बिलासपुर– आधा दर्जन से अधिक जिलों का पदयात्रा के बाद हजारों किसान मंगलवार को बिलासपुर पहुंचे। किसानों ने छत्तीसगढ मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात कर भाजपा सरकार के घोषणा पत्र को थमाया। किसानों ने भाजपा सरकार पर दबाव डालकर 2013 में किए घोषणा पत्र को लागू करने को कहा। किसानों की बात गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश ने रजिस्टार जनरल को तलब किया। मामले में एक सप्ताह के अन्दर परामर्श देने को कहा।
मालूम हो कि 27 जनवरी को रैली निकालने से पहले महासमुद जिला मुख्यालय में पाच किसान आमरण अनशन पर बैठे। आमरण अनशन पर किसानों ने कहा कि सरकार 2013 में किए गए घोषणाओं को अमल में लाया जाए। आमरण अनशन के 9 दिन भी मांग पूरी नहीं होते देख पांचों किसानोंं ने 27 जनवरी को बिलासपुर हाईकोर्ट की तरफ कूच किया। आधा दर्जन से अधिक जिलों के किसान धीरे धीरे पदयात्रा में शामिल होते गए। देखते ही देखते पांंच किसानों की पदयात्रा ने कारवां का रूप ले लिया।
प्रदेश किसान संगठन के बैनर तले हजारों की संख्या में किसान हाईकोर्ट पहुंचे। विशाल रैली में युवा और उम्र दराज किसान भी शामिल हुए। हाईकोर्ट पहुंचने के बाद किसानों ने मुख्यन्यायाधीश के सामने भाजपा सरकार घोषणा पत्र 2013 को रखा। घोषणा पत्र में समस्त बिन्दुओ को लागू करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने को कहा। किसानों ने बताया कि भाजपा नेताओं ने कहा था कि सरकार बनते ही स्वामिनाथन रिपोर्ट को लागू कर दिया जाएगा। प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान की खरीदी होगी। बीमा कंपनियों को 400 की जगह 800 रूपए बीमा प्रीमियम दिया जाएगा। लेकिन आज तक बीमा का फायदा किसी किसान को नहीं मिला है।
राधेश्याम शर्मा ने बताया कि 2100 रूपए धान का समर्थन मूल्य नहीं दिया गया। बोनस का भी भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। किसानों ने बार बार दुहराया कि भाजपा सरकार पर घोषणा पत्र में शामिल सभी वादों को पूरा करने के लिए कहा जाए। किसानों की फरियाद सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने रजिस्टार जनरल को तलब किया और एक सप्ताह के भीतर राय देने को कहा है।