‘शिक्षा कर्मियों को संविलियन दे दो साहब और कर दो समस्याओं का अंत…’ वीरेन्द्र दुबे बोले -फिर क्यों आएंगे संचालनालय

Chief Editor
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Shikshakarmi,virendra dubeyरायपुर ।पंचायत विभाग के संचालक ने एक आदेश जारी कर शिक्षा कर्मियों के संचालनालय में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। इस संबंध में संचालक नें छत्तीसगढ़ के सभी जिला और जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारियों को पत्रा जारी कर कहा है कि शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों को  अनावश्यक रूप से संचालनालय में उपस्थित न होने के लिए निर्देशित करें। इस आदेश की शिक्षा कर्मी संगठनों में तीव्र प्रतिक्रिया हुई है और उन्होने इसे आग में घी डालने जैसा फरमान बताया है।
 शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे ने पंचायत संचालनालय से आज डायरेक्टर पंचायत द्वारा जारी आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। जिसमे शिक्षक पँचायत संवर्ग को पंचायत विभाग/संचालनालय को व्यक्तिगत कार्य एवं मांगो को लेकर आने के लिए पाबंदी लगाते हुए समस्त जिलापंचायत सीईओ को आदेशित किया है कि वे अपने अधीनस्थ को इस हेतु निर्देशित करे।
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इस पर वीरेन्द्र दुवे ने कहा कि समस्याएं हैं इसलिए समाधान के रास्ते तलाशे जाते हैं। संविलियन देकर आप हमारी समस्याओं का अंत कर दीजिए।हम आपकी चौखट पर अनावश्यक क्यों आएंगे..!! जनपद और जिला पंचायत से अपनी समस्याओं का निदान ना पाने से निराश शिक्षक पँचायत ही संचालनालय की चौखट पर कदम रखता है। आप समस्या ही पैदा मत करिए तो कोई नही आएगा संचालनालय..ना रहेगा बाँस ना बजेगी बाँसुरी। उन्होने कहा कि शऔक नहीं – मजबूरी है,संचालनालय जाना जरूरी है।
वीरेन्द्र दुबे के इस कथन को स्पष्ट करते हुए शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रांतीय प्रवक्ता जितेन्द्र शर्मा ने कहा कि- शिक्षक पंचायत संवर्ग अपने प्रादुर्भाव काल से समस्याओं से पीड़ित है। शिक्षा,पँचायत, नगरीय निकाय, ट्रायवल जैसे कई पाटों में पिस रहे हैं। 1998 से आज तक नियमित वेतन की व्यवस्था नही बन पाई। आबंटन ना होने पर जनपद जिला हाथ झड़ा देते हैं और वे खुद ही कहते है संचालनालय जाकर एलाटमेंट ले आओ। एलाटमेंट होने पर भी कई बार लापरवाहियों के चलते वेतन नही दे पाते। अनुकम्पा, पदोन्नति, स्थानांतरण ,cps ऐसे मुद्दे हैं जो जनपद और जिला में निराकृत नही हो पाते।
पँचायत विभाग शिक्षाकर्मियों के मामलों को ठीक से समझ और हल नही कर पाता । क्योंकि वह विशुद्ध पंचायती राज के मामलों में ज्यादा रुचि रखते हैं। जबकि शिक्षाकर्मियों की समस्याएं शिक्षा विभाग के कर्मचारियों जैसी है। इसलिए जनपद पँचायत और जिला पंचायत के सीईओ भी शिक्षक पँचायत संवर्ग की समस्याओं का निराकरण नही कर पाते और इस बात से डारेक्टर पंचायत भी इत्तेफाक रखते है। वो खुद भी कई बार इस बात को स्वीकार चुके हैं कि जनपद और जिला पंचायत के अधिकारियों और कर्मचारियों को शिक्षक पँचायत संवर्ग के विषय मे जानकारी का अभाव होता है। इसलिये समस्याओं का समाधान जल्द नही हो पाता।
इसलिए इन सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान है कि शिक्षक पँचायत संवर्ग का शिक्षा विभाग में शासकीय करण/ संविलियन कर दिया जावे ताकि राज्य सरकार के कर्मचारियों की भांति हमारी समस्याओं का अंत हो सके।गौरतलब है कि राज्य शासन ने शिक्षक पँचायत संवर्ग की समस्याओं को लेकर कमेटी का निर्माण किया था। जिसका कार्यकाल 5 मार्च को समाप्त हो चुका है। मगर फिर अब तक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट ना शासन को सौंपी है ना ही इस संवर्ग की समस्याओं का अंत किया है। ऐसे में इस तरह का फरमान और आग में घी डालने का  कामकरेगा। सरकार  समस्याओं को हल करने के बजाय उटपटांग आदेश प्रसारित कर रही है, जिससे शिक्षाकर्मियों सहित आमजन भी आक्रोशित हो रहे हैं।
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