MP में उठ रही माँग – 30 अप्रैल तक हो अध्यापकों का संविलयन… 1 मई को जबरदस्त प्रदर्शन की चेतावनी

Chief Editor
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 भोपाल । मध्यप्रदेश में अध्यापक संवर्ग के कर्मचारी मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप संविलयन को अमलीजामा पहनाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। इसे लेकर अध्यापकों को इंतजार भी है और जिज्ञासा भी है। संगठनों की ओर से यह मांग उठाई जा रही है कि अब जल्दी ही संविलयन के मामले में स्थिति स्पष्ट की जानी चाहिए। अध्यापक संघर्ष  समिति ने संविलयन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए सरकार को 30 अप्रैल तक का समय दिया है। इस समय तक संविलयन नहीं होने की स्थिति में 1 मई मजदूर दिवस पर भोपाल में कई कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश के प्रांतीय सदस्य रमेश पाटिल ने एक बयान में कहा है कि    मुख्यमंत्री  की घोषणा “अध्यापको का शिक्षा विभाग मे संविलियन” के क्रियान्वन का समय नजदीक आते जा रहा है। अध्यापक संघों ने श्रेय की गोटिया अभी से बिछाना चालू कर दी हैं। बस! डर इसी बात का है कि शासन के पिट्ठू अध्यापक संवर्ग के लिए प्रसारित ऐसे आदेशों को ना लपक ले , जिससे संपूर्ण अध्यापक संवर्ग का स्थाई नुकसान हो जाए। इसलिए सभी अध्यापक संघों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अध्यापको के समक्ष अभी से ही स्पष्ट कर दें कि अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन उन्हें किस प्रकार से चाहिए और यदि उनकी मंशानुसार संविलियन नहीं हुआ तो आगामी रणनीति क्या होगी?
          अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन के संबंध में अध्यापक संघर्ष समिति मध्यप्रदेश का शुरू से स्पष्ट रुख है। वह 1994 की सेवा शर्तों के अनुसार अध्यापक संवर्ग का शिक्षा विभाग में संविलियन चाहती है। जिसका महत्वपूर्ण बिंदु है शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक, गुरुजी नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता और सेवा अवधि की गणना ताकि पेंशन, GPF, उपादान, बीमा, सुविधाओं का लाभ मिल सके। अध्यापक संघर्ष समिति की महत्वपूर्ण मांग है कि अंतरिम राहत राशि लागू दिनांक 2013 से मय एरियस छठवें वेतनमान का लाभ मिले एवं राज्य शासन के अन्य कर्मचारियों, शिक्षको की तरह 01 जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान मय एरियर दिया जाए। शिक्षा विभाग में संविलियन होने वाले अध्यापक को हर वह लाभ दिया जाए जो नियमित शिक्षक को प्राप्त है। अभी तक के अनुकंपा नियुक्ति के तमाम मामलों को मानवीय आधार पर नियमित शिक्षक संवर्ग के नियमानुसार निराकृत कर उत्पीड़ित परिवारों को लाभान्वित किया जाए एवं अनुकंपा नियुक्ति के पदों का विस्तार किया जाए ताकि अनुकंपा नियुक्ति का लाभ उत्पीड़ित परिवार को त्वरित मिल सके।
           इसके लिए अध्यापक संघर्ष समिति निरंतर प्रयास कर रही है ताकि शासन अपने पिट्ठुओं के बदौलत किसी गफलत में ना रहे कि हमने अध्यापको को साध लिया है। क्योंकि अध्यापक अब किसी भी प्रकार का अन्याय सहने के मूड में नहीं है। अध्यापक लगातार 20 वर्षों से शोषण का जहर अपने मक्कार नेताओं के बदौलत पीते आ रहा है। अब उसकी सहनशक्ति को जान बुझकर विसंगति रखने पर महा असंतोष का रूप लेने से कोई नहीं रोक सकता है।
           इसी संदर्भ में 01अप्रैल को अध्यापक संघर्ष समिति विभिन्न अध्यापक संघो और  कर्मचारी संगठनों के नेतृत्व के साथ बैठक कर अपने मंतव्य को स्पष्ट कर चुकी है। 15 अप्रैल को अध्यापक संघर्ष समिति की भोपाल में पुनः बैठक हैं। जिसमें शासन द्वारा घोषणा के क्रियान्वन की स्थिति से रूबरू हुआ जाएगा और शासन द्वारा 30 अप्रैल तक शिक्षा विभाग में संविलियन, विसंगति रहित, अध्यापकों की मंशानुसार आदेश जारी नहीं किए जाते हैं तो अपने पूर्व से प्रस्तावित आयोजन 01 मई को मजदूर दिवस पर भोपाल में अध्यापक संघर्ष समिति, विभिन्न अध्यापक संगठनों, कर्मचारी संगठनों, विभिन्न विचारधाराओं के राजनीतिक नेतृत्व, शिक्षाविदो और देश के विभिन्न प्रदेशों के पैरा शिक्षकों के समन्वय से शासन के विरुद्ध जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन करेगी। इस हेतु भी 15 अप्रैल की बैठक में अंतिम कार्य योजना बनाई जाएगी। PS/MS अंतर्निकाय संविलियन प्रक्रिया बंधनमुक्त हो इसके लिए भी निरंतर सघन प्रयास जारी रखेगी। HS/HSS अंतर्निकाय प्रक्रिया मे पदांकन की व्यवहारिक परेशानी से शासन को अवगत करा एकमुश्त लोक शिक्षण संचनालय द्वारा पदांकन पर जोर दिया जाएगा।
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