मनरेगा को सामाजिक सरोकारों से और अधिक जोड़ने की जरूरत-अजय चन्द्राकर

Shri Mi
4 Min Read

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्राकर ने कहा कि मनरेगा को अब सामाजिक सरोकारों से और अधिक जोड़ने की जरूरत है। मनरेगा केवल रोजगार देने वाली योजना बनकर नहीं रहनी चाहिए। एक व्यापक सोच के साथ मनरेगा के माध्यम से प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कार्य किए जाने चाहिए।श्री चन्द्राकर राज्य शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में मनरेगा के माध्यम से बेहतर पर्यावरण के लिए हुए नये प्रयासों और प्रयोगों पर केन्द्रित एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।श्री चन्द्राकर ने कार्यशाला में मनरेगा के तहत प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण संरक्षण के लिए धमतरी जिले के कुरूद विकासखंड तथा राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड के गांवों में किए गए कार्यों की तकनीकी जानकारी पर आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया। कार्यशाला में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, सहायक परियोजना अधिकारी, कार्यक्रम अधिकारी, ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए। श्री चन्द्राकर ने कहा कि बदलते दौर में देश-दुनिया के ज्वलंत मुद्दे भी बदल गए हैं।जलवायु परिवर्तन के बाद पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और उनके समुचित दोहन पर आज पूरी दुनिया चिंतित है। मनरेगा को इन्ही ज्वलंत मुद्दों के साथ जोड़कर हमें लोगों की आजीविका और प्रकृति को संवारने की दिशा में काम करना चाहिए। श्री चन्द्राकर ने कहा कि मनरेगा के कार्यों में प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए प्राथमिकता से योजना बनानी पड़ेगी।

             
Join Whatsapp Groupयहाँ क्लिक करे

श्री चन्द्राकर ने कहा कि सामाजिक सरोकारों में शासकीय योजनाओं से अपेक्षित सफलता नही मिलती। इसके लिए जनभागीदारी की जरूरत है।पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि अब विकास की नई परिभाषा गढ़ने की का समय है। विकास की अवधारणा में नई सोच, नई दृष्टि और नई दिशा होनी चाहिए। मनरेगा में जनसुविधाओं के विकास के कार्य करने के अलावा पर्यावरण, प्रकृति और जल संरक्षण के लिए टिकाउ विकास होना चाहिए। यह केवल काम देने की योजना नही होनी चाहिए। इसके मूलस्वरूप में प्राकृतिक संसाधनों को बचाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए जनभागीदारी सबसे जरूरी है। श्री चन्द्राकर ने कहा कि मनरेगा मूलरूप में गांवों के विकास की योजना है। पंचायत प्रतिनिधि एक नई सोच के साथ आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को जोड़कर अच्छे उद्देश्य से बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। जनप्रतिनिधियों को स्व-प्रेरणा से ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण की स्थायी अधोसंरचना विकसित करनी होगी।

राज्य शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आर.पी. मंडल ने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ में खेतों को हरा-भरा बनाने, ग्रामीण क्षेत्रों के जरूरतमंद लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने, सड़कों के विकास और सिंचाई क्षमता विकसित करने किए गए अलग तरह के प्रेरणादायक कार्यों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि आज नदियों, नालों और तालाबों को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। श्री मंडल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बारिश का पर्याप्त पानी है। अच्छी उपजाउ जमीन है। इसके बाद भी दिसंबर माह के बाद भी 80 प्रतिशत से अधिक खेती की जमीन सूखी रहती है। छत्तीसगढ़ में विकास की नई अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए सामुदायिक भागीदारी से जनहित के जज्बे के साथ कार्य करने की जरूरत है। श्री मंडल ने बताया कि तीन माह पूर्व छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण में देश में तीसरे स्थान पर था। राज्य सरकार के प्रयासों से अब छत्तीसगढ़ देश में प्रथम स्थान पर आ गया है।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close