दिनों से पटना,मुजफ्फरपुर,भागलपुर में सक्रिय है।पटना के तीन बड़े होटलों पर बीजेपी के नेताओं का पड़ाव हो गया है।पार्टी महा मंत्री वी एल संतोष ने सभी नेताओं को चेतावनी दी कि यदि वे छठ महापर्व में भी अपने घर गए तो,उनकी स्थाई छूटी हो जाएगी।छत्तीसगढ़ से छः मंत्री यहीं विराजमन है.

सत्तारूढ़ गठबंधन को सभी जगह कड़ा विरोध करना पड़ रहा है,किसी के समर्थन में हवा( वेव) नहीं नजर आ रहा है, बीजेपी को 20 प्रतिशत कुर्मी जाति के वोट को फिर ध्यान में रख कर नीतीश कुमार को ही भावी मुख्य मंत्री के रूप में घोषित करना पड़ा है।यह लड़ाई नीतीश बनाम तेजस्वी हो चुकी है,कुछ समय तक ऐसा लगता था प्रशांत किशोर भी त्रिकोणीय बना रहे थे,लेकिन अब पिछड़ गए हैं।

बीजेपी ने अभियान में कोई कमी नहीं छोड़ी है,दिल्ली से आए पत्रकारों का ज्यादा खयाल किया जा रहा है,कई संपादक भी पटना आए है,बीस बड़े पत्रकारों ने बुलाया गया,हेलीकॉप्टर से सभाओं की कवरेज कराई जा रही हैं,बोरिंग रोड में एक नेता के आवास पर लंच की व्यवस्था की गई है।
अभी तक के अभियान और मतदान के पहले वोटर्स के मूड को देखते हुए, निष्कर्ष निकाला जा सकता है _ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की राह में बाधा भी हैं।

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