नईदिल्ली।पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) में हुए 12700 करोड़ के घोटाले को लेकर कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी ने सीधे सीधे वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा है।राहुल ने कहा कि अरुण जेटली कथित तौर पर अपनी बेटी को बचाने के लिए इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।ट्टवीट कर राहुल ने कहा, ‘अब यह बात सामने आई है कि हमारे वित्त मंत्री पीएनबी घोटाले पर इसलिए चुप है क्योंकि वह अपनी वकील बेटी को बचाना चाहते हैं। उनकी बेटी को घोटाले के आरोपी ने घोटाला सामने आने के एक महीने पहले ही मोटी फीस दी थी।’राहुल ने कहा, ‘हम आरोपी से जुड़े अन्य कानूनी फर्मों पर सीबीआई की छापेमारी की जा रही थी तब उनके फर्म के साथ कुछ नहीं हुआ?’गौरतलब है कि पीएनबी स्कैम के मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी घोटाले के बाद से देश से फरार हैं और विपक्षी दल इन्हें लेकर लगातार सरकार पर सवाल कर रहा है।दोनों आरोपियों पर एलओयू के जरिये बैंक को 12,700 करोड़ रुपये चूना लगाने का आरोप है। राहुल गांधी इससे पहले घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साध चुके हैं।दरअसल इस बैंक घोटाले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं। बीजेपी ने जहां इस घोटाले के लिए यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) की सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।वहीं कांग्रेस इसके लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल में पसंदीदा कंपनियों को फायदा पहुंचाने की नीति बनाई गई, जिसमें गीतांजलि ज्वैलर्स भी शामिल थी।
It’s now revealed that our FM’s silence on the PNB SCAM was to protect his lawyer daughter, who was paid a large retainer by the accused just a month before the SCAM became public. When other law firms of the accused have been raided by the CBI, why not hers? #ModiRobsIndia https://t.co/As9y9Dv0RZ
— Office of RG (@OfficeOfRG) March 12, 2018
प्रसाद ने कहा, ’15 मई 2014 को पी चिदंबरम ने नई नीति की घोषणा की जिसमें स्टार ट्रेड ऑपरेटर्स को प्रीमियम ट्रेडिंग हाउस से जोड़ दिया गया, जिसमें गीतांजलि ज्वैलर्स भी शामिल थी।’इन ट्रेडिंग हाउसेज को भारत के किसी भी बंदरगाह से 2,000 किलोग्राम तक का सोना आयात करने की मंजूरी मिल गई और इस दौरान न तो कोई नियंत्रण था और नहीं कोई सत्यापन किया गया।
प्रसाद ने कहा, ‘यह एक रैकेट की तरह काम कर रहा था।’उन्होंने कहा कि मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर भी लागू होता है और 80/20 गोल्ड स्कीम नीतिगत बदलाव का मामला था।
प्रसाद ने कहा, ‘कांग्रेस ने कुछ कंपनियों को गोल्ड एक्सपोर्ट का जिम्मा दिया जबकि यह अधिकार केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, सरकारी कंपनियों, एसबीआई और स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन को दिया जाता रहा है।’उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पी चिदंबरम ने अपनी पसंदीदा कंपनियों के लिए दरवाजे खोले। और यही वजह रही कि ‘जिन कंपनियों को 80/20 योजना में शामिल होने की अनुमति नहीं थी उन्हें भी इसमें भाग लेने की मंजूरी मिल गई।’