चीनी पर सेस लगाने की तैयारी में सरकार,जेटली ने कहा-मंत्रिसमूह करेगा फैसला,GSTN बनी सरकारी कंपनी

Shri Mi
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नई दिल्ली-केंद्र सरकार चीनी पर सेस (उपकर) लगा सकती है।जीएसटी की बैठक में इस सेस को लेकर हालांकि कोई फैसला नहीं हो पाया।केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक के बाद कहा कि चीनी पर सेस लगाने के लिए मंत्रिसमूह विचार करेगा। गन्ना किसानों को गन्ना की खरीद पर 55 रुपये टन की दर से सीधा भुगतान करने का फैसला लिए जाने के बाद सरकार सेस के माध्यम से फंड की उगाही करना चाहती है।जीएसटी परिषद की 27वीं बैठक में चीनी पर उपकर लगाने के विषय में सदस्यों ने अलग-अगल मत जाहिर किए। पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री ने कहा कि चीनी पर सेस लगाने का फायदा सिर्फ महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को होगा।परिषद की ओर से इस मसले पर विचार करने के लिए मंत्रिसमूह का गठन करने की सिफारिश की गई।वित्तमंत्री ने परिषद की बैठक के बाद वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘चीनी पर उपकर लगाने पर मंत्रिसमूह विचार करेगा।’

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मौजूदा चीनी उत्पादन और बिक्री वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में अप्रैल के आखिर तक देश में चीनी का उत्पादन 310 लाख टन से ज्यादा हो गया।खपत के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा होने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट आई, जिसके चलते मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया लगभग 20,000 करोड़ रुपये हो गया है।गन्ना उत्पादकों के बकाये का भुगतान समय से किए जाने के उपाय के मद्देनजर सरकार ने मिलों को उत्पादन लागत में राहत प्रदान करते हुए किसानों को गन्ना की खरीद पर 55 रुपये टन की दर से सीधा भुगतान करने का फैसला किया। इसके लिए फंड की व्यवस्था करने के मकसद से केंद्र सरकार चीनी पर उपकर लगाना चाहती है।

इसके साथ ही जीएसटीएन (जीएसटी नेटवर्क) को सरकारी कंपनी बनाने की घोषणा की गई है।जेटली ने कहा कि जीएसटीएन का मौजूदा ढांचा 49 फीसदी सरकारी हिस्सेदारी और 51 फीसदी अन्य कंपनियों की हिस्सेदारी पर आधारित है, लेकिन मैंने कहा कि इस 51 फीसदी की हिस्सेदारी का अधिग्रहण सरकार को करना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘अब जीएसटीएन में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की 50 -50 फीसदी हिस्सेदारी होगी।’

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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