रायपुर । शिक्षा कर्मियों के संविलयन के लिए शिक्षाकर्मी संगठन शालेय शिक्षा कर्मी संघ की ओर से 25 फरवरी के रायपुर के वृन्दावन हॉल में खुली बहस – परिचर्चा का आयोजन किया जा रहा है। परिचर्चा का विषय है.. मध्यप्रदेश मेंसंविलयन तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं….? जिसमें शामिल होने के लिए प्रदेश के बुद्धजीवियों ,प्रशासनिक अधिकारियों , पत्रकारों और शिक्षाविदों के साथ ही विभिन्न संगठनों को को आमंत्रित किया गया है। जिसमें कई प्रमुख लोगों ने अपनी सहमति दी है। आयोजन को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं।
यह जानकारी देते हुए शिक्षा कर्मी संगठन शालेय शिक्षा कर्मी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष और शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक वीरेन्द्र दुबे ने बताया कि 25 फरवरी को वृंदावन हॉल रायपुर में एक अनूठा कार्यक्रम एक परिचर्चा-मप्र में संविलियन तो छत्तीसगढ़ में क्यो नहीं..!! आयोजित किया जा रहा है। जो संविलियन पर खुली बहस होगी। इस कार्यक्रम में भागीदारी प्रदान करने के लिए प्रदेश के शिक्षाविदों, मीडिया जगत के जाने माने पत्रकारों, सेवानिवृत हो चुके IAS एवम् सचिव स्तर के अधिकारियों एवं प्रदेश के समस्त शिक्षाकर्मियों सहित विभिन्न संगठन प्रमुखों को न्योता दिया जाएगा। इस गरिमामय समारोह के लिए शासन-प्रशासन को भी आमंत्रण दिया जावेगा । ताकि वे भी संविलियन पर अपना पक्ष रख सकें। उन्होने कहा कि यह आमंत्रण प्रदेश के समस्त शिक्षाकर्मी साथियो – युवाओं को अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए है। यह आमंत्रण शिक्षाकर्मी को शिक्षक की गरिमा दिलाने के लिए है।साथ ही यह आमंत्रण अपनी बात रखकर स्वर्णिम भविष्य तलाशने को लेकर है।
वीरेन्द्र दुबे ने बताया कि संविलियन पर खुली बहस:परिचर्चा में अब तक हमारा आमंत्रण कई प्रमुख लोगों ने स्वीकार कर लिया है। जिनमें हिमांशु द्विवेदी (प्रधान संपादक, हरिभूमि पत्र समूह), गणेश शंकर मिश्रा (IAS अधिकारी सेवानिवृत्त), डी.रविशंकर (IPS अधिकारी),चन्द्रभूषण शर्मा ( अध्यक्ष- शिक्षाआयोग छग शासन), दानी राम वर्मा ( शिक्षाविद, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष शिक्षक संघ), नाथूराम मानिकपुरी ( अधिवक्ता,पत्रकार ) शामिल हैं। अन्य मूर्धन्य अतिथियों की स्वीकृति मिलने का क्रम जारी है।उन्होने कहा कि यह शिक्षा कर्मियों को शिक्षक का अधिकार दिलाने के की दिशा में शालेय शिक्षा कर्मी संघ का एक प्रयास है। जिसमें सभी शिक्षा कर्मियों से भी शामिल होने का अनुरोध किया गया है।जिससे युवाओँ के सुरक्षित भविष्य को लेकर सार्थक चिंतन हो सके।