शिक्षाकर्मी आंदोलनः 20 नवम्बर से शिक्षा आपातकाल का एलान…प्रेरकों ने दिया साथ..विरोधियों को मिली नसीहत

BHASKAR MISHRA
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बि20171118_180554लासपुर— एक लाख 80 शिक्षाकर्मियों ने 20 नवम्बर को अनिश्चितकालीन पर चले जाएंगे। शिक्षाकर्मियों ने सरकार के खिलाफ शिक्षा आपातकाल का एलान कर दिया है। हड़ताल के समर्थन में शिक्षाकर्मियों ने संगठन के आदेश पर शाला प्रमुख,शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन को लिखित जानकारी दी है। शिक्षाकर्मी संगठनो ने हड़ताल को अन्तिम दम तक लड़ने का शपथ पत्र भी दिया है। फिलहाल हड़ताल को टालने युद्ध स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। खबर लिखे जाने तक सरकार और महागठबंधन के बीच दूसरे दौर की वार्ती मंत्रालय में चल रही है। वार्ता में क्या कुछ निर्मण हुआ फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है।
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बैठक में हुई चर्चा
                        बिलासपुर स्थित तिलकनगर में एक बैठक में संघ महासचिव आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि लगभग 95 प्रतिशत जिले के शिक्षा कर्मियों ने हड़ताल में जाने का एकतरफा फैसला लिया है। सभी ब्लाक से शिक्षाकर्मियों ने आंदोलन के समर्थन में शपथ पत्र भेजा है। जिले और प्रदेश के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में धरना स्थल का चयन के साथ टेंट माइक, बैनर पोस्टर की व्यवस्था कर ली गयी है
।                                     आलोक  पाण्डेय ने बताया कि 20 अक्टूबर को प्रदेश के सभी शिक्षाकर्मी करो या मरो के साथ मैदान में उतरेंगे। पाण्डेय ने बताया कि शिक्षाकर्मियों के साथ देर रात तक हुई है। इस दौारन जरूरी रणनीतियों पर विचार विमर्श किया गया है। बैठक में प्रमुख रूप से ब्लाक संचालक  साधे लाल पटेल, उप संचालक कमलेश साहू,वासुदेव पांडेय,आलोक पांडेय, सुनील पांडेय,प्रदीप पांडेय, सत्यवान विश्वकर्मा,राजेश गुप्ता,कमल नारायण गौरहा,संतोष साहू,सुमित शर्मा ,सत्येन्द्र साहू,इंद्रकांत सोलखे,सुभाष त्रिपाठी मौजूद थे।

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प्रेरकों से मिला समर्थन

प्रदेश के पंद्रह हजार प्रेरकों ने भी शिक्षाकर्मियों के अनिश्चित कालीन हड़ताल का समर्थन किया है। प्रेरक संघ प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार ने बताया कि एक महीने बाद प्रदेश के 15 हजार से अधिक प्रेरकों ने भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। सुनील ने बताया कि प्रेरकों का एक दशक से शोषण किया जा रहा है।
                     सुनील ने बताया कि प्रेरकों की भर्ती साल 2005-06 में सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत हुई। साल 2009 में नाम बदलकर शिक्षा प्रेरक मित्र कर दिया गया। काम और दाम आज भी वही है जो साल 2005 हुआ करता था। मात्र 2000 के अल्प वेतन में सारे सरकारी काम लिए जा रहे हैं। चुनाव,शिक्षा,प्यून,बाबूगिरी, डाकिया क्या क्या नहीं करवाया जा रहा है। मानदेय के नाम पर मात्र दो हजार रूपए महीना दिया जाता है। जबकि हमारा काम केवल शिक्षा का प्रचार प्रसार और साक्षरता को बढ़ावा देना है। लेकिन हमसे इसके अलावा सभी काम लिया जाता है।
                 प्रेरक संघ अध्यक्ष ने बताया कि मानदेय बढ़ाने को लेकर कई बार आंदोलन किया गया। लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेग रहा है। हमारी मांग है कि मानदेय बढ़ाने के साथ प्रेरकों को सरकारी नौकरी का दर्जा दिया जाए। एक महीने बाद हम लोगों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। शिक्षाकर्मी महागठबंधन ने सहयोग का आश्वासन दिया है। 20 नवम्बर को शिक्षाकर्मियों के समर्थन में प्रेरक मित्र काम काज का बहिष्कार करेंगे।
संगठन और शिक्षकों से अपील

               हड़ताल को सफल बनाने संगठन और शिक्षक एक दूसरे से अपील कर रहे हैं। एक शिक्षक ने बाट्सअप में लिखा है कि एकता मंच हो या शिक्षक पंचायत नगरी निकाय मोर्चा, चाहे कोई भी संघ हो. आम शिक्षाकर्मी के लिए आंदोलन कर रहा है। लोगों को हड़ताल का समर्थन करना चाहिए। जो डर गया वह मर गया। क्योंकि डर के आगे जीत है। वाट्सअप में एक शिक्षक ने लिखा है कि जो अपने लिए नहीं करता वह दूसरों के लिए कुछ नहीं कर सकता है।
भेदियों पर गुस्सा
   कुछ शिक्षकों ने वाट्सग्रुप में एकता मंच की खिंचाई की है। एक शिक्षक ने पोस्ट में लिखा है कि अब नहीं तो क्या रिटायर्ड होने के बाद संघर्ष करोगे। संदीप त्रिपाठी ने बताया कि शिक्षाकर्मियों की एकता को तोड़ने सरकारी भेदिया सोशल मीडिया में उलजुलूल पोस्ट कर रहे हैं। ऐसे लोगों से निवेदन है कि हड़ताल मे सहयोग नही तो लोगों को गुमराह भी ना करें।

 

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