बिलासपुर।भारतीय रेलवे की यात्री गाडियों में स्वच्छता के सम्पादन के लिए टैकों, प्लेटफार्म लाइनों को साफ सुथरा रखने और क्षरण से बचाने के लिए चरणबद्व तरीके से पारम्परीक टायलेट की जगह बायो-टायलेट लगाये जा रहे है।दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर के कोचिंग काॅम्प्लेक्स के द्वारा विभिन्न ट्रेनों में बायों टायलेट लगाने के कारण स्वच्छता में काफी मदद मिली है। बायों टायलेट के लगातार अधिक उपयोग किये जाने के कारण टाॅयलेट में बदबू उत्पन्न होती है, जिस दूर करने लिऐ बिना किसी मशीन एवं विधुतीय उपकरण के उपयोग से ऐसी व्यवस्था का अविष्कार किया गया है, जिसके कारण लगभग बदबू नही ंके बराबर रह गई है। यह इनोवेशन बिलासपुर मंडल के कोचिंग काॅम्प्लेक्स में ईजाद की गई है। जिसे नेचरल इंडयूज्ड वेंटिलेशन प्रणाली नाम दिया गया है।इस प्रणाली में बायो टाॅयलेट के स्थिर हवा को प्राकृतिक वेंटिलेशन फनल की सहायता से 75 एमएम आकार के जी आई पाईप को बाथरूम से जोडते हुए ट्रेन की गति एवं विपरीत दिशा में लगाया गया है, जिससे ट्रेन के बाहर के वातावरण की स्वच्छ वायु प्रवेश करती है तथा यह वायु बाथरूम में चारों ओर घुमती हुई बदबू को अपने साथ लेते हुये बाहर लगे हुये पाईप से विपरीत दिशा से बाहर निकल जाती है।
इस प्रकार इस प्रणाली के फलस्वरूप बदबू अवशोषित होकर बाहर निकल जाती है। इस प्रणाली में किसी भी प्रकार के विधुत उपकरण एग्जास्ट की आवश्यकता नहीं होती। इसका कुल वजन 9 किलो ग्राम का है। एक टायलेट मे यह प्रणाली लगाने में कुल लागत 2972 रूपये के लगभग आती है। इससे ट्रेन का कोच बाथरूम स्वच्छ, सूखा एवं बदबू रहित रहता है।
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