बैंक मैनेजर बोला..कर्मचारी गिनकर बताओ..ले जाओ लोन..फिर महिला को अपमानित कर भगाया..कहा नहीं देंगे कर्ज

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– पचपेढ़ी बैंक मैनेजर सबल पटनायक ने स्वरोजगार के लिए लोन मांगने गयी महिला को 6 महीनों तक लगातार बैंक से भगाया। इसके बाद घर का मुआयना किया। दो चार दिन बुलया…एक दिन लोन मांगने वाली महिला से कहा..बैंक के कर्मचारी को गिनो..यदि सही गिना तो लोन दूंगा अन्यथा नहीं। कर्मचारियों को गिनवाने के बाद बैंक मैनेजर ने कहा..लोन नहीं मिलेगा। जहां चाहो चिल्लाकर देख लो…मेरा कोई कुछ नहीं कर सकता है। मैं चाहूं तो लोन दूंगा। शिकायत के बाद भी मेरा कोई कुछ नहीं कह सकता है। यह कहना है विद्याडीह टांगर ,बोहारडीह पंचायत मस्तूरी निवासी गंगा जीतपुरे का। गंगा जीतपुरे आज जिला प्रशासन से पचपेढ़ी स्टेट बैंक मैनेजर और उसके सहायक रविन्द्र मोहाली की शिकायत की। साथ ही गुहार लगाई की प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लोन दिलवाने का कष्ट करें। ताकी सिलाई कढ़ाई का काम कर परिवार का पेट पाल सकूं।

             
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                        मस्तूरी जनपद पंचायत ग्राम पंचायत बोहराडीह के अाश्रित ग्राम विदयाडीह टांगर निवासी गंगा जीतपुरे ने पचपेढ़ी बैंक मैनेजर और उसके सहयोगी की जिला प्रशासन से शिकायत की है। जिला प्रशासन को लिखित शिकायत कर गंगा ने बताया कि नवम्बर 2017 में प्रधानमंत्री स्वरोजगार सृजन योजना के तहत लोन के लिए जिला व्यापरा एवं उद्योग केन्द्र में आवेदन की थी। आवेदन को स्वीकार भी कर लिया गया। लेकिन पचपेढ़ी स्थित स्टेट बैंक के मैनेजर ने लोन देने से इंकार कर दिया। जिसके कारण बाद में आवेदन को निरस्त कर दिया गया।

                     अपने लिखित शिकायत में गंगा जीतपुरे ने बताया कि आवेदन स्वीकार होने के बाद छःमहीने तक बैंक का चक्कर लगाई। अंत में बैंक प्रबंधन ने लोन देने से इंकार कर दिया। छः महीने बाद आवेदन को निरस्त भी कर दिया।

                      उद्योग विभाग ने बताया कि बैंक ने आवेदन को यह कह कर लौटा दिया है कि विद्याडीह टांगर पचपेढ़ी क्षेत्र में नहीं आता है। इसलिए लोन नहीं दिया जाएगा।

     गंगा जीतपुरे ने बताया कि विद्या़डीह टांगर बोहारडीह के कई लोगों को पचपेढ़ी स्टेट बैंक से लोन दिया गया है। समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर उसका ही आवेदन क्यों निरस्त किया गया।

कर्मचारियों को गिनवाया

            जनदर्शन में जिला प्रशासन को गंगा जीतपुरे ने बताया कि आवेदन निरस्त करने से पहले अप्रैल महीने में बैंक का कर्मचारी घर भी आया। जाति,पेशा,जमीन जायजाद के अलावा परिवार की जानकारी ली। निरीक्षण और परीक्षण के बाद बैंक कर्मचारी ने बैंक भी बुलाया। तीन चार दिन चक्कर काटने के बाद एक दिन बैंक मैनेजर ने बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों को गिनने को कहा। इस दौरान उन्होने लोगों के सामने कई प्रकार से अपमानित भी किया। साथ ही बैंक कर्मचारी ने यह भी कहा कि यदि वह सरपंच का लोन पटाने की गारंटी दे तो लोन स्वीकृत कर दूंगा। मना करने पर शायद उसने आवेदन निरस्त कर दिया।

आरटीआई से चाहिए जानकारी

         गंगा जीतपुरे ने बताया कि आखिर उसका आवेदन निरस्त क्यों किया गया। क्या इसमें सरपंच की भूमिका है। बैंक वाले कुछ नहीं बता रहे हैं। मैं आरटीआई लगाकर आवेदन निरस्त करने की जानकारी मांगूगी ।

मैनेजर ने कहा अन्दर की बात नहीं बताउंगा

बैंक प्रबंधन की तरफ रविन्द्र मोहाली ने बताया कि आवेदन निरस्त क्यों किया गया। इस बारे में हम कुछ नहीं बता सकेंगे। कुछ टेक्निकल कारण भी हो सकते हैं। और लोन लेने के किए गए आवेदक भी हो सकता है। लेकिन उन्होने यह बताने से इंकार कर दिया कि महिला से कर्मचारियों को क्यों गिनवाया गया। सरपंच का लोन पटाने वाली बात का जिक्र क्यों हुआ।

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