गलतियों की पुनरावृत्ती ठीक नहीं…राम कथा के दूसरे दिन विजय कौशल ने कहा…भगवान ने नहीं इंसानों ने बांटा

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– राम कथा के दूसरे दिन संत विजय कौशल महाराज ने भगवान राम और लक्ष्मण के साथ ऋषि विश्वामित्र के प्रसंग को भक्तों के सामने रखा। इस दौरान भक्तों ने कथा सागर में जमकर डुबकी लगाई। संत शिरोमणि ने आम जन जीवन से जुड़ी तमाम विसंगतियों को बखूबी के साथ पेश किया। संदेश भी दिया भगवान अनंतकोटि ब्रमाण्ड नायक के यहां किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है। भेदभाव की रेखा तो हमने खींची है। वह तो हमें इंसान बनाया है। लेकिन हमने ही अपने चारो तरफ तमाम आंडबर की दीवार को खींच लिया है। भगवान तो बहुत सरल है…खासतौर पर बुद्धिमानों ने ही उन्हें जटिल बना दिया है। जिसने जैसा पाया भगवान को पेश कर दिया। सच्चाई तो यह है कि भगवान को जिसने जैसा चाहा वह उसी रूप में हमारे पास आ गए हैं।

             
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                              रामकथा के दूसरे दिन भगवान राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के साथ जनकपुरी को प्रस्थान किया है। संत शिरोमणि ने कहा कि भगवान तो हमें सीधा सादा इंसान बनाया लेकिन हमने  खुद को इतना जटिल बना लिया है कि सरल बातें भी कठिन लगने लगी हैं। भगवान तो भक्त वत्सल हैं। पिता बेशक बाहर से कड़ा हो सकता है लेकिन दिल से बहुत ही मुलायम होता है। लेकिन भगवान तो बाहर से भी बहुत सरल है। जिसने उन्हें जिस भी रूप में याद किया उसी रूप में पहुंच गये। द्रोपदी चीरहरण के समय भगवान सखा के रूप में आकर पांचाली की लाज बतायी।

                       बुद्धिमानों की जटिल व्याख्यान पर संत शिरोमणि ने कहा कि अहिल्या प्रसंग को लेकर क्या क्या नहीं लिखा गया है। लेकिन जो भी लिखा गया है उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। अहिल्या विदुषी थीं..गौतम मुनी की पत्नी भी थी। उन्होने गलती की..भगवान ने उसका फल भी दिया। जब उन्होने अपनी गलती को स्वीकार किया तो भगवान ने उन्हें तार भी दिया है।

                      अहिल्या प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए विजय कौशल महाराज ने कहा कि गलती मानव ही करता है। पशु तो गलती करता ही नहीं। लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखा जाए कि गलतियों की पुनराबृत्ति कभी ना हो। गलती करना मानव स्वभाव है। लेकिन गलतियों की पुनरावृत्ति धृष्टता की निशानी है। भगवान भी कहते हैं कि रोज नई गलती करो..लेकिन आज की गलती को कल ना दुहराओ।

             महाराज ने कहा दिल में अच्छाइयां और बुराइयां दोनो का साथ ही निवास है। आपकी इच्छा है कि किस रास्ते पर चलना चाहते हैं। भगवान ने कभी भेेदभाव नहीं किया है। बुरे रास्ते पर चलने वाले लोग बुराई के रास्ते पर चलकर अच्छाई का ताला बंद कर देते हैं। इसके उलट अच्छाई के रास्ते पर चलने वाले बुराई की तरफ मुंह भी नहीं करते हैं। बावजूद इसके दोनों रास्ते पर चलने वाले लोग भगवान को प्रिय है। लेकिन जो जैसा कर्म करता है उसे फल भी वैसा मिलता है।

                        गुरू के महत्ता पर प्रकाश डालते हुए विजय कौशल ने कहा कि गुरू  बड़ा होता है। जब गलतियों का अहसास हो जाए..लोकलाज और बदनामी के भय से कुछ कह नहीं पा रहा हो..उसे गुरू के शरण में जरूर जाना चाहिए। चरणों में माथा रखकर सच बताए कि अंजाने में गलती हो गयी है। अब नहीं होगी। यकीन मानिए गुरू अपने शरणागत पर भगवान से निवेदन कर बचा लेगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाए कि गलतियों की पुनाबृत्ति कभी ना हो। क्योंकि पुनारावृत्ति का सीधा अर्थ यही होता कि गलतियां जानबूझकर हुई हैं। इसलिए इंसान हमेशा नई गलती करे लेकिन पुरानी गलतियों से तौबा करे।

            संत शिरोमणि ने बताया कि नम्रता दिलों को छूती है। भगवान ने सगुण रूप लेकर कई लीलाओं का पाठ किया। इनमें विनम्रता भी एक है अध्याय है। उनकी विनम्रता को देखकर राजा विेदेह भी मोहित हो गए। महाराज ने बताया कि विनम्रता मनुष्य के जीवन का श्रंगार होता है।

                        रामकथा में हजारो श्रद्धालुओं के अलावा महापौर समेत शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में भक्तों ने गुरू की आरती उतार कर आशीर्वाद लिया। प्रसाद का भी वितरण किया गया।

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