शिक्षा विभाग से प्रस्ताव और आपत्ति लेकर हो सकता है शिक्षा कर्मियों का संविलयनः केदार जैन

Chief Editor
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रायपुर ।     छत्तीसगढ़ शासन प्रशासन चाहे तो शिक्षा विभाग से प्रस्ताव व अनापत्ति लेकर शिक्षाकर्मियों का संविलियन कर सकता है क्योंकि शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति राज्य के नियमित व्याख्याता,शिक्षक, सहायक शिक्षक के पद विरुद्ध क्रमशा वर्ग 1,2,3 की भर्ती की गई है
संविधान के 73वें संशोधन के फलस्वरुप शिक्षा विभाग के नियमित व्याख्याताओं, शिक्षकों,सहायक शिक्षकों के ड्राइंग केडर घोषित पदों को पुनर्जीवित कर शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जा सकता है ।
प्रांतीय संचालक शिक्षक पंचायत/ नगरीय निकाय मोर्चा एवं प्रांताध्यक्ष संयुक्त शिक्षा कर्मी संघ छत्तीसगढ़  केदार जैन ने यह जानकारी देते हुए कहा कि  अब से पूर्व भी सन 1962 में जनपद सभाओं द्वारा पंचायत विभाग से नियुक्त पंचायत शिक्षकों का सन 1967 में शिक्षा विभाग द्वारा नया सेटअप बनाकर जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से शिक्षा विभाग में पूर्व में भी संविलियन किया जा चुका है . यही नहीं शिक्षा गारंटी गुरुजी संविदा शिक्षक वर्ग का भी 01-05-2005 को शिक्षाकर्मी पद पर संविलियन किया गया है ।
उन्होने कहा कि वर्तमान भारतीय जनता पार्टी सत्ता पक्ष द्वारा वर्ष 2008 के संकल्प पत्र में शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में समयबद्ध, चरणबद्ध संविलियन की बात है  ।  देश के अन्य राज्य राजस्थान में पंचायत शिक्षकों का नियमितीकरण पश्चात शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाता है । हमारे पैतृक राज्य मध्यप्रदेश  के मुख्यमंत्री  द्वारा भी शिक्षाकर्मियों का पंचायत विभाग से शिक्षा विभाग में संविलियन की घोषणा कर प्रक्रिया प्रारंभ कर दिया गया है
केदार जैन ने आगे कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश शासन महज 500, 600, 1000  रुपए  में शिक्षाकर्मी वर्ग 3,2,1 की भर्ती 10 माह के लिए की जाती थी तथा 2 माह मई-जून में उनसे सेवा नहीं लिया जाता था और उन दो माह का उन्हें मानदेय भी नहीं दिया जाता था ।  इसी समय शिक्षा कर्मियों ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ में याचिका (डब्ल्यूपी क्र 1015/94) दायर की जिसमें प्रमुख बिंदु यह था कि पंचायतें शासकीय शालाओं में शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति नहीं कर सकती  । अर्थात जब तक पंचायतों को शासकीय शालाएं पूर्णता हस्तांतरित नहीं कर दी जाती पंचायत उन शालाओ में शिक्षा कर्मियों की नियुक्ति नहीं कर सकती ।  जिस पर उच्च न्यायालय ने दिनांक 27-10-1994 को मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग की नीति को खारिज कर दिया  । तब मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग भोपाल ने उच्च न्यायालय के उक्त निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील याचिका एसएलपी क्रमांक-20257/94 प्रस्तुत की उच्च न्यायालय ने जिन बिंदुओं पर आपत्ति जताई थी ।  उन्हीं बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट ने भी आपत्ति लगा दी ।सुप्रीम कोर्ट में शिक्षाकर्मी नीति खारिज होने के भय से तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा  सुप्रीम कोर्ट के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया कि मध्य प्रदेश पंचायत राज संशोधन अध्यादेश 1997 लाया जाएगा या गठन किया जाएगा । साथ ही सहायक शिक्षक उच्च श्रेणी शिक्षक व्याख्याता के पदों को ड्राइंग कैडर, “मृत संवर्ग” घोषित करने का शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया तथा लेख प्रस्तुत किया कि भविष्य में व्याख्याता, उच्च श्रेणी शिक्षक, सहायक शिक्षक के पद अब सृजित नहीं किए जाएंगे  । इन पदों पर शिक्षाकर्मी वर्ग 1, 2, 3 की नियुक्ति की जाएगी  । तब जाकर के शिक्षाकर्मी भर्ती अधिनियम 1997 बनी जो 30 अक्टूबर 1997 को मध्य प्रदेश भोपाल द्वारा प्रकाशित की गई राजपत्र जिसमे शिक्षाकर्मी वर्ग 1, 2, 3 के लिए अलग-अलग वेतनमान निर्धारित किए गए ।
 केदार जैन ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल का पत्र क्रमांक एफ- 44 -65 -85 बी -02-20 भोपाल दिनांक 25 मार्च 1998 में समस्त कलेक्टर मध्य प्रदेश के माध्यम से  संविधान के 73वें संशोधन के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं को सशक्त बनाने एवं मध्य प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 53 के अंतर्गत निर्देश जारी किया गया था कि ग्रामीण क्षेत्र के समस्त शालाओं प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल को जिला पंचायतों को चल अचल संपत्ति सहित हस्तांतरित किया जाना है । साथ ही  अधिनियम 1993 की धारा 62 की उपधारा 1 के तहत राज्य शासन की शक्तियां विभागीय अधिसूचना क्रमांक एफ़ 1- 65- 98बाइस पंचायत-2 दिनांक 9 मार्च 1998 द्वारा जिला कलेक्टरों को प्रत्यायोजित की गई है जिसमें 31 मार्च 98 तक सभी शालाओं को पंचायत को सुपुर्द करने का निर्देश था पंचायत राज भर्ती अधिनियम 1993 के तहत राज्य के दर्जनों विभाग को पंचायत के अधीन सौपा गया  है ।  जिसमें-शिक्षा विभाग,अजका विभाग, कृषि विभाग, स्वास्थ्य सेवा विभाग, मत्स्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, पशुपालन विभाग,लिपिक एवं लिपिक वर्गीय सेवा और अन्य विभाग शामिल है  । मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल के पत्र क्रमांक 3621/एस/एसई/94 भोपाल  दिनांक 30-07-94 के द्वारा संविधान में हुए 73 वें संशोधन के फलस्वरुप त्रिस्तरीय पंचायती राज के गठन की जानकारी दी दिनाँक12 जुलाई 1994 को मंत्री परिषद की बैठक मैं निर्णय लिया गया कि स्कूल शिक्षा विभाग एवं आदिम जाति अनुसूचित जाति विभाग के अधीन चल रहे समस्त स्कूल जनपद पंचायत के नियंत्रण में कार्य करेंगे   । किन्तु आज भी स्कूल शिक्षा विभाग संचालित है और स्कूल पर नियंत्रण भी शिक्षा विभाग का ही है ।
श्री जैन ने आगे बताया की शिक्षाकर्मियों की समस्याओं के लिए आज तक दर्जनों कमेटियां बनाई गई है  ।लेकिन शिक्षाकर्मियों की समस्या जस की तस बनी हुई है कमेटियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी वर्ष 2001 में  सत्यनारायण शर्मा  की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था।
 वर्ष 2002 में  ताम्रध्वज साहू  की कमेटी का गठन किया गया था,
वर्ष 2003 में तत्कालीन प्रमुख सचिव पंचायतएम के राउतकी कमेटी का गठन किया गया था,
 वर्ष 2003 में ही मुख्य सचिव  सुयोग्य मिश्रा की कमेटी का गठन किया गया था
 वर्ष 2005 में अपर मुख्य सचिव इंदिरा मिश्रा  की कमेटी का गठन किया गया था
 वर्ष 2006 में शिक्षा सचिव  सुनील कुमार  की अध्यक्षता में सचिव स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था
 वर्ष 2006 में ही मंत्री स्तरीय हाई पावर कमेटी का गठन किया गया था
वर्ष 2008 में प्रमुख सचिव पंचायत पी जाय उम्मेन  की कमेटी का गठन  किया गया था
वर्ष 2007-08 में ही  शिक्षा सचिव नंद कुमार  की कमेटी का गठन हुआ था
 वर्ष 2007-08 में ही अवर मुख्य सचिव पंचायत  सर्जियस मिंज की कमेटी का गठन हुवा था, वर्ष 2010 में प्रमुख सचिव आ जा क़ श्री  मनोज पिंगुआ जी की कमेटी का गठन हुआ था
 वर्ष 2011 में अवर मुख्य सचिव वन नारायण सिंह की कमेटी का गठन हुआ था
वर्ष 2011- 12में मुख्य सचिव  सुनील कुजूर  की कमेटी का गठन हुआ था
वर्ष 2011-12 में अवर मुख्य सचिव पंचायत विवेक ढांढ  की कमेटी का गठन हुआ था वर्ष 2012 13 में मंत्री स्तरीय उप समिति रामविचार नेताम की कमेटी का गठन हुआ था
वर्ष 2012-13 में अवर प्रमुख सचिव पंचायत विवेक ढांड  की अंतर विभागीय कमेटी का गठन हुआ था
 वर्ष 2015 में श्री ध्रुव  की कमेटी का गठन 23-06-2015 को हुआ था इन कमेटियों के माध्यम से शिक्षा कर्मियों को कुछ समस्याओं से निजात मिली  । किंतु शिक्षाकर्मियों की मूल मांग शिक्षा विभाग में संविलियन आज तक पूरा नहीं हुआ ।
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