रायपुर।राज्य शासन सभी जिलों के एक अस्पताल से एमओयू करने जा रहा है जहाँ ईएसआईसी में पंजीकृत कर्मचारियों को मुफ्त इलाज मिलेगा। यह जानकारी विशेष सचिव और श्रमायुक्त आर. शंगीता ने ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों एवं कारोबारियों के साथ आयोजित बैठक में दी।श्रमायुक्त ने कहा कि इस तरह से ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) के माध्यम से कर्मचारियों को सेकेंडरी केयर की सुविधा भी मिल सकेगी। यह सुविधा बेहद गंभीर बीमारियों में भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्मार्ट कार्ड के माध्यम से कर्मचारी पचास हजार रुपए तक का इलाज करा सकते हैं लेकिन ईएसआईसी के माध्यम से वे गंभीर से गंभीर बीमारी में भी मुफ्त इलाज करा पाएंगे, इसलिए अपनी तनख्वाह का 1.5 प्रतिशत अंशदान कर इससे जुड़ना बेहद उपयोगी है।
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उन्होंने बताया कि 4.5 प्रतिशत अंशदान नियोक्ता की तरफ से आता है। इस संबंध में उन्होंने कारोबारियों से कहा कि ईएसआईसी से जुड़ जाने के बाद कर्मचारी के मेडिकल केयर की आपको चिंता नहीं रह जाएगी, इसलिए उन्हें इसके लाभ बताकर इससे जोड़े। ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों से उन्होंने कहा कि आप इसका अधिकाधिक प्रचार करें। प्रभारी कलेक्टर श्री चंदन कुमार ने बताया कि श्रम विभाग द्वारा नियमित कैंप लगाए जा रहे हैं जहाँ ईएसआईसी के लाभों के बारे में जानकारी दी जा रही है। श्रम पदाधिकारी श्री अजय देशमुख ने जिले में ईएसआईसी में पंजीकृत कर्मचारियों की जानकारी तथा इस संबंध में अन्य विषयों से विशेष सचिव को अवगत कराया। इस दौरान सहायक कलेक्टर डॉ. रवि मिŸाल भी उपस्थित थे।
हिंदूजा अस्पताल में कराया इलाज –
बैठक में ट्रेड यूनियन के एक पदाधिकारी ने बताया कि उन्हें कान में समस्या हो गई थीं और इतना दर्द होता था जैसे कोई सुई चुभा रहा हो। इसका अच्छा इलाज उस समय मुंबई के हिंदूजा अस्पताल में होता था। मैंने ईएसआईसी का लाभ उठाया और मेरा निः शुल्क इलाज यहाँ हो गया।
इज आफ डूइंग बिजनेस को लेकर चर्चा –
विशेष सचिव ने कारोबारियों से इज आफ डूइंग बिजनेस के संबंध में आ रही समस्याओं के संबंध में जानकारी ली। कारोबारियों ने बताया कि इसमें सर्वर को लेकर बड़ी समस्या रहती है। डाक्यूमेंट अपलोड करने में काफी वक्त लगता है। श्रीमती शंगीता ने बताया कि सर्वर की कैपेसिटी बढ़ाने कार्य किया जा रहा है जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि आवेदन पर अब नियत अवधि में कार्रवाई हो रही है और आवेदन को मान्य किए जाने अथवा अस्वीकृत किए जाने के कारण भी दर्ज किए जा रहे हैं ताकि कारोबारियों को सुविधा हो सके।