शिक्षाकर्मियों को रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार…संचालकों ने कहा…सार्वजनिक हो रिपोर्ट…फिर या तो आर…या फिर पार

BHASKAR MISHRA
बिलासपुर—(मनीष से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट) प्रदेश के एक लाख अस्सी हजार शिक्षाकर्मियों और उनके परिजनों की नजर मुख्यमंत्री की तरफ है। प्रदेश के शिक्षा कर्मियों की मांगों को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप दिया है। शिक्षाकर्मियों का संविलियन होगा या नही होगा. ड्राफ्ट मांगो के अनुकूल है या नहीं इन तमाम प्रश्नों का जवाब कब मिलेगा। तमाम बातों को लेकर शिक्षाकर्मियों ने भी अब रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।
                   सीजी वाल को छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय एवं पंचायत मोर्चा संचालक संजय शर्मा ने बताया कि जानकारी के मुताबिक मुख्य सचिव की कमेटी ने सरकार को कल रिपोर्ट सौप दिया है। संकेत अच्छे है लेकिन रिपोर्ट का हम सभी को इंतजार है। संजय ने बताया कि 20 नवंबर से शुरू हुई 1 लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों की हड़ताल 4 नवंबर को शून्य में वापस हुई थी। कमेटी को तीन महीने में रिपोर्ट पेश करना था। लेकिन रिपोर्ट तैयार होने में 6 महीने लग गए।
                                    शिक्षाकर्मी नेता ने बताया कि उम्मीद है कि मुख्यमंत्री सकारात्मक निर्णय लेंगे। कमेटी की रिपोर्ट को जल्द से जल्द सार्वजनिक किया जाए। समतुल्य वेतन निर्धारण की विसंगति दूर करते हुए समानुपातिक, कर्मोनन्ति आधार पर छठवे वेतनमान का निर्धारण कर वर्तमान वेतन पर सातवे वेतनमान का लाभ दिया जाए। ब्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक के पद पर ही संविलियन मान्य होगा।  मोर्चा कमेटी रिपोर्ट आने के बाद समीक्षा करेगा। इसके बाद निर्णय से अवगत भी कराया जाएगा।
                छत्तीसगढ़ पंचायत एवं नगरीय निकाय मोर्चा संचालक वीरेंद्र दुबे ने बताया कि शिक्षाकर्मियों की मांग कोई एक दिन की नहीं है। सरकार के लिए संविलियन संभव है। मध्यप्रदेश में संविलियन हुआ है। छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश से बेहतर संविलियन की उम्मीद हैं। पिछले 10 दिनों में 6 बार मुख्यमंत्री का मीडिया को  शिक्षाकर्मियो के मुददे पर दिये बयान से जाहिर होता है कि सरकार शिक्षाकर्मियों  की मांगों को लेकर गंभीर है। दुबे ने बताया कि रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर मालूम होगा कि सरकार  शिक्षाकर्मियों के प्रति कितनी गंभीर है..?
             मोर्चा के एक अन्य संचालक विकास राजपूत ने बताया कि शिक्षाकर्मी आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री ने विभिन्न मांगो पर विचार करने कमेटी का गठन किया। 5 मार्च तक रिपोर्ट पेश होना था। लेकिन रिपोर्ट पेश होने में छः महीने लग गए। अब विलंब नहीं किया जाना चाहिए।
                  मोर्चा संचालक चंद्रदेव राय ने बताया कि शिक्षाकर्मियों की संविलियन मांग का समर्थन खुद मुख्यमंत्री ने शिक्षाकर्मियों की सभा मे किया था। इसके बाद कई कमेटियां बनीं। शिक्षाकर्मी संविलियन की आस लगाए संघर्ष करते रहे। संविलियन, वर्ग तीन की वेतन विसंगति समेत शिक्षाकर्मियो की मांगों को लेकर मजबूरन हड़ताल में जाना पड़ा।  राय ने बताया कि11 जून से पांचो संभागों के अंतिम छोर से शुरू होने वाली संविलियन यात्रा की तैयारी कर रहे हैं। हमने एक दिन पहले मोर्चा संचालकों के साथ रायपुर में एक बैठक के दौरान निर्णय लिया है कि रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।
          मोर्चा संचालक केदार जैन ने आशंका जताई है कि चुनाव सिर पर है आचार संहिता लगने का भी समय आ गया है। ऐसे में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट विलंब से पेश हुई तो संविलियन समेत अन्य मांगों का अधर में अटकना निश्चित है। रिपोर्ट को अटका कर रखना शिक्षाकर्मियों के हित में नहीं है। दरअसल समय तुंरत फैसला लेने का है।  केदार जैन ने बताया कि कमेटी के मध्य प्रदेश और राजस्थान के दौरे से आने के बाद लगता है कि हमे मध्य प्रदेश से बेहतर संविलियन समेत शिक्षाकर्मियों की सभी मांगों का निराकरण बेहतर होगा।जैन के अनुसार सरकार का रूख को देखते हुए जायज़ मांगों को लेकर  11 तारीख से संविलियन यात्रा निकालने का फैसला लिया गया है। तैयारी भी तेज हो गयी है। शिक्षाकर्मी नेता ने कहा कि यदि 8 जून को या तो शिक्षा कर्मी संविलियन त्योहार मनाएंगे या फिर 11 जून से संविलियन यात्रा पर रहेंगे।
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