शिक्षा कर्मियों का अब एक ही सवाल,मध्यप्रदेश में जब संविलयन हुआ ही नहीं,तो वहां जाकर क्या देखेगी सरकार की कमेटी..?

Chief Editor
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रायपुर / भोपाल ।    छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षा कर्मियों की समस्याओँ और माँगों पर विचार करने के लिए मुख्यसचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के फैसले के मुताबिक अब एक कमेटी मध्यप्रदेश में शिक्षा कर्मियों की सुविधाओँ के अध्ययन के लिए भेजी जा रही है। इसे लेकर शिक्षा कर्मी संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शिक्षा कर्मी नेताओँ का सबसे अहम् सवाल है कि मध्यप्रदेश में अभी तक केवल संविलयन की घोषणा हुई है…. कोई भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है….. ऐसे में कमेटी वहां जाकर क्या अध्ययन करेगी । लोग यह आशंका भी जाहिर कर रहे हैं कि शिक्षा कर्मियों के संविलयन को टालने के लिए सरकार जानबूझकर इस तरह के हथकंडे अपना रही है।इसका कोई सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आएगा…। इससे लोगों का गुस्सा बढ़ रहा है और बड़े आँदोलन की तैयारी की बात उठने लगी है..।
छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षाकर्मियों की मांगों को लेकर जो कमेटी बनाई थी अब वह कमेटी राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश में शिक्षकों का संविलियन कैसे होगा इस संबंध में जानकारी लेने के लिए दौरे पर जाने वाली है  । इस संबंध में जब मध्य प्रदेश के शिक्षक नेताओं से चर्चा की गई तो अध्यापक संघर्ष समिति के संचालक हीरा नंद नरवरिया ने बताया कि मध्य प्रदेश में संविलियन की घोषणा हुई है । छत्तीसगढ़ में अभी सिर्फ  संविलियन के संबंध में सिर्फ आश्वासन हैं  । उन्होंने बताया कि यह समझ से परे है कि छत्तीसगढ़ की कमेटी को व  सभी को मालूम है कि मध्यप्रदेश में  सिर्फ  घोषणा हुई है  ।  जबकि आदेश हुआ ही नहीं है । जब आदेश ही नहीं हुआ है तो छत्तीसगढ़ की  कमेटी मध्य प्रदेश में आकर क्या जानना चाहेंगी। मध्यप्रदेश की संविलियन की प्रक्रिया अब तक एक गोपनीय प्रक्रिया लग रही ।  शिक्षक संघो को भी इस बारे में कोई जानकारी नही है। एक आधी अधूरी प्रक्रिया  एक राज्य सरकार दूसरी राज्य सरकार के साथ क्या शेयर कर सकती है।यदि ऐसा अच्छा होता है तो हमारे  शिक्षाकर्मी छत्तीसगढ़ के शिक्षाकर्मी साथियों के लिए यह अच्छी बात है।
 अध्यापक संघर्ष समिति के संचालक सदस्य हीरानंद नरवरिया ने बताया की  हमारी जानकारी में मध्यप्रदेश में संविलियन जैसा कोई प्रस्ताव अभी तक सुनने में नहीं आया है ।  अभी तक बस स्कूल शिक्षा विभाग जनजाति कार्य विभाग के समान सेवा शर्तें अधीनस्थ समतुल्य की जाएगी   ।  वह वरिष्ठता और सातवां वेतनमान किस रूप में दिया जाएगा  । यही कुछ चर्चा में है ।  उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार अपने शिक्षाकर्मियों को कमेटियों के जाल में फंसा कर घुमा रही है । हीरा नंद नरवरिया ने बताया कि  मध्यप्रदेश में संविलियन के आदेश हो चुके होते…. । नियम प्रक्रियाएं बन चुकी होती …….वेतनमान, पदोन्नति,सरल ट्रांसफर के नियम बन चुके होते, लागू हो चुके होते, तब छत्तीसगढ़ अध्ययन दल आता तब कमेटियों का मध्यप्रदेश दौरा समझ में आता ।  जैसे कमेटी ने राजस्थान का दौरा किया था। फिलहाल ये तो छत्तीसगढ़ के शिक्षा कर्मियो को टालने का  मसला ज्यादा लग रहा है।
अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के संचालन समिति सदस्य रमेश पाटिल ने बताया कि छत्तीसगढ शिक्षाकर्मियो की समस्याओ पर मंथन कर रही समिति की द्वितीय बैठक के निर्णय स्पष्ट कर रहे है कि शिक्षाकर्मियो की समस्याओ को सुलझाने के प्रति छत्तीसगढ शासन-प्रशासन दृढ नही है।इसके लिए अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के नेतृत्व मे मध्यप्रदेश मे अध्ययन दल भेजने की आवश्यकता नही है । क्योंकि यह जरूरी नही कि मध्यप्रदेश मे लिये गये निर्णय से अध्ययन दल सहमत ही हो? यह आचार संहिता की ओर धकेल कर मनमर्जी से शिक्षाकर्मियो पर आदेश थोपने की चाल प्रतीत हो रही है।छत्तीसगढ के शिक्षाकर्मियो की समस्याओ का समाधान वहा कार्यरत शिक्षाकर्मियो की मंशा के अनुकूल होना चाहिए।यदि शिक्षाकर्मियो के पक्ष मे निर्णय लेने मे शासन-प्रशासन अक्षम है तो एक वाक्य मे कह दे कि मध्यप्रदेश मे अध्यापको के पक्ष मे जो आदेश होगा उसका लाभ हम शिक्षाकर्मियो को यथावत उसी दिनांक से देगे।
छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत व नगरीय निकाय मोर्चे के नेता संजय शर्मा का कहना है कि राजस्थान मॉडल से  कमेटी डर गई है । राजस्थान का माडल सकारात्मक इसलिए लागू नही कर रही सरकार क्योकि संविलियन/ शासकीयकरण का प्रावधान  वहाँ है।क्रमोन्नति का प्रावधान वहाँ है। वर्ग 03 के समानुपातिक का प्रावधान वहाँ लागू है 7 वां वेतनमान वहाँ है। GPF/ समग्र में CPS का प्रावधान मध्यप्रदेश में  संविलियन का आदेश ही नही हुआ है । किसका अध्ययन करेगी  । कमेटी  को मध्यप्रदेश में केवल पुराने वेतनमान की जानकारी मिलेगी।
छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत व नगरीय निकाय एंप्लाइज एशोशियन संघ के कृष्ण कुमार नवरंग ने बताया है कि सरकार के अफसर हर बार शिक्षाकर्मियों को लॉलीपॉप मुख्यमंत्री के माध्यम से थमा देते हैं ।  शिक्षाकर्मी नेता हंसी-खुशी उस लाली पाप को ले भी लेते हैं  । क्योकि नही मामा से कान मामा भला होता है। पर अब ये नही चलेगा । हमारी मांग है की मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह अफसरों के लालीपाप के प्रलोभन को छोड़ें और सभी संघों को बुलाकर शिक्षाकर्मियों की भीड़ में संविलियन की घोषणा करें और अफसरों को निर्देश  दें।  एक माह के भीतर में शिक्षाकर्मियों के पदोन्नति, ट्रांसफर ,संविलियन संबंधी नियम लागू करने का टास्क दे।
मोर्चे की महिला शिक्षाकर्मी नेता गंगा पासी  ने कहा है कि सरकार की गठित कमेटी संविलियन के लिये दौरे बाजी कर रही है।और दौरे बाजी से कुछ नही मिलने वाला है। ये शिक्षाकर्मीयो की संविलियन की मांग हो टरकाने की योजना चल रही है।
माया सिंह का कहना है कि संविलियन के लिए इतनी सारी कमेटियों बनेगी और तारीख पर तारीखे दी जाएगी। ये किसी ने नही सोचा था ।कमेटी का मध्य प्रदेश का दौरा समझ से परे है।जबकि वहां सिर्फ घोषणा हुई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की महिला शिक्षाकर्मी  सरकार से आरपार की लड़ाई के मूड में है।रोज रोज का झूठा आश्वासन अब बर्दाश्त नही होता है।
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