रायपुर/ बिलासपुर/कांकेर…. कयास लगाया जा रहा है कि आज शाम यानि 18 जून कि शाम को कैबिनेट बैठक के बाद सस्पेंस खत्म हो जाएगा कि शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर सरकार का मसौदा क्या है । विश्वस्त सूत्रों की माने तो जिस प्रकार 10 जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के कार्यक्रम में अचानक से शिक्षाकर्मियों के संविलियन की घोषणा हुई। प्रदेश का एक एक शिक्षाकर्मी सीएम के एलान के बाद चौंक गया। कुछ इसी प्रकार की स्थिति कैबिनेट बैठक में भी होगी।
सूत्रों की माने तो संविलियन में किसी प्रकार का कोई वर्ष बंधन नहीं रखा गया है। प्रदेश के सभी शिक्षाकर्मियों को मूल शिक्षा विभाग में एक नया कैडर बनाकर रखा जाएगा। भले ही शिक्षाकर्मियों के बीच में अटकले लगातार चल रही हों कि 8 वर्ष का बंधन संविलियन को लेकर रखा जाएगा। लेकिन सूत्रों का मानना है कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि वर्ष बंधन रखा जाता है तो सरकार को वर्तमान में संचालित हो रहे 2 कैडर के बजाय 3 कैडर करना होगा। जिसमें शिक्षा विभाग के नियमित शिक्षक ,संविलियन होने के बाद शिक्षा विभाग में आने वाले शिक्षाकर्मी और 8 वर्ष से कम सेवा वाले शिक्षाकर्मियों का संविलियन नहीं हो पाएगा।
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ऐसी स्थिति में सरकार के लिए पेचीदगी और बढ़ जाएगी। आने वाले समय में भर्तियां पंचायत विभाग से ही करनी पड़ेगी। 8 साल की सेवा बंधन के चलते पंचायत विभाग को कभी बंद ही नहीं किया जा सकेगा। जिन शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति इस साल पंचायत विभाग में हुई है उन्हें आगामी 8 वर्ष तक शिक्षा विभाग में नहीं लाया जा सकेगा। इस बीच में यदि फिर से भर्ती होती है तो यह परंपरा हमेशा चलती रहेगी। ऐसी स्थिति में अभी जितने शिक्षाकर्मियों की विभाग में भर्ती हो चुकी है उसे मूल शिक्षा विभाग में नया कैडर बनाकर समायोजित कर देने से ही समस्या का निदान हो सकेगा। भविष्य में होने वाली नियुक्तियां भी इसी कैडर के अंतर्गत की जा सकेगी।