बिलासपुर— कांग्रेस ने अभी तक थोपने वाली राजनीति ही की है। इसलिए पंडित दीनदयाल को उन्होंने समझा नहीं है। यदि दीनदयाल को वे समझ लिये होते तो शायद विपक्ष नहीं होते। पंडित दीनदयाल ने हमेशा अंतिम व्यक्ति की ध्यान दिया। लेकिन विदेश सोच वाली पार्टी को देशी लोग कभी दिखे नहीं। जिससे हमारे देश को बहुत नुकसान हुआ। सीजी वाल से चर्चा करते हुए यह बातें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कही।
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एक धार्मिक कार्यक्रम के बाद धरमलाल ने सीजी वाल को बताया कि कांग्रेस ने अभी तक थोपने का ही काम किया है। यदि ऐसा नहीं होता तो देश आज वहां होता जहां से हम दुनिया आंख दिखाकर बात करते । भारतीय प्रधानमंत्री के प्रयास से देश लगातार नई सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। पूरी दुनिया ने हमें सम्मान की नजर से देख रहा है।
सीजी वाल से बातचीत करते हुए धरम लाल कौशिक ने कहा कि महात्मा गांधी देश के राष्ट्रपिता हैं। आज कांग्रेस उन्हें अपना अपना कहकर माला जपती है। काश उन्होंने उनके विचारों को माना होता तो शायद देश का कल्याण ही होता। लेकिन आजादी के पहले विदेशी सोच के साथ बनी पार्टी ने देश की विचारधारा को लेकर चलना मुनासिब नहीं समझा। जिसका परिणाम है कि वे आज तक देश के विकास के बारे में कभी सोचा ही नहीं। दीनदयाल ने भी गांधी की तरह अंतिम व्यक्ति के बारे में सोचा इसलिए हम गांधी और दीनदयाल की विचारधारा में कोई फर्क नहीं महसूस करते हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि महासंपर्क अभियान को अप्रतिम सफलता मिली है। कांग्रेस में इस सफलता को लेकर बहुत बेचैनी है। देश जाग गया है। उन्हें पता चल गया है कि देश का सबसे अधिक नुकसान किया किया। यदि कांग्रेस अभी भी नहीं जागी तो शायद और भी गंभीर परिणाम उसे भुगतने होंगे। वीरगांव नगर निकाय चुनाव पर धरमलाल ने कहा कि वहां हमसे किसी का मुकाबला नहीं है। भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में भारी सफलता मिलने वाली है।
धार्मिक मिलन कार्यक्रम पर सीजी वाल के सवाल का जवाब देते हुए धरमलाल कौशिक ने कहा कि सबकी अपनी आस्था होती है। आस्था को राजनीति का रंग देना ठीक नहीं है। आज हमारे यहां संत पधारे। उनका आशीर्वाद लेने भक्त पहुंचे है। भक्तों में सभी विचारधारा और दलों के व्यक्ति शामिल होते हैं। प्रतिप्रश्न पर उन्होंने कहा कि संत भी देश का कल्याण देखना चाहते हैं। मुझे भी उनके सेवा का अवसर मिला। उपस्थित लोगों ने जनकल्याण के लिए आशीर्वाद मांगा है। मेरा मानना है कि मीडिया संतमिलन कार्यक्रम को राजनीति के चश्मे से ना देखे।