मेगा कैम्प में होगा सिकल सेल मरीज की पहचान…डॉ.सिहारे ने कहा निशुल्क होगा परीक्षण….रोग बड़ा लेकिन इलाज सस्ता

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—सिकलसेल आनुवंशिक बीमारी है। नियमित और समय पर उपचार के बाद सिकल सेल से होने वाली मौत पर अल्पायु में होने वाली मौत पर अंकुश लगाया जा सकता है। तेजी से नई तकनिकी का विकास हो रहा है। जमैका एक ऐसा देश है जहां सिकल सेल मरीज 55 साल की जिन्दगी जीता है। लेकिन हमारे देश में सिकल सेल मरीज की अधिकतम आयु 20-22 साल ही है। यदि बेहतर उपचार और सिकल सेल की पहचान हो जाए तो हमारे देश के भी सिकल सेल मरीज बिना खर्चीले इलाज से 55 साल से अधिक और सामान्य जिन्दगी जी सकते हैं। यह बातें मशहूर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ.प्रदीप सिहारे और राजीव शिवहरे ने कही।

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                       डॉ.प्रदीप सिहारे ने बताया कि सिकल सेल जेनेटिक और लाइलाज बीमारी है। यदि समय रहते इसका इलाज किया जाए तो इस लाइलाज बीमारी को भी मात दिया जा सकता है। डॉ.सिहारे ने बताया कि एक समय था सिकल मरीज की उम्र 6-7 हुआ करती थी। अब उम्र बढ़कर 22 हो गयी है। बावजूद इसके सिकल सेल का इलाज खर्चिला है। देश में नई तकनिकी आ चुकी है। यदि गर्भ से ही सिकल सेल भ्रुण या नवजात की पहचान हो जाए। नियमित इलाज के बाद सिकल मरीज भी सामान्य लोगों की तरह 55 साल से अधिक स्वस्थ्य और सामाजिक रूप से जीवन गुजारेगा।

                               सवाल का जवाब देते हुए डॉ.शिवहरे ने बताया कि डॉ.पिछले 25 साल से सिकल सेल पर अध्ययन और इलाज कर रहे हैं। 22 अप्रैल को  सिहारे हास्पिटल में विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ हेल्थ कैम्प का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान डॉ.सिहारे के अनुभवों का फायदा कैम्प  को मिलेगा। सभी डॉक्टर सिकल सेल मरीजों की जांच करेंगे। सिकल सेल की जांच निशुल्क होगा। यदि परीक्षण में सिकल सेल पाया जाता है तो उनका उपचार नाममत्र शुक्ल में किया जाएगा।

                                                   डॉ.सिहारे और डॉ.शिवहरे ने सवाल जवाब के दौरान बताया कि हरसंभव प्रयास हो कि सिकल सेल मरीज का इलाज कम से कम उम्र में पकड़कर इलाज शुरू कर दिया जाए। दो महीने के बच्चे में सिकल सेल की पहचान होने के बाद पेनिसिलिन दवा से उपचार किया जाता है। यह दवा बहुत ही सस्ती है। इलाज से बच्चे को इंफेक्शन से बचाव होता है। सिकल मरीज और वाहक कौन इसके लिए सभी लोगों को एक बार जांच जरूर कराना चाहिए। इससे मरीज की पहचान हो जाती है। उसी के अनुसार उसका इलाज भी शुरू होता है। आजकल मेडिकल जगत ने काफी विकास कर लिया है। बच्चे का परीक्षण भ्रुण के दौरान ही कर लिया जाता है। सिकल मरीज होने पर  इलाज भी शुरू कर दिया जाता है।

                                        इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर 22 अप्रैल को विशाल सिकल सेल कैम्प का आयोजन किया गया है। इस दौरान कैम्प में पहुंचने वाले सभी लोगों का परीक्षण उच्च तकनिकी से किया जाएगा। परीक्षण का शुल्क भी नहीं लगेगा। यदि वाहक हुआ तो उसे सिकल सेल की भविष्य में होने वाली संभावनाओं की जानकारी दी जाएगी। मरीज मिलने पर उसका उपचार किया जाएगा। सिहारे ने बताया कि सिकल सेल की दवाइयां बहुत ही सस्ती है। जबकि जिन्दगी बहुमू्ल्य है। सिहारे ने बताया कि सिकल सेल इलाज कराने वाले मरीज 35 से 40 साल के हो चुके हैं। सब लोग अपने काम धाम में रहकर सामान्य जिन्दगी जी रहे हैं।

                            डॉ.सिहारे और डॉ.शिवहरे ने बताया कि सिकल सेल रक्तजनित आनुवंशिक बीमारी है।  बच्चों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। बार बार इंफेक्शन का शिकार हो जाते हैं। सिकल क्राइसिस में सिकल आकार के लाल रक्तकण आपस में जुड़कर रक्त प्रवाह को बाधित करते हैं । अंग विशेष में मरीज को बहुत पीड़ा होती है। आर्गन डैमेज का खतरा भी बना रहता है । लिहाजा मरीजों को सिकल का जरा सा भी आभास हो तो डॉक्टर से संपर्क कर उपचार कराना चाहिए ।

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