बालीवुड अभिनेता ने कहा…समाज से कट गया सिनेमा…किबलिस ने बताया…शूटिंग करने आया हूं बिलासपुर

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—नक्सल मूवमेंट में बेटे को खोने के बाद जेल प्रहरी पर क्या गुजरती होगी..जब बेटे का हत्यारा उसके ही जेल में सजा काट रहा हो। हत्यारे की देखरेख की जिम्मेदारी भी उसी की हो।  पिता रोज अपने बेटे के हत्यारे को सामने देखता है…निगरानी करता है..खाने पीने का ख्याल भी रखता है। लेकिन फर्ज के हाथों मजबूर पिता अपने आपको मजबूर पाता है। जब निर्णय लेता है तो…क्या होता है…इसका खुलासा फिल्म के बाद ही होगा..कि पिता आखिर ह्त्यारे नक्सली के खिलाफ क्या कदम उठाता है। क्या पिता अपने बेटे के हत्यारे को मार डालता है…या फिर छोड़ देता है…फिल्म निर्माता रवि शुक्ला ने फिल्म का नाम तो नहीं बताया। लेकिन शूटिंग करने मुम्बई से बिलासपुर पहुंचे बालीवुड अभिनेता ललित परिमल परिमू ने जरूर कहा कि फिल्म की विषय वस्तु गंभीर है..निश्चित रूप से इसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होगी।
               निर्माता रवि शुक्ला की फिल्म का अहम किरदार शूटिंग करने 15 दिन के लिए बिलासपुर पहुंचा। फिल्म में जेल प्रहरी की भूमिका निभाने वाले वालीवुड अभिनेता ललित परिमू ने निर्माणाधीन फिल्म से लेकर अपने बायोग्राफी पर प्रकाश डाला। ललित परिमू ने बताया कि फ़िल्म में जेल प्रहरी का  किरदार निभाउंगा। फिल्म जेल प्रहरी के ईर्द गिर्द घूमती है। फ़िल्म की पूरी शूटिंग बिलासपुर और आस-पास के क्षेत्रों में होगी। निर्माता रवि शुक्ला ने बेहद ही गम्भीर विषय पर फिल्म बनाने का फैसला किया है। निश्चित रूप से फिल्म की विषय वस्तु अन्दर तक हिला देने वाली है। फ़िल्म छत्तीसगढ़ के और खासकर बिलासपुर के लिहाज से बहुत ही खास है।
                बॉलीवुड अभिनेता लिलत परिमू ने बातचीत के दौरान अपने फिल्मी सफर का भी जिक्र किया। परिमू ने बताया कि 1983 में दिल्ली रंगमंच से जुड़ने का मौका मिला। 1988 से पहले तक चालिस से अधिक नाटकों में काम किया। दूरदर्शन के कई धारावाहिकों में भी काम करने का मौका मिला।  मैला आँचल,हिमालय दर्शन, अपना-अपना आसमान जैसे धारावाहिकों ने सिल्वर स्क्रीन का रास्ता दिखाया।
                               1992 में मुम्बई की तरफ रुख किया। अब तक 75 से अधिक धारावाहिकों में काम  कर चुका हूं।  शक्तिमान,कोरा कागज़,कंगन,इंसानी रिश्तों का सफ़र,इंतज़ार और सही,नूरजहाँ,फासले,झूमे जिया रे,भास्कर भारती, सुनयना, हम फिर मिलेंगे,गृहदाह और स्पर्श जैसे उम्दा सीरियल में प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला।
                          जड़ से कश्मीरी ललित परिमू ने बताया कि हैदर,मुबारकां,संशोधन,एजेंट विनोद,पंचलेट जैसे चर्चित फिल्मों से सार्थक सिनेमा के केन्द्र तक पहुंचा।  परिमू ने कहा कि छत्तीसगढ़ की लुभावनी संस्कृति और लोगों की सहजता कायल हूं । यहां काम करने में बहुत मजा आ रहा है। जब भी मौका मिलेगा छत्तीसगढ़ में काम जरूर करूंगा।
                            बातचीत के दौरान ललित ने कहा कि किसी भी अभिनेता के लिए खुद की सन्तुष्टि बहुत मायने रखती है। इस लिहाज से वह अपने फिल्मी कैरियर से पूरी तरह से संतुष्ट हैं । ललित ने बताया कि अब ऐसी फिल्में बनना बंद हो गयी हैं जो  हमारे दिल और  दिमाग को झकझोर दे।  पूंजीवादी व्यवस्था ने फिल्मी दुनिया को भी बहुत हद तक प्रभावित किया है। फ़टाफ़ट  संस्कृति ने अभिनय की धार को कुंद किया है।बुनियादी विषयों से भी भारतीय सिनेमा पूरी तरह से भटक चुका है।
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