रायपुर ।मरवाही विधायक अमित जोगी ने वर्ष 2003 के पहले प्रदेश को बिमारू राज्य कहे जाने और पिछले 14 वर्षों में रमन सरकार द्वारा प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिए जाने के दावों पर तथ्यों के साथ तगड़ा पलटवार किया है। गौरतलब है कि ऐसा समाचार आया है कि वर्ष 2003 में डॉ रमन सिंह ने बीमारू राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ की कमान संभाली थी और आज छत्तीसगढ़ में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाने का दावा किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि नीति आयोग के अनुसार छत्तीसगढ़ अब बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर आ गया है।
इस विषय पर सरकार की पोल खोलते हुए अमित जोगी ने कहा कि हमेशा की भाँति रमन सरकार एक बार फिर झूठ बोलकर वाह वाही लूटने का प्रयास कर रही है। हकीकत यह है कि आज प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग स्वयं आई.सी.यू में है।जोगी ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछले १४ वर्षों में हुए विकास का दंभ भरते हैं । लेकिन छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत वे इन दस तथ्यों से जनता के सामने रख गए हैं । उन्होने कहा कि सरकारी अस्पतालों में डायलिसिस की पर्याप्त सुविधा नहीं होने पर लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में डायलिसिस करवाना पड़ता है। एक परिवार को मरीज केजीवनकाल में लगभग 10 लाख रूपए तक खर्च करने पड़ते हैं जो एक सामान्य परिवार के लिए बहुत बड़ी रकम है। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (आंबेडकर अस्पताल) रायपुर में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख ने स्वयं स्वीकारा है कि प्रदेश में 440 डायलिसिस मशीनों की आवश्यकता है। विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री ने भी नवंबर 2016 में मशीनों की कमी को स्वीकारा था। मार्च 2017 में विधानसभा मेंइस पर अशासकीय संकल्प भी पारित हुआ था। लेकिन अभी भी समस्या जस की तस है। ब्लड बैंकरू स्वास्थ्य मंत्री ने मार्च 2017 में विधानसभा में स्वीकार किया है कि छत्तीसगढ़ में खून की मांग के अनुपात में 60% कम खून उपलब्ध है।
उन्होने कहा कि इस स्थिति की गंभीरता इससे समझी जा सकती है कि छत्तीसगढ़ की 10% आबादी सिकल सेल एनीमिया रोग की कॅरिअर है। रमन सरकार एक ही दिन में लाखों लोगों की सिकल सेल जांच करके गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज करवा रही है लेकिन सिकल सेल मरीजों के उपचार के लिए क्या कर रही है? रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ सिकल सेल इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के अधिकांश पद रिक्त पड़े हैं । सिर्फ प्रशासनिक पदों में भर्ती हुई है। यह जानकारी स्वयं स्वास्थ्य मंत्री ने विधानसभा में दी है। आखिर यह कैसा चिकित्सकीय संस्थान है जो बिना डॉक्टरों के संचालित हो रहा है? नवजात बच्चों और महिलाओं की मृत्युरू पिछले कुछ महीनों में प्रदेश में 3184 नवजात बच्चों और 221 माताओं की मृत्यु हुई है। मौतों में नेता प्रतिपक्ष का गृहजिला सरगुजा अव्वल, मुख्यमंत्री का गृह जिला राजनांदगांव तीसरे स्थान पर। शासकीय अस्पतालों में आवश्यक दवाओं का भी टोटा – उलटी दस्त, जुकाम की दवा तक नहीं। मांग होने के बाद भी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेजकारपोरेशन लिमिटेड समय पर दवाओं की आपूर्ति नहीं कर रहा। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन लिमिटेड में किया जा रहा भारी भ्रष्टाचार आज हम सबकी आँखों के सामने है । मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (आंबेडकर अस्पताल) रायपुर में अच्छे डॉक्टर होने के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाएं एकदम लचर। अंबेडकर अस्पताल रायपुर मेंआलम यह है कि एक बिस्तर पर 2 मरीजों को भी रख दिया जाता है। लेकिन फिर भी बिस्तरों की संख्या बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। अधिकतर यह देखा गया है कि मरीज के परिजनों को वहां स्वयं ही व्हील चेयर और स्ट्रेचर खींचना पड़ता है। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं।
अमित जोगी ने कहा कि हकीकत तो यह की मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को अजीत जोगी द्वारा दिसंबर 2003 में एक बहुत ही मजबूत नींव का निर्माण करके दिया गया था। विकास की सभी नीतियां बना कर दी थीं, मुख्यमंत्री को सिर्फ उन्हें सही तरीके से क्रियान्वित करना था। मुख्यमंत्री वह भी करने में असफल रहे हैं जिसका परिणाम यह है कि हमारा प्रदेश विकास में आज पिछड़ गया है। यदि रमन सरकार ने श्री जोगी द्वारा निर्धारित की गयी विकास की नीतियों का सही क्रियान्वन किया होता तो अजीत जोगी द्वारा दी गयी मजबूत नींव पर रमन सरकार द्वारा पिछले 14 वर्षों में भव्य महल का निर्माण कर दिया होता।
नीति आयोग द्वारा किये जा रहे दावों पर कटाक्ष करते हुए अमित जोगी ने कहा कि चुनावी वर्ष में अपनी संभावित हार को देखते हुए रमन सरकार बौखला गयी है और नीति आयोग के सहारे फर्जी अवार्डों की बरसात करके छत्तीसगढ़ की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। जबकि सच्चाई इससे कोसों दूर है। अब जनता भी सरकार की नाकामियों को भली भाँती समझ चुकी है और आगामी चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे को पूर्ण बहुमत देकर अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाने का निश्चय कर लिया है जिससे हमारा छत्तीसगढ़ एक बार पुनः विकास के मार्ग पर अग्रसर हो सके।