शिक्षा कर्मियों की संविलयन संकल्प सभाः निर्णायक लड़ाई में 90 लाख वोटर तक पहुंचने की तैयारी….सरकार के लिए खतरे की घँटी..

Chief Editor
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रायपुर । छत्तसीगढ़ के शिक्षा कर्मी संविलयन / शासकीयकरण सहित अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर अब निर्णायक लड़ाई के मूड में है। इस साल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव  है और शिक्षा कर्मियों ने  प्रदेश में पिछले करीब 15 साल से सरकार चला रही बीजेपी को ही बड़ी चुनौती देने की तैयारी कर ली है। बार-बार आँदोलन और उसके नतीजे शून्य होने से गुस्साए शिक्षा कर्मियों ने 26 मई को प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में संविलयन संकल्प सभा का आयोजन किया है। शिक्षक पंचायत / नगरीय निकाय मोर्चा की ओर से इस सभा को लेकर जिस तरह की रणनीति बनाई  गई है, उससे लगता है कि यह मुहिम केवल औपचारिकता बनकर ही नहीं रह जाएगी । बल्कि इस आँदोलन की कामयाबी के साथ ही सरकार को भी फैसले पर विचार करना पड़ सकता है।

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शिक्षा कर्मियों ने अपनी मांगों के लेकर पहले भी कई बार आँदोलन किए हैं और उन्हे सरकार  की ओर से आश्वासन का झुनझुना थमाया गया है। लेकिन इस बार शिक्षा कर्मियों ने एक सुघड़ रणनीति के तहत आंदोलन की तैयारी की है। यह ऐसा मौका है, जब शिक्षा कर्मी अपनी गरमी की छुट्टियों में आँदोलन कर रहे हैं। जिससे उन पर यह आरोप नहीं लगेगा कि वे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान कर रहे हैं। इसके अलावा एक अहम् बात यह भी है कि चुनाव के ठीक पहले वे हर एक विधानसभा क्षेत्र में जा रहे हैं। जहाँ पर वे केवल धरना-प्रदर्शन हीं नहीं करेंगे । बल्कि समाज के सभी तबके के लोगों के बीच इस बात को सफाई से रखेंगे भी कि सरकार ने शिक्षा  कर्मियों की कैसी हालत बनाकर रखी है और उन्हे बार-बार आंदोलन करने की जरूरत क्यों पड़ती है। सारे तथ्य- सारी तसवीर सामने रखने का मुकम्मल इंतजाम इस बार शिक्षा कर्मियों ने कर रखा है। यदि इस मुहिम में शिक्षा  कर्मी संगठन कामयाब हो गए तो यह सरकार पर भारी पड़ सकता है। इसके साथ ही संगठन ने यह भी तय किया है कि एक शिक्षा कर्मी कम से कम 50 लोगों को जागरूक करेगा। प्रदेश में एक लाख अस्सी  हजार शिक्षा कर्मी हैं और 50 के हिसाब से मल्टीप्लाइड किया जाए तो शिक्षा  कर्मी 90 लाख लोगों तक पहुंच सकते हैं। यह भी सरकार के लिए एक खतरे की घंटी बन सकती है।

शिक्षा कर्मियों की इस सधी हुई नीति को इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक सर्कुलर से समझा जा सकता है । जिसे  शिक्षक पंचायत / नगरीय निकाय मोर्चा ने संविलयन संकल्प दिवस के कार्यक्रम की रूपरेखा के नाम से जारी किया है। मोर्चा के प्रांतीय संचालक- संजय शर्मा, विरेन्द्र दुबे, केदार जैन,विकास राजपूत और चँद्रदेव राय के नाम से जारी इस पत्र में संविलयन  संकल्प दिवस के कार्यक्रम का पूरा ब्यौरा दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि मोर्चा के सहभागी समस्त संगठनों के पदाधिकारियों की सामूहिक जिम्मेदारी और सभी शिक्षा कर्मियों की सहभागिता से यह आयोजन किया जा रहा है। संविलयन संकल्प सभा का आयोजन राज्य के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में होगा। यथा संभव इसका आयोजन विधानसभा क्षेत्र के मुख्यालय में होगा। जिसमें अनुकम्पा नियुक्ति, तीन संतान, गंभीर बीमारी, स्थानांतरण, वेतन विसंगति,सेवा गणना, पदोन्नति, प्रशिक्षण आदि प्रकरणओं से पीड़ित कर्मचारी और परिवार भी  सम्मलित होंगे।  साथ ही नागरिक समाज ( सिविल सोसाइटी ) विद्यार्थी और उनके पालक,शाला प्रबँधन समितियां, कर्मचारी संगठन, समाजसेवी, वकील, शिक्षाविद, मित्र, पत्रकारर , रिश्तेदार, मीडिया कर्मी, हमारे पालक और परिवार को भी आमंत्रित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का राजनीतिकरण न हो , इसलिए राजनीतिक दलों और राजनेताओँ को आमंत्रित नहीं किया  जा रहा है।

मोर्चा का कहना है कि इस सभा में पदाधिकारियों के उद्बोधन के साथ ही विशेष उपस्थिति वाले कर्मचारियों औऱ उनके परिजन का भी उद्बोधन होगा। इसके अलावा- सभा स्थल पर चार्ट, पोस्टर, वीडियो प्रोजेक्टर आदि के जरिए शिक्षा कर्मियों की स्थिति से संबंधित सभी बातें समाज के सामने पहुंचाई जाएँगी। जिनमें शिक्षा व्यवस्था में पदों की स्थिति  का  विवरण , शासकीय शिक्षकों और शिक्षा कर्मियों का तुलनात्मक विवरण, शिक्षा कर्मियों द्वारा किए जा रहे शासकीय / गैर शासकीय कार्य, शिक्षा कर्मियों की समस्याएँ सामने रखी जाएगीं। साथ ही इसके जरिए शिक्षा कर्मियों की ओर से अब तक किए गए आँदोलनों ,अनुनय- विनय, ज्ञापन,माँग पत्र,बैठक – चर्चा आदि के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। सरकार ने अब तक क्या किया। कितनी कमेटी बनी, कितने आश्वासन दिेए , क्या वादे किेए , सरकार का संकल्प पत्र क्या कहता है- यह सब भी विस्तार से बताया जाएगा। यह बात पुरजोर तरीके से रखी जाएगी कि शिक्षा कर्मियों का संविलयन ही एक मात्र विकल्प है। इस मौके पर संविलयन संकल्प पत्र भी पढ़ा जाएगा।

इसे लेकर शिक्षा  कर्मी संगठन बड़े पैमाने पर तैयारियां कर रहे हैं और उन्हे उम्मीद है कि यह अब तक का सबसे प्रभावी आँदोलन होगा। जिस पर सरकार को विचार करना होगा।

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