बिलासपुर—मंजूरपहरी गांव की सातवीं की निःशक्त छात्रा आरती यादव के लिए प्रतिदिन घिसट-घिसट कर शौच के लिए बाहर जाना नर्क के समान था। गरीब होने के कारण उसका परिवार घर में शौचालय बनाने को सोच भी नहीं सकता था। मंजूरपहरी के ही रहने वाले उसके मुंहबोले भाई रामनेताम ने अपनी बहन की पीड़ा को समझा और उसे रक्षा बंधन पर्व पर शौचालय का उपहार दिया।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत रक्षाबंधन के अवसर पर जिला पंचायत के अनूठे पहल पर मोर भाई नं. एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। जिसके अंतर्गत जिन बहनों के घर शौचालय नहीं हैं। उनके घरों में भाइयों द्वारा शौचालय निर्माण करने पर पुरूस्कार देने की घोषणा की गई थी। रामनेताम को प्रतियोगिता के बारे में जानकारी हुई तो उसने अपनी मुंहबोली बहन को रक्षाबंधन पर शौचालय बनाकर उपहार देने की योजना बनाई। रक्षाबंधन के पूर्व ही निःशक्त आरती के लिए विकलांग फ्रेन्डली शौचालय बनवाया और शौचालय से घर तक रैम्प बनाकर उसे हर परेशानी से मुक्त कर रक्षाबंधन पर अनोखा उपहार दिया।
मानवीय संवेदना के साथ पारिवारिक प्रेम का निःशक्त बहन के लिए भाई का यह उपहार आज कई गांवों के लिए प्रेरणास्प्रद उदाहरण है। रामनेताम ने जब आरती यादव को पूरे गांव के सामने राखी बंधवाकर शौचालय का उपहार दिया तो लोगां की आंखें भीग गई।
जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी नरेन्द्र भूरे ने बताया कि मंजूर पहरी एवं कनई गांव के इसी योजनान्तर्गत निर्मित शौचालय की कहानी स्वच्छ भारत मिशन योजना के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तक में भी जिक्र है। जिसका विमोचन प्रधानमंत्री करेंगे। भूरे ने बताया कि मोर भाई नं. 1 प्रतियोगिता में 1800 प्रतिभागियों ने भाग लिया था । जिसमें रक्षाबंधन के अवसर तक 850 प्रतिभागियों ने अपनी बहनों को शौचालय निर्माण कर उपहार में दिया है।