सिम्स भर्ती घोटाला 2-आरक्षण नियमों की उड़ी धज्जियां,फर्जी अंकसूची और निवास प्रमाण पत्र पर,पत्नी और साले को नौकरी

BHASKAR MISHRA
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SHAILENDRA JAISAWALबिलासपुर–cimsसिम्स में 20121-13 लिपिक अलिपिक भर्ती के दौरान जमकर भ्रष्टाचार हुआ। भर्ती के दौरान तात्कालीन प्रभारी डीन और डीएमई ने भर्ती नियमों और के निर्देशों की धज्जियां जमकर उड़ाई। आरक्षित पदों पर सामान्य को,सामान्य पदों पर आरक्षित को बैठा दिया। बिना योग्यता प्रमाण पत्र के नौकरी में बंदरबांट हुई। जिसे चाहा उसे ज्वाइनिंग पत्र थमा दिया गया। फार्मासिस्ट पद पर गणित के छात्र को फिट किया गया। एक अधिकारी ने तो केरल से बनाए गए फर्जी डिग्री को आधार बनाकर पत्नी को क्लर्क बना दिया। लोकआयोग के रिपोर्ट में स्पष्ट बताया गया है कि सिम्स में भर्ती प्रक्रिया के दौरान वह सारे हथकंडे अपनाए गए हैं। जिन्हें सामान्य भाषा में भ्रष्टाचार कहा जाता है। जांच में पाया गया है कि भर्ती के दौरान शासन के किसी भी दिशा निर्देश का पालन नहीं किया गया है।
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                            कांग्रेस नेता शैलेन्द्र जायसवाल ने सीजी वाल को बताया कि सिम्स 2012-13 में भर्ती के दौरान भ्रष्टाचार का खुला खेल हुआ है। शायद ही कोई ऐसा पद हो जो नीतिगत तरीके से भरा गया हो। लोकआयोग रिपोर्ट में स्पष्ट बताया गया है कि भर्ती के समय तात्कालीन डीन और डीएमडी बेलगाम थे। जिसे चाहा उसे नौकरी बांट दिया। इतना ही नहीं अधिकारियों ने अपनी पत्नी और चहेतों को खुद फार्म भरा और नौकरी पर रख लिया।
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                      शैलेन्द्र जायनसवाल ने बताया कि लोक आयोग रिपोर्ट में भ्रष्टाचार की जानकारी बिन्दुवार दी गयी है। लोक आयोग रिपोर्ट के अनुसार सिम्स सहायक ग्रेड 2 कर्मचारी पवन देव साहू का रिश्तेदार भजनलाल साहू फार्मासिट के पद पर काम कर रहा है। जबकि उसके पास विज्ञापन शर्तों के अनुसार पद की योग्यता नहीं है। 27 जुलाई 2012 में प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार फार्मासिस्ट पद के लिए जरूरी योग्यता जीवविज्ञान,रसायन और भौतिक में 12 वीं पास होना अनिवार्य है। जबकि भजनलाल साहू ने गणित से 12 वीं पास किया है। बावजूद इसके उसे फार्मासिस्ट पद के लिए चुना गया।

                              लोकआयोग रिपोर्ट के हवाले जायसवाल ने खुलासा किया है कि भर्ती नियम बिन्दु पांच के अनुसार आवेदन की अंतिम तारीख 11 अक्टूबर 2102 है। लेकिन सिम्स प्रबंधन ने कई आवेदनों को एक दिन तो कई आवेदनों को महीनों बाद लिया है।

समिति के नकारने के बाद भी सिम्स क्लर्क की पत्नी को मिली नौकरी
इसी तरह धनेश्वरी साहू के खिलाफ आपत्ती के बाद भी सिम्स प्रबंधन ने परीक्षा में बैठाया। धनेश्वरी साहू सिम्स सिम्स क्लर्क

CIMSJPGपवनदेव साहू की पत्नी है। धनेश्वरी के आवेदन को स्कूटनी समिति ने आपत्ती जाहिर कर की। धनेश्वरी ने आपत्ती का निराकरण भी नहीं किया। बावजूद इसके धनेश्वरी को परीक्षा में बैठने की अनुमति मिली। विज्ञापन के अनुसार धनेश्वरी के पास कम्प्यूटर आपरेटर के लिए आवेदन दिनांक तक डीसीए का प्रमाण पत्र होना चाहिए। उन्होने आवेदन में स्पष्ट किया है कि वर्तमान में डीसीए का कोर्स कर रही हैं। शैलेन्द्र ने बताया कि शायद धनेश्वरी के पास आज भी डीसीए का सर्टिफिकेट नहीं है। बिना योग्यता की नौकरी कर रही हैं।

साले को भी लगाया नौकरी पर
लोकायोग रिपोर्ट में शक जाहिर किया गया है कि आवेदक महेन्द्र कुमार साहू और तात्कालीन सिम्स अधीक्षक के शायद खास रिश्ता है। रिपोर्ट में महेन्द्र कुमार को सिम्स में पदस्थ क्लर्क पवन साहू का साला बताया गया है। महेन्द्र कुमार साहू की नियुक्ति सिम्स महाविद्यालय डीन के सेटअप में लैब अटेंडेंट के पद पर हुई है। दस्तावेज के अनुसार महेन्द्र कुमार साहू ने आवेदन चिकित्सा अधीक्षक को संबोधित कर दिया है। ऐसी सूरत में आवेदन को निरस्त होना चाहिए था। महेन्द्र के आवेदन पत्र लिफाफा में डाक तार बार कोड में भी भिन्नता है। लेकिन जीजा की कृपा से उसे नौकरी मिल गयी।

बिना अंकसूची प्रशासनिक अधिकारी की पत्नी को नौकरी
लोकआयोग रिपोर्ट में बताया गया है कि सुमा बी सिम्स में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारी  और भर्ती चयन समिति सदस्य की पत्नी हैं। जांच पड़ताल में मिली जानकारी के अनुसार सुमा बी ने सिम्स चिकित्सालय रिकार्ड क्लर्क पद के लिए किया था। आवेदन चिकित्सा अधीक्षक के नाम भेजा गया था। लेकिन नियुक्ति अधिष्ठाता कार्यालय में खाली रिकार्ड क्लर्क के पद पर किया गया। जो कि घोर अनियमितता को जाहिर करता है। जांच में सामने आया है कि जांच के दौरान सामने आया है कि सुमा बी के आवेदन को पहले निरस्त किया गया था। बाद में आवेदन प्राप्तकर्ता का नाम काट कर दूसरा नाम लिखा गया है।

सुमा बी का,निवास प्रमाण पत्र फर्जी

                cims   रिपोर्ट में जिक्र है कि सुमा बी के फार्म में अंग्रेजी में NO DOMICILE ENCLOSED लिखा गया था। बाद में टीप को काटकर AFFIDAVIT ENCLOSED लिखा गया है। शैक्षणिक योग्यता के चौथे कालम में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय का नाम और पता होना चाहिए। लेकिन आवेदिका ने  केरल लिखा है। प्रश्न उठता है कि यदि डिप्लोमा प्रमाण पत्र केरल से जारी हुआ है तो महाविद्यालय और विश्वविद्यालय का नाम क्या है। इतना ही नहीं शुल्क विवरिणिका में पोस्टल आर्डर का कब बनवाया गया। उसका भी जिक्र नहीं किया गया है।

                 लोकायोग रिपोर्ट के अनुसार सुमा बी के आवेदन में संलग्न निवास प्रमाण पत्र फेक और भ्रामक है। सुमा बी के आवेदन से कई बार छेड़छाड़ हुई है। प्रविष्ठियों को जोड़ा घटाया गया है। आवेदन पत्र के साथ लगाया गया निवास प्रमाम पत्र 2 मार्च 2013 का है। जबकि आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 11 अगस्त 2012 है।

फर्जी प्रमआम पत्र पर मिली नौकरी
सुमा बी के आवेदन से संलग्न सभी प्रमाण पत्र संदेहास्पद हैं। आवेदन फार्म में आरसी क्रमांक,रजिस्टर क्रमांक का जिक्र कहीं नहीं है। सील मुद्रा भी नहीं है। सुमा बी की अंकसूची प्रमाण पत्र में विषय के सामन कहीं भी अंक का जिक्र नहीं है। प्रमाण पत्र में केवल PASSED IN SECOND CLASS लिखा है। नियमानुसार सुमा बी की अंकसूची प्रमाण पत्र में अंक विवरण के अलावा PASSED IN SECOND DIVISION लिखा होना चाहिए। जैसा की सभी अंकसूची प्रमाण पत्रों में लिखा होता है। दरअसल सुमा बी अपने आवेदन के साथ DCA अंकसूची लगाया ही नहीं है।

जारी है…सिम्स भर्ती 2012-13 की तीसरी कड़ी में पढ़ेंगे सिम्स अधिकारियों की भ्रष्टाचार की नई कहानी

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