शिक्षकों के लिए अभी भी पहेली है, शालाकोष….नेटवर्क की वजह से भी संशय की स्थिति

Chief Editor
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बिलासपुर । सरकारी स्कूलों में शिक्षको और छात्र-छात्राओँ की हाजिरी को लेकर शालाकोष सिस्टम लागू कर दिया गया है।इस ऑनलाइन सिस्टम में टेब में  अंगूठे के निशान के जरिए हाजिरी लग रही है। लेकिन यह सिस्टम अभी भी कई शिक्षकों के लिए पहेली की तरह है। कई जगह यह समझ नहीं आ रहा है कि शिक्षकों की हाजिरी लग रही है या नही…। जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई और शिक्षकोँ के सामने सवाल है कि क्या इसका असर उनके वेतन पर तो नहीं पड़ेगा।
जैसा कि मालूम है कि शालाकोष में स्कूल लगने के दिनों में  शिक्षक को अपना बायोमेट्रिक अटेंडेंस देना है। जिसके अनुसार शिक्षाकों की उपस्थिति मान्य की जायेगी। शालाकोष में शिक्षक उपस्थिति देने के लिए सबसे पहले शालाकोष  में लॉगिन करेगा ।  शालाकोष का सॉफ्टवेयर इसी हिसाब से डिजाइन किया गया है। इसके  ओपन करने के बाद होमपेज पर टीचर अटेंडेन्स का विकल्प मिलेगा। इसके बाद स्कूल में पदस्थ सभी शिक्षकों की लिस्ट आएगा। यहाँ जो शिक्षक अपनी उपस्थिति दे रहे है वो उसे सेलेक्ट करेंगे फिर राइट साइड में स्क्रीन पर फिंगर प्रिंट अपनी उंगली रखते ही टेबलेट में फिंगर प्रिंट स्कैनर ऑन हो जायेगा। अब स्कैनर पर फिंगर प्रिंट वेरीफाई होने के बाद उपस्थिति दर्ज हो जायेगा। इसके संबंध में कन्फर्मेशन मैसेज भी टेबलेट पर दिखाई देगा।   इसी तरह एक-एक करके सभी शिक्षक अपना बायो मेट्रिक अटेंडेंस दे सकते है।
CGWALL  ने जब शाला कोष योजना के टोल फ्री नंबर पर बात की तो वहां से जानकारी मिली ऑफलाइन मोड में यह काम नहीं करता है। यह केवल ऑनलाइन मोड में ही काम करता है। और यह डायरेक्ट रायपुर चिप्स के सर्वर से जुड़ा हुआ है। रायपुर कॉल सेंटर में बात करने पर यह भी बताया गया कि पिछले कुछ दिनों पहले सॉफ्टवेयर अपडेट का काम चल रहा था । इसकी वजह से तकनीकी दिक्कतें आई थी और प्रदेश के कई स्कूलो का शालाकोष हैंग हो गया था।काल सेंटर में बताया गया कि सॉफ्टवेयर अपडेट का काम हो गया । फिलहाल कोई तकनीकी दिक्कत नही है। कई शिक्षक इस योजना को अच्छा मानते है। पर दबी जुबान में कहते है कि जब स्कूलो ने नेटवर्क ही ठीक से काम नही करता तो ये किस काम का है।
इधर शाला कोष को लेकर हर जिले में अलग अलग धारणाएं फैली हुई है। CGWALL को मिली जानकारी के अनुसार अभी स्कूलों में शालाकोष के साथ-साथ दैनिक उपस्थिति पंजी का भी उपयोग हो रहा है ।CGWALL  ने जब कई शिक्षकों से बात की तब यह तथ्य सामने आया कि कई शिक्षक ऑफलाइन मोड में भी हाजिरी के रूप में अपने अंगूठे का निशान का प्रयोग कर रहे हैं। वही दूसरे जिले कुछ शिक्षकों से बात की तो कुछ ने बताया कि वह भी ट्रायल मोड में कुछ नहीं बताया कि अभी हम सीख रहे हैं।
CGWALL को मिली जानकारी के अनुसार शालाकोष जिस स्कूल को जिस दिन मिला है, उस दिन से ही वह स्कूल  रायपुर के सर्वर से जुड़ गया है।और शिक्षको की उपस्थिति आन लाइन देना अनिवार्य है।परन्तु अब तक मंत्रालय से इस बारे में कोई भी स्पष्ट आदेश जारी  नहीं हुए है। या स्कुलो तक पहुचे है कि निश्चित तारीख से ये पूर्ण रूप से काम करना प्रारंभ कर देंगे।
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