विशाल जैतखाम करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक-राष्ट्रपति कोविन्द

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1699A0B6AF36B53B35DE8A052AE5E316♦कुतुबमीनार से भी पांच मीटर ज्यादा ऊंचा है 77 मीटर का जैतखाम
रायपुर।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने सोमवार दोपहर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध तीर्थ गिरौदपुरी धाम पहुंच कर गुरू बाबा घासीदास जी के मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने वहां सामुदायिक भवन का भूमिपूजन किया।राष्ट्रपति ने  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले और सतनामी समाज के धर्मगुरूओं तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ गिरौदपुरी के विशाल जैतखाम का अवलोकन भी किया। उन्होंने इसे गुरू बाबा घासीदास के सत्य, अहिंसा और परोपकार की भावना के अनुरूप लाखों- करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक और अत्याधुनिक वास्तु शिल्प का बेजोड़ उदाहरण बताया।

                               इस अवसर पर मुख्य सचिव विवेक ढांड सहित शासन-प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा निर्मित यह विशाल जैतखाम दिल्ली के कुतुबमीनार से भी पांच मीटर ज्यादा ऊंचा है। इस जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है।राष्ट्रपति ने विशाल जैतखाम के वास्तुशिल्प और इसके निर्माण में अपनायी गई आधुनिक तकनीकों की भी तारीफ की। उल्लेखनीय है कि गिरौदपुरी छत्तीसगढ़ के महान संत और सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरू बाबा घासीदास की जन्म स्थली और कर्मभूमि है। वहां इस विशाल जैतखाम का लोकार्पण दो वर्ष पहले 18 दिसम्बर 2015 को उनकी जयंती के अवसर पर किया गया था। जगत गुरू गद्दीनसीन विजय कुमार गुरू द्वारा सभी सम्मानीय धर्म गुरूओं की उपस्थिति में लोकार्पण कार्यक्रम मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के मुख्य आतिथ्य और विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ था।

                           बता दे कि राज्य शासन द्वारा गिरौदपुरी में निर्मित यह विशाल जैतखाम की ऊंचाई नई दिल्ली के कुतुबमीनार से भी पांच मीटर ज्यादा है। इस जैतखाम की ऊंचाई लगभग 77 मीटर है। इसके निर्माण में लगभग 50 करोड़ रूपए की लागत आई है। विशाल जैतखाम की असाधारण ऊंचाई को ध्यान में रखकर इसकी डिजाईन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी) रूड़की के तकनीकी विशेषज्ञों से अनुमोदित करवाई गई थी। यह जैतखाम वायु दाब और भूकम्प रोधी है। इसमें अग्नि और आकाशीय बिजली से सुरक्षा के लिए भी उच्च स्तरीय तकनीकी प्रावधान किए गए हैं।

                        इसकी बुनियाद 60 मीटर व्यास की है। इसके आधार तल पर लगभग दो हजार श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था सहित एक विशाल सभागृह का निर्माण भी किया गया है। पहली मंजिल से आखिरी मंजिल तक सात बाल्कनियां भी बनाई गई है, जिनमें प्रवेश करने वाले लोग आस-पास के सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों का अवलोकन करते हुए और सबसे ऊंची मंजिल तक बढ़ते हुए कुछ देर के लिए विश्राम भी कर सकते हैं। विशाल जैतखाम में नीचे-ऊपर आने-जाने के लिए अलग स्पायरल विन्सीढ़ियों का भी निर्माण किया गया है। इसके अलावा जैतखाम में वृद्धजनों, निःशक्तजनों, बच्चों और महिलाओं की सुविधा के लिए विशेष रूप से लिफ्ट भी बनाए गए हैं।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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