पेण्ड्रा किसान आत्महत्या मामले की न्यायिक जांच हो-शैलेश पाण्डेय

Shri Mi
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बिलासपुर। बैंक के कर्ज से परेशान किसान की आत्महत्या के मामले में कांग्रेस प्रवक्ता शैलेश पांडे ने कहा है कि किसान की आत्महत्या के मामले में न्यायिक जांच होनी चाहिए, क्योंकि इस पूरे मामले अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं, जो विरोधाभासी हैं और शासन पूरे मामले की लीपापोती में लगा हुआ है । एक तरफ बैंक ने किसान को नोटिस जारी कर कर्ज का भुगतान करने की बात कही है ।जिसके दस्तावेज सामने आए हैं इस दस्तावेज में  छेड़छाड़ की गई है दूसरी तरफ कोटा एसडीएम कुछ ही घंटे में जांच कर मामले में सफाई दे दी कि किसान के खाते में पैसे थे और उसने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या नहीं की है , जानकारी के अनुसार बैंक के दस्तावेज में सफेदा लगाकर  छेड़छाड़  की गई है ऐसे में पूरा मामला संदेहास्पद है। इसलिये किसान की जांच के मामले में न्यायिक जांच होनी चाहिए। जिससे  सच सबके सामने आये।

             
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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हर तरफ हाहाकार और अत्याचार मचा हुआ है। कोई भी सुखी नहीं है। शैलेश पांडे ने कहा कि गरीब किसानों की फसलों का बीमा फसल बीमा कराया गया था लेकिन बीमा कंपनी करोड़ों रुपये लेकर फरार हो गई है। किसानों को एक 1- 2 पैसे 2 रुपए 4 भुगतान किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि यह किसान अन्नदाता किसानों की हत्या की दोषी है। पेंड्रा के जिस किसान में आत्महत्या की है उसका नाम  सुरेश सिंह है और इसे बैंक ने कर्ज की अदायगी के लिए कहा गया था लेकिन किसान भुगतान कैसे करेगा बीमा कंपनियां अरबों खरबों रुपए खा कर भाग गई है।

और किसानों को 1रुपए दूर पर कि काम किए जा रहे ह शैलेश पांडे ने कहा कि  जिस किसान ने आत्महत्या की है उसके भाई को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि बैंक में  पैसे आ गए हैं  और इस बात की जानकारी मृतक को भी नहीं थी । प्रशासन इस बात को क्यों नहीं बता रहा है कि बैंक में पैसा कब डाला गया । इसके साथ जो जांच की गई है । उस जांच के दस्तावेज और बैंक के प्रपत्र सार्वजनिक क्यों नहीं किए जा रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि परिवार और गांव का हर व्यक्ति यह कह रहा है कि उसके खाते में पैसे नहीं आए थे । सरकार ने पूरे मामले में लीपा पोती की है।  जानकारी के अनुसार बैंक के दस्तावेजों से भी छेड़छाड़ की गई है । शैलेश पांडे ने कहा कि जब किसी व्यक्ति के पास खाते में पैसे होंगे तो कोई अपनी जान अपने हाथ से ही क्यों जान देगा। उसने आत्महत्या क्यों की होगी।  किसानों की  दमन करने वाली सरकार  अपना असली चेहरा छिपाने के लिए अब  प्रशासन का दुरूपयोग कर रही है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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