बिलासपुर— जब जिला प्रशासन मुंगेली में बोनस तिहार कार्यक्रम में शामिल था। ठीक उसी समय मनरेगा के करीब 150 मजदूर कलेक्टर कार्यालय में भुगतान की समस्या लेकर पहुंचे। मजदूरों ने बताया कि साल 2014 से साल 2016 का भुगतान आज तक नहीं किया गया। समझ में नहीं आ रहा है कि गड़बड़ी सरकार की तरफ से हो रही है या फिर सरपंच सभी गरीब मजदूरों को बेवकूफ बना रहा है। मजदूरों ने बताया कि तीन साल से तखपुर ब्लाक गिरधौन गांव के करीब चार सौ मजदूर मनरेगा भुगतान के लिए कभी एसडीएम तो कभी कलेक्टर का चक्कर काट रहे हैं। भुगतान मिलेगा भी या नहीं कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
करीब डेढ़ सौ से अधिक संख्या में गिरधौन गांव के मजदूरों ने दोपहर डेढ़ बजे कलेक्टर कार्यालय में डेरा डाला। ग्रामीणों के साथ गांव का सरपंच भी शामिल था। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले तीन साल से मनरेगा का भुगतान नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच हर बार कहता है कि आज कल में भुगतान मिल जाएगा। ऐसा करते हुए तीन साल गुजर गए। लेकिन मजदूरी नहीं मिली है। अब तो विश्वास भी उठ गया है।
ग्रामीणों के अनुसार पिछले तीन सालों में तीन बार सरकार ने सौ दिन का काम दिया। गिरधौन गांव और आसपास के मजदूरों ने मिलकर तालाब का गहरीकरण किया। सड़क निर्माण में काम किया। नाली निर्माण में भी हिस्सा लिया। लेकिन तीन साल में किसी को थोड़ी बहुत मजदूरी तो मिली लेकिन किसी को पूरा भुगतान आज तक नहीं किया गया है। ग्रामीण मजदूरों ने बताया कि ज्यादातर लोगों को मजदूरी का एक रूपया भी नहीं मिला है।
गांव का सरपंच रूपचंद सिंगरौल हम लोगों को बार बार यही आश्वासन देता है कि जल्द ही मजदूरी का भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन जल्द वाला समय तीन साल से नहीं आया। आज हम लोग एक होकर तीसरी बार कलेक्टर कार्यालय शिकायत लेकर आए हैं। उम्मीद है कि इस बार सरकार की गरीबों पर कुछ दया आए। और मनरेगा मजदूरी का भुगतान कर दे।
किसान मजदूरों की भीड़ में शामिल गिरधौन गांव के छनक,उत्तरा कुमार, फेकूराम, राजाराम,मनहरण,कृपाराम ने कहा कि अब तो गांव का सरपंच मनरेगा का काम भी देना बंद कर दिया है। सरपंच का कहना है कि जब मजदूरी नहीं मिल रही है तो काम क्यों दे। अब गांव में सरकारी काम जेसीबी और आटोमोटर्स से लिया जा रहा है। यदि सरकार काम नहीं देना चाहती है तो कम से कम पिछले तीन साल की मजदूरी तो दे दे। बड़ी कृपा होगी।