जब मैने पैसे लौटाने के लिए लिखा था ख़त फिर भी बैंक डिफॉल्ट का बना पोस्टर बॉय-विजय माल्या

Shri Mi
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Vijay Mallya, Pm Modi, Narendra Modi, Arun Jaitley, Bank Default,नई दिल्ली-शराब कारोबारी विजय माल्या ने 2016 में पीएम मोदी को लिखा एक पत्र सार्वजनिक किया है जिसमें उसने बैंकों का बकाया देने की बात कही है।माल्या ने पीएम मोदी को पत्र में लिखा है कि वह अपनी तरफ़ से बैंक के सभी बकाया राशि लौटाने की कोशिश कर रहा है। इसके बावजूद उसे भारत में बैंक को चूना लगाने वाले ‘पोस्टर बॉय’ के तौर पर दिखाया जा रहा है।बता दें कि विजय माल्या पर लगभग 17 बैंकों से 9,000 करोड़ रुपए लेकर देश से फरार होने का आरोप है। माल्या ने लिखा कि भारत में उसे जिस तरह से पेश किया गया है उससे लोगों में उनके प्रति ग़ुस्सा भड़का हुआ है।

             
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विजय माल्या ने एक के बाद एक ट्वीट कर अपने पांच पन्ने के बयान को साझा किया है और लिखा है कि दो साल की चुप्पी के बाद, मैनें एक संपूर्ण प्रेस बयान जारी करने का निर्णय किया।माल्या ने यूके से अपना बयान जारी करते हुए कहा, ’15 अप्रैल 2016 को मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री, दोनों को एक पत्र लिखा था और अब मैं चीजों को सही संदर्भ में पेश करने के लिए इन पत्रों को सार्वजनिक कर रहा हूं।’

माल्या ने आगे कहा कि उनके पत्र का पीएम या वित्त मंत्री की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।विजय माल्या ने लिखा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के नेतृत्व में 17 बैंकों के समूह ने किंगफिशर एयरलाइंस को करीब 5,500 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। जिसके बाद 600 करोड़ रुपये की संपत्ति को बेचकर वसूला गया। इसके अलावा साल 2013 से 1,280 करोड़ रुपये जमा किया जा चुका है।माल्या ने कहा, ‘मैं बड़े अदब के साथ कहना चाहता हूं कि मैंने सरकारी बैंकों के सभी बकाए पैसे वापस करने के पूरे प्रयास किए हैं। अगर राजनीति से प्रेरित कोई फैक्टर इसमें शामिल होता है तो मैं कुछ भी नहीं कह सकता हूं।’

बता दें कि माल्या पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) समेत देश के कुल 13 बैंकों का करीब 9,000 करोड़ रुपये बकाया है। 2 मार्च 2016 को देश से फरार हो चुके माल्या अभी लंदन में रह रहे हैं।भारतीय कर्ज वसूली प्राधिकरण भी माल्या पर लदे कर्ज की वसूली के लिए उनकी संपत्तियों को जब्त किए जाने का आदेश कई बार दे चुका है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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