प्रधानमंत्री ने की रेल नेटवर्क विस्तार के छत्तीसगढ़ मॉडल की तारीफ

Shri Mi
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रायपुर।मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेल नेटवर्क के विस्तार के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल की तारीफ की है और कहा है कि अगर इस मॉडल को अपनाया जाए तो पूरे देश में रेल नेटवर्क का तेजी से विकास और विस्तार होगा। डॉ. रमन सिंह ने गुरुवार को विधानसभा में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के रेल मंत्रालय के साथ मिलकर – छत्तीसगढ़ रेल्वे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के नाम से संयुक्त उपक्रम कंपनी (जेव्हीसी) का गठन किया है। इसके जरिए केन्द्र और राज्य दोनों मिलकर छत्तीसगढ़ में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए काम कर रहे हैं।उन्होंने राज्य सरकार के आगामी वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट पर सदन में हुई सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए प्रदेश में रेल मार्गों के निर्माण में पूंजी निवेश के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तैयार मॉडल का विस्तार से ब्यौरा दिया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के वनवासी क्षेत्रों में रेल सुविधाओं का विकास और विस्तार हमारी प्राथमिकता में हैं। दल्लीराजहरा-जगदलपुर रेल परियोजना के तहत दल्लीराजहरा से गुदुम और भानुप्रतापुर तक रेल लाइन बिछाईं जा चुकी हैं और गुदुम तक यात्री टेªन भी चलने लगी है। उन्होंने सदन के नेताप्रतिपक्ष श्री टी.एस. सिंहदेव सहित सभी सदस्यों से कहा कि निकट भविष्य में हम और आप इस ट्रेन से भानुप्रतापुर तक और जगदलपुर तक जा सकेंगे। डॉ. सिंह ने कहा – विगत लगभग 150 वर्ष में राज्य में केवल 1100 किलोमीटर के आस-पास रेल लाइनें बिछाई गई, जबकि इतना ही काम हम लोग अगले कुछ वर्षों में करने जा रहे हैं।

सीएम ने सदन में बताया कि छत्तीसगढ़ में इस समय 21 हजार 300 करोड़ रूपए की रेल परियोजनाओं पर विभिन्न चरणों में काम चल रहा है। इसमें राज्य सरकार का अंशदान केवल 620 करोड़ रूपए होगा। इन परियोजनाओं के तहत लगभग 1100 किलोमीटर रेल मार्ग बिछाये जाएंगे।उन्होंने कहा – वर्तमान में 565 किलोमीटर के पांच नये रेल मार्गों का निर्माण प्रगति पर है, जिनकी लागत ग्यारह हजार करोड़ रूपए से ज्यादा है। इसमें पूंजी निवेश के लिए राज्य सरकार का अंशदान 220 करोड़ रूपए है। इन पांच रेल मार्गों में पूर्वी रेल कॉरिडोर (दो चरणों में), पूर्व-पश्चिम रेल कॉरिडोर, दल्लीराजहरा-रावघाट और रावघाट-जगदलपुर रेल परियोजना शामिल हैं। प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के रेल मंत्रालय के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम कंपनी – छत्तीसगढ़ रेल्वे कॉर्पोरेशन लिमिटेड का गठन किया है।

इस कंपनी में अब तक चार नये रेल मार्गों को चिन्हांकित किया है, जिनमें राज्य सरकार की भागीदारी 51 प्रतिशत और भारत सरकार की भागीदारी 49 प्रतिशत है। इस संयुक्त उपक्रम कंपनी द्वारा प्रथम चरण में लगभग 785 किलोमीटर की चार प्रस्तावित रेल परियोजनाओं का अध्ययन शुरू कर दिया है। इनमें से 550 किलोमीटर की दो परियोजनाओं को सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। इनमें डोंगरगढ़-खैरागढ़-कवर्धा-मुंगेली-कोटा-कटघोरा 280 किलोमीटर और खरसिया-बलौदाबाजार-नया रायपुर-दुर्ग 270 किलोमीटर के रेल मार्ग शामिल हैं। इनके निर्माण में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश होगा और इसमें राज्य सरकार का अंशदान केवल 400 करोड़ रूपए का होगा। उन्होंने कहा – इस प्रकार 21 हजार तीन सौ करोड़ रूपए से ज्यादा की रेल परियोजनाओं में राज्य का अंश केवल 620 करोड़ रूपए होगा लेकिन इससे हमारे यहां लगभग 1100 किलोमीटर की नयी रेल लाइनें बिछेंगी, जिनका फायदा जनता को मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बिजली उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ अंतिम छोर तक बिजली पहुंचाने के लिए अधोसंरचना विकास को भी अपनी प्राथमिकता में रखा है। गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति के लिए नये बिजली संयंत्र स्थापित किए गए हैं और नये विद्युत केन्द्रों, ट्रांसमिशन और वितरण लाइनों का जाल बिछाया गया है। प्रदेश सरकार की बिजली कंपनियों ने विद्युत अधोसंरचनाओं के निर्माण और विस्तार पर 24 हजार 857 करोड़ रूपए का निवेश किया है।     मुख्यमंत्री ने सदन को केन्द्र सरकार की जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) की राशि से हो रहे विकास कार्यों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इस मद में राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों और पिछड़े इलाकों के विकास के लिए हमें हर साल 1200 करोड़ रूपए मिलेंगे। अब तक 2500 करोड़ रूपए मिल चुके हैं। हमने डीएमएफ की राशि से इन क्षेत्रों के विकास के लिए लगभग 3200 करोड़ रूपए की परियोजनाएं तैयार की हैं।

इनमें से 2700 करोड़ के कार्य मंजूर भी हो चुके हैं। डॉ. सिंह ने कहा – डीएमएफ की राशि का उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों में जन सुविधाओं के विकास के लिए हो रहा है। कोरबा जिले में शिक्षा परिसर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा आदि जिलों में अस्पताल, सड़क, बिजली, खेती आदि के कामों के लिए भी इस राशि का उपयोग किया जा रहा है। डीएमएफ के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ पूरे देश में पहले नम्बर पर है। राज्य खनिज विकास निधि से 1400 करोड़ रूपए सड़क, रेल और विमान सुविधाओं के लिए दिए जा रहे हैं।राज्य शासन द्वारा क्षतिपूर्ति वनीकरण, कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) का गठन 2009 में किया गया था। इस मद में एक हजार 293 करोड़ रूपए प्राप्त हुए, जिसका उपयोग क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण, नदीतट वृक्षारोपण, ऑक्सीवन की स्थापना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस कनेक्शन वितरण, जंगल सफारी के विकास आदि कार्यों में किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने विगत 14 वर्ष में लघु वनोपज संघ के माध्यम से तेन्दूपत्ता संग्राहकों को एक हजार 903 करोड़ रूपए का पारिश्रमिक और एक हजार 478 करोड़ रूपए का बोनस दिया है। कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी अर्थात सीएसआर के मद से राज्य में 1500 करोड़ रूपए के विकास कार्य हुए हैं, जिनमें बस्तर में मेडिकल कॉलेज, नया रायपुर में ट्रिपल आईटी, दंतेवाड़ा में एजुकेशन सिटी की स्थापना जैसे बड़े काम भी शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बस्तर, सरगुजा, कोरबा आदि क्षेत्रों में सीएसआर की राशि से शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल सुविधाओं का भी विस्तार हो रहा है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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