बिलासपुर–विकास भवन के सामने सफाई कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करने वाल कांग्रेसियों पर धारा 188 लगाया जा सकता है। बुधवार को धारा 144 की धज्जियां उड़ते देख जिला प्रशासन ने धारा 188 लगाने का फैसला किया है। जानकारी मिली है कि एसडीएम ने कांग्रेसी पार्षदों को धरना प्रदर्शन बंद करने की सलाह दी है। ऐसा नहीं किया गया तो सभी को 188 के तहत कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यदि कांग्रेस पार्षद और नेता विकास भवन के सामने धरना प्रदर्शन करते हैं तो उनके खिलाफ जिला प्रशासन धारा 188 लागा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस पार्षदों को चुनाव लड़ने का अधिकार छिन सकता है। जानकारी के अनुसार धारा 188 में दोषी को एक दिन से एक साल की सजा और हजार से दो हजार रूपए का आर्थिक दण्ड लगाया जा सकता है। अथवा दोनों सजा एक साथ हो सकती है।
धारा 144 के उल्लंघन के बाद जिला प्रशासन विकास भवन के सामने धरना प्रदर्शन करने वाले कांग्रेस पार्षदों और नेताओं पर कठोर कार्रवाई हो सकती है। सूत्रों की माने तो एसडीएम ने कांग्रेस नेताओं को चेतावनी भी दिया है।
क्या है धारा 188
आईपीसी की धारा लोकसेवकों के अलावा सभी लोगो पर लागू है। धारा 188 में यदि कोई व्यक्ति या जनप्रतिनिधि व्यवस्था को चुनौती देता तो उसके खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई हो सकती है। या फिर शासकीय कार्यों में बाधा पहुंचाता है तो 188 को लागू किया जा सकता है। धारा में बताया गया है कि जब व्यक्ति या नेता सरकारी कामकाज या लोगों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचता है उसके खिलाफ सादा करावास का प्रावधान है। अधिकतम सजा एक दिन से एक महीने का हो सकता है। साथ में दो सौ रूपए या इससे अधिक का जुर्माना लगाया जा सकता है। या फिर दोनो साथ साथ हो सकता है।
इसी तरह प्रदर्शन से किसी व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य और सुरक्षा को संकट पहुंचता है। या प्रदर्शन से उपद्रव की आंशका होती है तो इन परिस्थितियों में धारा 188 के तहत छः माह की सजा और एक हजार रुूपए का आर्थिक दण्ड लगाया जा सकता है। स्थिति परिस्थित और अपराध का स्तर देखने के बाद सजा का समय और आर्थिक दण्ड दोनों बढ़ सकता ह।
धारा के अनुसा जरूरी नहीं कि अपराध जानबूझकर किया गया हो। इस धारा के तहत बिना सोचे समझे या बिना जानकारी के भी किया गया कार्य अपराध के दायरे में माना जाएगा। इतना पर्याप्त होगा किप्रदर्शन से लोगो को परेशानी या सुरक्षा पर प्रभाव पड़ा है। धारा 188 में समझौते का कोई प्रावधान नहीं है। धारा 188 के तहत हुई कार्रवाई के बाद लोकसेवक चुनाव के पात्र भी नहीं रह सकेंगे।