जमा हुआ था शांति कश्यप का परीक्षा आवेदनः मंत्री सही या कुलपति ?

Chief Editor

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बिलासपुर ।जगदलपुर के लोहाण्डीगुड़ा  में पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन युनिवर्सिटी की परीक्षा में कथित फर्जीवाड़े के मामले में शुक्रवार को दो नई बाते जुड़ी हैं। एक तो छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने जाँच कमेटी  के सामने  बयान दिया है कि उनकी पत्नी शांति कश्यप ने परीक्षा के आवेदन फार्म ही नहीं भरा है, फिर उनके नाम पर  एड्मिशन कार्ड कैसे जारी हो गया यह जाँच का विषय है। इधर बिलासपुर में पं. सुंदर लाल शर्मा ओपन युनिवर्सिटी के वाइस चाँसलर  डा. वंश गोपाल सिंह ने मंत्री के बयान को झुठलाते हुए कहा है कि शांति कश्यप के नाम पर आवेदन जमा किया गया है। अब इसमें सच क्या है, यह जानने के लिए शायद फिर किसी जाँच का इंतजार करना पड़ेगा।जबकि पहले से इस मामले में बिठाई गई जाँच कमेटी के लोगों ने शुक्रवार को ही युनिवर्सिटी कैम्पस में रहकर अपना काम पूरा कर लिया है। इस जाँच में क्या मिला इस पर गोल-मोल जवाब के अलावा कुछ भी माने नहीं आ सका है।

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दो दिन पहले ही यह मामला सामने आया है कि शिक्षा मंत्री केदार कश्यप की पत्नी शांति कश्यप ओपन युनिवर्सिटी के लोहाणडीगुड़ा लेंटर में परीक्षार्थी थी। लेकिन एम.ए.  फायनल ( अंग्रेजी ) की परीक्षा में उनकी जगह किसी अन्य महिला ने पर्चा दिया। दो दिन से इसे लेकर हल-चल मची हुई है। शुक्रवार को इस मामले पहली बार मीडिया के सामने  केदार कश्यप का बयान आया। जिसके मताबिक केदार कश्यप  ने जाँच कमेटी के सामने  मुख्य रूप से यही बात रखी कि उनकी पत्नी शांति कश्यप ने  पं. सुंदर लाल शर्मा ओपन युनिवर्सिटी में किसी परीक्षा में शामिल होने के लिए कोई  आवेदन फार्म ही जमा नहीं किया है। अलबत्ता उन्होने इस मुद्दे पर जाँच की जरूरत बताई है कि बिना फार्म जमा किए उनके नाम पर एड्मिशन कार्ड कैसे जारी हो गया। कश्यप के इस बयान के बाद मामले में नया मोड़ देखकर नए सिरे से बयानबाजी शुरू हो गई है। और अब नए सवाल उठाए जा रहे हैं।

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लेकिन बिलासपुर में पं .सुंदर लाल शर्मा वि.वि. के कुलपति डा. वंश गोपाल किंह  ने जो बात कही है, उससे मामला औऱ भी उलझता दिखाई दे रहा है। उन्होने मीडिया से कहा कि शांति कश्यप के नाम से आवेदन भी जमा हुआ है औऱ पांच हजार रूपए की फीस भी जमा हुई है।  उनके यह मान लेने के बाद अब यह सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि इस मामले में शिक्षा मंत्री की बात सही है या कुलपति का कहना सही है। शायद इस बारे में फिर से नए सिरे से कोई जाँच कराई जाएगी। लेकिन मामले में पहले के कराई जा रही जाँच को लेकर भी अभी संशय की स्थिति बनी हुई है। मामले की जाँच के लिए पहले ए. एच  दुबे और बी ए मिश्रा को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शुक्रवार को वे युनिवर्सिटी पहुंचे।खबर है कि लाल-बस्ते में जाँच की रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है। लेकिन कैम्पस में कुछ भी साफ नजर नहीं आया। इस मामले में गोल-मोल जवाब मिलता रहा। कुलपति कई सवालों से बचते नजर आए। मसलन क्या मामले का खुलासा होने के बाद मंत्री से मिलना उचित था……मामले में एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई गई……परीक्षक के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई……। एक सवाल के जवाब में उन्होने यह माना कि शांति कश्यप की जगह दूसरी महिला पर्चा देने आई थी। लेकिन वह महिला कौन थी इस बारे में पता नहीं है।

फिर भी उन्होने इस मामले में केदार कश्यप के बयान को लेकर  एक अहम् सवाल के जवाब में साफ कर दिया कि शांति कश्यप का आवेदन फार्म जमा हुआ है। अब कुलपति के इस जवाब के बाद नए मोड़ की करफ घूम रहे इस मामले में प्रदेश की सरकार और ओपन युनिवर्सिटी  के रुख पर लोगों का नजर रहेगी।

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