जोगी का सवाल..गागड़ा का जवाब….दो साल में पौधरोपण पर 360 करोड़ खर्च..लेकिन घट गया 39 किलोमीटर जंगल

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर–छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग ने राज्य में पिछले 2 वर्षों में 360 करोड रुपए में 11 करोड़ पौधों का रोपण किया। बावजूद प्रदेश में 39 वर्ग किलोमीटर जंगल घट गए हैं। चौंकाने वाले आंकड़े बुधवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में विधायक अमित जोगी के प्रश्न के जवाब में वन मंत्री महेश गागड़ा ने दिए।

                    कोटा विधायक डॉ रेणु जोगी की अनुपस्थिति में मरवाही विधायक अमित जोगी के सवाल से वन मंत्री महेश गागड़ा घिर गए। अमित जोगी ने वन मंत्री से सवाल किया कि वर्ष 2015 और 2017 में छत्तीसगढ़ राज्य में वन क्षेत्रफल कितना था। इस दौरान कितनी लागत से कितने पौधे लगाए गए।

                              सवाल के जवाब में वन मंत्री महेश गागड़ा ने बताया कि भारत सरकार के वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ राज्य में अधिसूचित वन क्षेत्र 59772 वर्ग किलोमीटर जबकि वन आवरण क्षेत्रफल 55586 वर्ग किलोमीटर था। 2017 में अधिसूचित वन क्षेत्र में अंतर नहीं आया लेकिन वन आवरण क्षेत्रफल 55547 वर्ग किलोमीटर हो गया। गागड़ा ने बताया कि 39 वर्ग किलोमीटर वन आवरण क्षेत्र में कमी आयी है। वन मंत्री ने यह भी बताया कि इस अवधि में 10 करोड़ 88 लाख 54 हजार 3 सौ 27 पौधों का रोपण किया गया। अभियान में 360 करोड़ 10 लाख 51 हजार रुपए खर्च हुए है।

                            वन मंत्री के जवाब के बाद अमित जोगी ने वनमंत्री से पूछा कि इस अवधि में करोड़ो रूपये की लागत से बड़े पैमाने पर राज्य में पौधरोपण किया गया । वन क्षेत्र में 39 वर्ग किलोमीटर की कमी कैसे आई जबकि पूरे भारत देश में इसी अवधि में वन क्षेत्रफल 1 प्रतिशत बढ़ा है। जोगी ने वन मंत्री से यह भी पूछा कि जब वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा में मंत्री स्वीकार कर रहे हैं कि राज्य में 39 वर्ग किलोमीटर जंगल कम हुए हैं तो विभाग के अधिकारी एक दिन पहले बयान क्यों दे रहे हैं कि राज्य में 165 किलोमीटर जंगल बढ़े हैं।

             जोगी के पूरक सवाल के जवाब में महेश गागड़ा ने कहा कि अधिसूचित वनक्षेत्र एवं गैर अधिसूचित वनक्षेत्र अलग.अलग हैं। यही कारण है कि विभाग के अधिकारियों ने ऐसा बयान दिया।

           पौधरोपण अभियान में खर्च राशि को लेकर वन मंत्री ने बताया कि सीएजी की आपत्ति का जवाब दिया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय से वन के संबंध में निर्देश मिलते रहते हैं। विभाग आदेश का पालन करता है।

                    जवाब से असंतुष्ट जोगी ने आरोप लगाया कि अवैध खनन गलत तरीके से डायवर्सन और उद्योगों द्वारा काटे गए पेड़ों के एवज में वन विभाग के  क्षतिपूर्ति पौधरोपण नहीं कराने के कारण वन क्षेत्र घट रहे हैं। शासन कार्यवाही नहीं कर रहा है। ना ही क्षतिपूर्ति पौधरोपण की सही ढंग से मानीटरिंग कर रहा है।

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