जबरिया सेवानिवृत्ति के खिलाफ कर्मचारियों का राजधानी में हल्लाबोल, काम ठप करने की चेतावनी

Chief Editor
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karmchari_september_indexरायपुर । पचास साल की उम्र या बीस साल की सर्विस के बाद जबरिया सेवानिवृत्ति की कार्रवाई के खिलाफ प्रदेश के 27 जिलों से आए सैकड़ों कर्मचारियों ने अपनी एकजुटता का बड़ा प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने शासन के कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और चेतावनी दी है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई पर रोक लगाकर लंबित वित्तीय मामलों में शासन जल्दी कोई फैसला नहीं करती है तो अक्टूबर में आंदोलन का विस्तार कर आम हड़ताल किया जाएगा और काम-काज ठप किया जाएगा।छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के आह्वान पर प्रदेश भर के कर्मचारी राजधानी रायपुर के स्पोर्ट्स काम्पलेक्स के बाजू में कामरेड सत्तू वर्मा आंदोलन स्थल पर जुटे। जिसका नेतृत्व संघ के प्राताध्यक्ष  पी आर यादव कर रहे थे। धरना-प्रदर्शन में बस्तर, अम्बिकापुर, बिलासपुर , दुर्ग संभाग और राजधानी से लेकर दूरदराज के सैकड़ों कर्मचारियों ने हिस्सा लेकर अपना समर्थन जताया। इस दौरान सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों को लेकर जमकर नारे लगाए गए।
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                                                            धरना प्रदर्शन के बाद जिला प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री के नाम दो अलग-अलग ज्ञापन सौंपे गए। ज्ञापन में   अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। संघ का आरोप है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की पूरी कार्रवाई अपारदर्शी और पक्षपातपूर्ण है। आरोपी कर्मचारियों को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है। साथ ही कर्मचारियों के मौलिक अधिकारों का हनन भी है।1976 के आपातकाल  के दौरान लागू नियमों से ज्यादा घातक बनाकर 25 अप्रैल 2017 को नया परिपत्र जारी किया गया है। जिसके तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई की जा रही है।
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                                                       दूसरे ज्ञापन में कर्मचारियों की वर्षों से लंबित आर्थिक मांगों को पूरा करने कहा गया है। मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव 2013 के घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए प्रदेश अध्यक्ष पी आर यादव ने कर्मचारियों से किए गए वायदे को निभाने की मांग की है। चार साल बीत जाने के बाद भी घोषणा पत्र अनुसार सभी संवर्ग के कर्मचारियों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान देने और वेतन विसंगति दूर करने का निर्णय नहीं हुआ है। 7 वां वेतनमान का लाभ जुलाई 2017 से मिल रहा है। लेकिन मंहगाई भत्ता , गृह भाड़ा और अनुसूचित क्षेत्र भत्ता सहित अन्य प्रासंगिक भत्तों का पुनरीक्षण वेतन में निर्धारण  नहीं किया गया दै।जिससे अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को प्रतिमाह 5 हजार रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति हो रही है। ज्ञापन में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने , पेंशनर्स को 7 वें वेतनमान का लाभ देने और कर्मचारियों को सस्ते दर पर भूखण्ड मुहैया कराने की मांग भी शामिल की गई है।

                                                        कर्मचारी संघ के धरना आँदोलन को छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक सुभाष मिश्रा और संबद्ध संगठन के नेताओँ ने संबोधित कर मांगों का समर्थन किया । साथ ही एकजुट होकर आंदोलन का विस्तार करने का आह्वान किया। सभा का संचालन महामंत्री विजय झा  कर रहे थे। सभा को कर्मचारी संगठन के इदरिश खान, उमेश मुदलियार, अजय तिवारी, जी आर चँद्रा, जगत मिश्रा, गजेन्द्र श्रीवास्तव, एम पी आड़े, जी एस यादव, आर के शुक्ला, संतोष पाण्डेय, विजय लहरे , पी आर कदम, कृष्णा राम साहू, प्रमोद तिवारी, विमल कुंडू, पूर्णिमा श्रीवास्तव, अनिल टेम्भेकर, मनोहर लोचनम्, सुरेन्द्र त्रिपाठी, बी जी बंग, व्ही एन ध्रुव, बी पी कुरील, संजय राजू गहवई, डा. अनुदिति परिहार, दिनेश मिश्रा, नरेश वाढेर, शरद काले, महबूब खान आदि नेताओँ ने भी संबोधित किया। साथ ही चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इन मुद्दों पर फैसला नहीं किया तो अक्टूबर में आंदोलन का विस्तार कर आम हड़ताल किया जाएगा।

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