शिक्षा – कर्मियों का वेतन निर्धारण मूल वेतन के आधार पर हो…. कमलेश्वर ने उठाई माँग

Chief Editor
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 रायपुर ।    भूतलक्षी प्रभाव से समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान में प्राप्त कर रहे मूल वेतन के आधार पर वेतन निर्धारण किये जाने पर ही शिक्षक पंचायत / नगरीय निकाय को  को आर्थिक लाभ होगा ।
उक्तशाय की मांग छत्तीसगढ़  व्यख्याता(पं)संघ के प्रान्ताध्यक्ष एवम् संचालक आम शिक्षक (पं/ननि)कर्मचारी एकता मंच के  कमलेश्वर सिंह ने राज्य शासन से की है । सोशल मिडिया एवम् आम शिक्षक (पं)के बीच यह चर्चा चल रही है कि राज्य शासन  8  वर्ष की पूर्ण तिथि से सेवा काल की गणना करते हुए 10 वर्ष में क्रमोन्नत वेतन मान देने पर विचार कर रही है ।  8वर्ष की सेवा के बाद 10 वर्ष और जोड़ने पर 18 वर्ष में प्रथम क्रमोन्नति का लाभ दिया जाना देश के किसी भी राज्य के कर्मचारियों को नही दिया जाता । यदि  8   वर्ष से सेवा की गणना कर रही है इसका मतलब हमारी  8 वर्ष सेवा को 0 मान रही है  । जो विधिसम्मत एवम् न्यायसङ्गत नही है ।व्यख्याता(पं)संघ एवम् एकता मंच इसका पुर जोर विरोध करती है और आवशयक हुआ तो  न्याययलय की शरण में जायेंगे ।
 ज्ञात हो कि गैर पदोन्नत  शिक्षक (पं/ननि)सवर्ग को राज्य शासन अपने आदेश क्रमांक 1094 दिनांक 2.11.2011 के तहत 10 वर्ष में क्रमोन्नत वेतनमान देकर वेतन उन्नयन किया था ।जिसे 17 .5.2013 में उस वेतन को उन्नयित करने के बाद पुनः कम कर दिया ।1.5.2013 से पहले  क्रमोन्नत वेतनमान में शिक्षा कर्मी 03 का वेतन 5125 प्राप्त कर रहा था  । उनका वेतन  निर्धारण 4000 के आधार पर कर दिया गया वर्ग  2  का वेतन  6050 था उनका वेतन निर्धारण 5000 के आधार पर तथा वर्ग  1  का वेतन 7800 प्राप्त कर रहा था उनका वेतन निर्धारण  5500 के आधार पर कर दिया गया।
इसी प्रकार राज्य शासन के आदेश क्रमांक 3598 दिनांक 1.5.2012 तथा 28.4.2015 के अनुसार 07 वर्ष में समयमान वेतनमान में वेतन वर्ग 5000 और 8वे वर्ष में 5150 प्राप्त कर रहा है उनका वेतन निर्धारण 4000 ×1.86=7440 में वर्ग 02 6175 प्राप्त कर रहा है उनका वेतन  निर्धारण 5000×1.86=9300में तथा वर्ग 01 ,8वें वर्ष 7200 प्राप्त कर रहा है ।  उनका वेतन निर्धारण  5500×1.186= 10230 में किया गया है ।  जो शासकीय सेवा मूल भुत नियम के विपरीत है ।  क्योंकि किसी भी कर्मचारी का वेतन निर्धारण नए पुनरीक्षण नियम के तहत बढ़े हुए वेतन के आधार पर वेतन निर्धारण किया जाता है ना कि विद्यमान वेतन को कम करके वेतन निर्धारण का नियम ही नही है ।
 कमलेश्वर सिंह ने बताया कि पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 05 एवम् नियम 07/11के परिपालन में क्रमोन्नत /समयमान वेतनमान में प्राप्त कर रहे विद्यमान मूल वेतन के आधार पर वेतन निर्धारण करने नही करने से वर्ग 03 को प्रतिमाह 9000-10000 वर्ग 02 को 6000-8000 तथा वर्ग01 को भी 8000से लेकर 10000 का आर्थिक नुकसान हो रहा है ।
 कमलेश्वर ने मांग की है कि समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान में वेतन प्राप्त कर रहे विद्यमान मूल वेतन के आधार पर वेतन पुनरीक्षण कर समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान के मूल वेतन का वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे दिया जाये । वेतन वृद्धि की गणना समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान  प्राप्त करने की तिथि से करते हुए दिनांक 1.5.2013 से आर्थिक लाभ देने की मांग की है ।राज्य शासन यदि नियमो के विपरीत 18 वर्ष में क्रमोन्नत वेतनमान देने की आदेश करती है तो   उच्च न्यायालय की शरण में जायेगा ।
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