बिलासपुर—सीएमडी के एनएसएस छात्र-छात्राओं ने आज जागरूकता रैली निकाली। रैली सीएमडी कालेज से निकलकर गोलबाजार, गांधी चौक का भ्रमण करते हुए सीएमडी कालेज में खत्म हुई। इस दौरान एनएसएस के छात्रों ने नगरवासियों को गणेश और दुर्गोत्सव में मिट्टी की छोटी मूर्ति स्थापित करने का संदेश दिया।
छात्र-छात्राओं ने नगरवासियों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि मिट्टी की प्रतिमाओं का छोटा या बड़ा होने से आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। मूर्तियों का छोटी या बड़ी होने से ज्यादा या कम फल नहीं मिलता है। परिणाम का संबध आस्था और विश्वास से होता है। छात्रों ने बताया कि हम दिखावे की जिन्दगी जी रहे हैं। जिसके चलते पर्यावरण को बहुत नुकसान हुआ है।
एनएसएस प्रभारी डॉ.पी.एल.चन्द्राकर ने बताया कि मिट्टी की मूर्तियां विसर्जन के समय आसानी से पानी में घुल जाती हैं। पानी विसर्जन कार्यक्रम के कुछ घंटो के बाद ही साफ हो जाता है। खासतौर पर छोटी मूर्तियों से नदी और तालाबों के पानी को ज्यादा नुकसान नहीं होता है।
चन्द्राकर ने बताया कि देखने में आ रहा है कि लोगों ने गणेश और दुर्गोत्सव को दिखावा का त्योहार बनाकर रख दिया है। लोग बड़ी बड़ी मूर्तियों को महत्व दे रहे हैं। बड़ी मूर्तियों के निर्माण में प्लास्ट आफ पेरिस का प्रयोग किया जाता है। जिसके कारण नदी और तालाब के पानी दूषित हो रहे हैं। जहरीले पानी से मवेशियों के साथ इंसान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विभिन्न प्रकार के लाइलाज रोग उत्पन्न हो रहे हैं।
चन्द्राकर ने बताया कि मिट्टी की बड़ी मूर्तियों में प्रयोग किये जाने वाली सामाग्री से भी पानी प्रदूषित होता है। इनमें भारी मात्रा में जहरीले केमिकल रंग का प्रयोग किया जाता है। जिसके चलते पर्यावरण को भारी नुकासन होता है। ड़ॉ चन्द्राकर ने बताया कि हमने आज रैली के माध्यम से नगर वासियों को संदेश देने का प्रयास किया है कि भगवान दिखावे के नहीं आस्था के भूखे हैं। इसलिए आम नागरिक मिट्टी से बनी छोटी मूर्तियों का ही इस्तेमाल करें।