करे कोई भरे कोई…डिजीटल इण्डिया ने तोड़ा शुभांगी का सपना…व्यापम ने भी दिया बेटी पढ़ाओ अभियान को झटका..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– डीजिटल इण्डिया ने सरकार की बहु महत्वाकांक्षी बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना को चारो खाना चित्त कर दिया है। शहर की बेटी समय से पहले फार्म भरने के बाद भी अब सीजीपीएटी की परीक्षा नहीं दे पाएगी। ड्रीमलैण्ड मीडियम स्कूल की छात्रा शुभांगि अब अपने भाग्य को कोश रही है। यह जानते हुए भी कि उसका कोई दोष नहीं है। शुभांगी की उदासी ने घर वालों का जीना मुश्किल कर दिया है। यद्यपि शुभांगी के माता पिता और व्यापम से लेकर जिला प्रशासन का कई बार  दरवाजा खटखटाया। बावजूद इसके सारे प्रयास निरर्थक साबित हुए। कुल मिलाकर छात्रा शुभांगी इस साल एग्रीकल्चर प्रवेश परीक्षा में नहीं बैठ सकेगी। उदास शुभांगी को अब कुछ नहीं सूझ रहा है कि अब वह क्या करे। जबकि लम्बे समय से वह पीएटी की तैयारी कर रही थी।

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                     बिलासपुर सरकंडा निवासी ड्रीमलेंड इंग्लीश मीडियम स्कूल की छात्रा शुभाँगी तिवारी को पूरा विश्वास था कि पीएटी का फार्म भर दिया है। तैयारी भी अच्छी है। पहले ही प्रयास में पीएटी के बैरियर को पार लेगी।लेकिन डिजीटल इण्डिया ने शुभांगी के सपने को चकनाचूर कर दिया। शुभांगी का भाई सौरभ तिवारी ने बताया कि अप्रैल महीने में व्यापमं ने सीजीपीएटी 2018 परीक्षा के लिए आनलाइन फार्म मंगाया।

                                 रजिस्ट्रेशन आईडी बनाने के बाद आनलाइन शुभांगी का परीक्षा फार्म भरा। करीब आठ बार रजिस्ट्रेशन आईडी बनने के बाद भी ऑनलाइन पेमेंट जमा नहीं हो पाया। दो मई को मोबाइल पर जानकारी मिली कि आवेदन का पेमेंट मिल गया है। सौरभ ने बताया कि जानकारी मिलने के बाद हम आश्वस्त हो गए कि शुभांगी का फार्म व्यापम ने स्वीकार कर लिया है।

                  सौरभ ने बताया कि 24 मई 2018 को व्यापम ने आवेदकों का एडमिट कार्ड जारी किया। लेकिन शुभांगी को प्रवेश पत्र नहीं मिला। जिसके बाद हम लोग चिंतित हो गए। 25 मई को बैंक ने मोबाइल पर संदेश भेजा कि व्यापम को भेजा गया पेमेन्ट उसके अकाउन्ट में लौट आया है। काफी जांच पड़ताल के बाद बैंक अधिकारियों ने बताया कि फार्म भरने के दूसरे तीसरे दिन यानि  4-5 मई के बीच आवेदन फीस व्यापम ने किन्ही कारणों से वापस कर दिया। लेकिन बैंकरों ने बताने से इंकार कर दिया कि इसकी जानकारी उन्हें समय पर किन कारणों से नहीं दी जा सकी।

              सौरभ ने बताया कि बैंक अकाउन्ट से जब भी किसी प्रकार का लेन देन होता है तो उसकी जानकारी मोबाइल पर मिल जाती है। लेकिन फार्म भरने के बाद यदि व्यापम ने फीस वापस किया तो बैंक को जानकारी देनी चाहिए थी। लेकिन बैंक ने 25 मई को जानकारी दी। जिसके कारण हम धोखे में रहे कि शुभांगी का पीएटी फार्म जमा हो गया है। यदि बैंक प्रबंधन ने इसकी जानकारी समय पर दे दिया होता तो शायद आज शुभांगी को भी व्यापम से प्रवेश पत्र मिल जाता। लेकिन जानकारी नहीं मिलने से शुभांगी का साल बरबाद हो गया।

व्यापम की गलती..सजा मासूम को

                  सौरभ ने बताया कि काफी प्रयास के बाद भी व्यापम ने शुभांगी का प्रवेश पत्र जारी नहीं किया। द्यपि व्यापम ने स्वीकार किया कि शुभांगी का फार्म तो मिला लेकिन सर्वर खराब होने के कारण आवेदन प्रवेश परीक्षा शुल्क नहीं पहुंचा। सके कारण आवेदन को निरस्त कर दिया गया।

           सौरभ ने बताया कि  अधिकारियों ने माना की गलती के लिए व्यापाम जिम्मेदार है। बावजूद इसके शुभांगी का प्रवेश पत्र जारी नहीं किया जा सकता है। व्यापम के ना कहने के बाद शभांगी गुमसुम रहने लगी है। घर वालों को चिंता सताने लगी है कि कही कोई गलत कदम ना उठा ले।

करे कोई भरे कोई

               सौरभ तिवारी ने बताया कि शुभांगी को उस गलती की सजा दी जा रही है जिसे उसने किया ही नहीं। यदि मेरी बहन को कुछ हो गया तो मैं किसी को माफ नहीं करूंगा। क्रोध आता है कि सरकार क्यों बेटी बचाओ बेटी पढाओ” का झूठा प्रचार प्रसार कर रही है। सरकार को मालूम होना चाहिए कि सिस्टम की गड़बड़ी से एक बेटी की जिन्दगी खतरे में है। हंसती खेलती शुभांगी अब बुत हो गयी है। डिजिटल इंडिया का सपना दिखाने वाली सरककार को बताना होगा कि शुभांगी के साथ ऑनलाइन धोखाधडी के लिए जिम्मेदार कौन होगा।

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