बिलासपुर— आईजी साहब मुशी जी कहते हैं..जानकारी कल दूंगा..फोन पर मैं जानकारी देता ही नहीं…फिर आपने फेसबुक और ट्विटर अकाउन्ट किसके लिए है। जब पत्रकारों को ही मुशी जानकारी नहीं देना चाहता है तो अन्य लोगों के साथ क्या होता होगा अनुमान लगाया जा सकता है। जबकि आपके प्रयास और पुलिस प्रशासन की सक्रियता से एप्स भी बनाया गया है। फिर फोन पर मुंशी महोदय जानकारी देने से क्यों बच रहे हैं। चूंकि पाली थाने में 420 का एक गंभीर मामला दर्ज है..कही उस खबर को ही मुंशी महोदय गंभीरता से दबाने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं।आईजी साहब पाली थाना में एक मामले को लेकर सीजी वाल संवाददाता ने दिनभर काल किया। ना तो मुंशी ने फोन लिया और ना थानेदार का फोन लगा। आखिर तक थानेदार महोदय का फोन नहीं लगा। शाम को जरूर थाने का फोन लगा और किसी आरक्षक ने उठाया…आरक्षक ने कहा कि छुट्टी के बाद आया हूं..इसलिए खबर की जानकारी नहीं है…इसके बारे मुंशी बदलवेव सिंह बता सकते हैं। इसी बीच आरक्षक ने बताया कि मुंशी जी का आदेश है कि रात्रि को किसी को जानकारी नहीं देते हैं। इसलिए थाने से सुबह ही जानकारी मिलेगी। आरक्षक ने बताया कि मुंशी जी अपने कमरे में है। आप चाहें तो बात कर सकते हैं।
संवाददाता ने एक बार फिर मुंशी महोदय को फोन किया। उन्होने दो टूक कहा कि आप चाहे कोई भी हों लेकिन जानकारी सुबह ही मिलेगी। पत्रकार बताए जाने पर मुंशी बलदेव सिंह राजपूत ने कहा कि जानकारी फोन पर नहीं देते हैं। यह बताए जाने पर कि जब एप्स पर जानकारी डाली जा सकती है तो फोन पर जानकारी देने में क्या हर्ज है। जबकि आईजी महोदय ने आनलाइन शिकायत और जानकारी के लिए पेसबुक और ट्विटर अकाउन्ट खोल रखा है।आईजी का जिक्र आते ही मुंशी बलदेव सिंह राजपूत ने कहा कि…थोड़ा समझा करो साहब…कल आपको फोन पर ही सारी जानकारी दे दुंगा। इस समय जानकारी देना संभव नहीं है। बातचीत के दौरान मुंशी बलदेव सिंह राजपूत काफी गंभीर महसूस किए गए। और आईजी का जिक्र होते ही समझा करों..समझा करो कहते रहे।
बहरहाल बस इतना समझ में आया कि पाली जैसे थानो के लिए ना तो आनलाइन का महत्व है। और ना ही आईजी महोदय के अभियान का । ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि थाने में अपने केबिन में बैठे मुंशी बदलेव सिह समझा करो..बार बार क्यों कह रहे थे। रही बात थानेदार की तो उनका निजी फोन दिन भर बंद ही रहा। बातचीत का सवाल ही नहीं उठता है।