रायपुर । सरकार तो सरकार है …… और मातहत कर्मचारी – अधिकारी तो बस काम करने के लिए हैं…..। जिन्हे बस अपना काम करते जाना है …… वे न अपना अधिकार माँग सकते और न उसकी बात ही कर सकते ……। अगर वे ऐसा करते भी हैं तो साहब बहादुर के पास इतना भी वक्त नहीं है कि वह अपने मातहत की बात सुन सके या उनकी लिखी अर्जी पढ़ सके….। अखबार जरूर पढ़ लेते हैं और अगर उसमें कहीं पर अधिकार की बात पढ़ने को मिल गई तो मातहत लोगों पर डंडा चलाने का कोई मौका भी नहीं चूकना चाहते….।
इसकी झलक हाल ही में पिछले 27 जून को छत्तीसगढ़ कर्मचारी – अधिकारी फेडरेशन की एक दिन की सांकेतिक हड़ताल के दौरान देखने को मिली…..। कर्मचारियों- अधिकारियों ने यह हड़ताल सरकार को 2013 के चुनाव के समय किए गए वादों की याद दिलाने के लिए की थी…..। यह एक तरह से अनुशासित हड़ताल थी। जिसमें प्रदेश भर के सभी 27 जिलों के तमाम सरकारी विभागों के संचालक से लेकर भृत्य तक सभी ने अपने-अपने विभाग में एक दिन की छुट्टी की अर्जी लगाई थी और काम बंद करके सरकार का ध्यान अपने ही वादे की ओर खींचा था। फेडरेशन में सारे कर्मचारी – अधिकारी संगठन शामिल हैं। लिहाजा इस हड़ताल को कामयाब तो होना ही था। कर्मचारियों ने अपनी एकजुटता दिखाकर यह मैसेज कर दिया कि अगर सरकार अपने ही किए वादे पूरे नहीं करती है तो बेमुद्दत हड़ताल पर भी जा सकते हैं ….। बस इसी बात से खफा सरकार ने फरमान जारी कर दिया और 27 जून की स्ट्राइक के दिन गैरहाजिर रहने वाले कर्मचारियों- अधिकारियों की लिस्ट बनने लगी । इस फरमान में एक मजेदार बात यह भी लिखी है कि हड़ताल के बारे में खबर अखबार से मिली है। जबकि कर्मचारी -अधिकारी फेडरेशन ने अपनी विज्ञप्ति में भी लिखा है कि फेडरेशन की ओर से शासन को एक ज्ञापन में 27 जून की सांकेतिक हड़ताल की की लिखित सूचना दी गई है…।कर्मचरी नेता यह भी बताते हैं कि 9 जून को बकायदा चीफ सेक्रेटरी से फेडरेशन का प्रतिनिधि मंडल रू-ब-रू मिला था और उन्हे ज्ञापने सौंपा था। उनसे चर्चा भी हुई थी और मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने की बात भी हुई थी। बाद में सामान्य प्रशासन विभाग को भी ज्ञापन की कॉपी सौंपकर उनसे पावती ली गई थी। कर्मचारी नेता यह भी कहते हैं कि मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव और मुख्यमंत्री के सचिव सौंपा गया ज्ञापन की यह पावती है 9 जून को मुख्य सचिव से रूबरू मिलकर आधे घंटे चर्चा भी हुई । मुख्यमंत्री के सचिव सुबोध सिंह से भी मिलकर चर्चा हुई है । इसके बाद भी शासन को यह जानकारी नहीं हुई । प्रदेश के ढाई लाख अधिकारी-कर्मचारी 27 जून को हड़ताल पर जाएंगे । हड़ताल के दूसरे दिन समाचार पत्रों से सरकार की नींद खुली हमारे ज्ञापन की यह स्थिति है तो आम जनता के आवेदन ज्ञापन मांग पत्रों का क्या हश्र होता होगा यह बताने की आवश्यकता नहीं है । लेकिन सरकारी फरमान से झलकता है कि फेडरेशन का ज्ञापन पढ़ा ही नहीं गया….। यह फरमान सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है…। जिसे हम यहां जैसा-का-तैसा पेश कर रहे हैं..।
वायरल हो रही पोस्ट….
कर्मचारियों की मांगों और समस्याओं के निराकरण के लिए शासन कितना गंभीर है इसका एक बानगी देखिए सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव द्वारा जारी आज का आदेश। जिसमें उल्लेख है कि समाचार पत्रों से शासन को मालूम हुआ है कि प्रदेश के अधिकारी- कर्मचारी सांकेतिक हड़ताल पर हैं। फेडरेशन ने जो ज्ञापन मुख्य सचिव और 27 जिलों के कलेक्टरों को दिए उसे आज तक किसी जिम्मेदार अधिकारी ने पढ़ने का जहमत नहीं उठाया।यही स्थिति प्रदेश के मंत्री, विधायक और सांसदों को दिए ज्ञापन की भी है ।लानत है शासन के सामान्य प्रशासन विभाग पर जो अफीमची की तरह नींद में है। एक मंत्रालय ही छत्तीसगढ़ नहीं है, जहां दो हजार-कर्मचारी होंगे, प्रदेश में ढाई लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत है ।लेकिन इन कर्मचारियों की जिम्मेदारी शासन के सामान्य प्रशासन विभाग को है। वह समाचार पत्र तो पढ़ता है लेकिन उनको लिखा गया ज्ञापन पत्र पढ़ने का वक्त नहीं है ।यह निंदनीय और शर्मनाक ।?????