
राजस्थान PTI भर्ती घोटाला: 2000 से अधिक फर्जी नियुक्तियां, शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
राजस्थान PTI भर्ती घोटाला: राजस्थान में आयोजित हुई PTI भर्ती 2022 अब एक बड़े घोटाले का रूप ले चुकी है। भर्ती में भारी अनियमितताओं और फर्जीवाड़े की परतें तेजी से खुल रही हैं।
अब तक 300 से ज्यादा अभ्यर्थियों पर FIR दर्ज हो चुकी है, जबकि 1800 से अधिक उम्मीदवारों की जांच अभी भी जारी है। 5,546 पदों की इस भर्ती प्रक्रिया में 2,000 से अधिक अभ्यर्थी ऐसे पाए गए हैं, जिन्हें विभाग ने बिना दस्तावेजों की गहन जांच के ही नियुक्ति दे दी।
इस पूरे मामले में भर्ती शाखा की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जांच में यह बात सामने आई है कि कई ऐसे कार्मिक, जिनकी भूमिका पहले से ही संदिग्ध रही है, उन्हें दोबारा भर्ती से जुड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
हैरानी की बात यह है कि जिन कर्मचारियों को एपीओ किया गया या हटाया गया, उन्हें फिर से उसी जगह नियुक्त कर दिया गया। यहां तक कि LDC भर्ती जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी इन्हीं लोगों को सौंप दिए गए।
एसओजी ने शिक्षा सचिव को भेजे पत्र में साफ तौर पर लिखा कि मोटी रकम लेकर नियुक्तियां की जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद शिक्षा विभाग ने न तो भर्ती प्रक्रिया का पुनः सत्यापन कराया और न ही संबंधित शाखा में कोई बदलाव किया।
फर्जीवाड़े का पैटर्न भी बेहद चौंकाने वाला है। 1,259 अभ्यर्थियों के दस्तावेज आवेदन के समय दी गई जानकारी से मेल नहीं खाते, फिर भी उनसे केवल शपथ पत्र लेकर नियुक्ति दे दी गई।
153 उम्मीदवारों के पास स्नातक में 45 फीसदी से कम अंक थे, जबकि बीपीएड में प्रवेश के लिए यह न्यूनतम योग्यता आवश्यक है।
भर्ती परीक्षा की तिथि यानी 25 सितंबर 2022 के बाद की शैक्षणिक योग्यता के साथ आवेदन करने वाले 173 अभ्यर्थियों को भी नियुक्ति मिल गई। वहीं 49 ऐसे अभ्यर्थी पाए गए जिनकी डिग्री ऐसे संस्थानों से थी जो NCTE से मान्यता प्राप्त नहीं हैं।
266 उम्मीदवारों ने बीपीएड डिग्री बिना किसी प्रवेश परीक्षा के हासिल की और 243 ने दस्तावेज सत्यापन तक नहीं कराया, इसके बावजूद उन्हें नियुक्त किया गया।
इससे भी गंभीर तथ्य यह है कि 41 अभ्यर्थियों की डिग्री फर्जी पाई गई है और उनके खिलाफ डमी कैंडिडेट के रूप में मामले दर्ज किए गए हैं। 13 उम्मीदवार ऐसे भी थे जो गलत तरीके से खेल प्रमाण पत्र बनवाकर लाए और उन्हें भी नौकरी मिल गई।
अब सवाल उठता है कि आखिर इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग और भर्ती शाखा की जवाबदेही तय कब होगी? क्या सरकार ऐसे हजारों फर्जी नियुक्तियों को रद्द कर दोषियों पर कार्रवाई करेगी या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा?