पं. श्यामलाल चतुर्वेदी को पद्मश्रीः बिलासपुर की माटी को मिला सम्मान,सीएम रमन सिंह ने दी बधाई

Shri Mi
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s l chaturvediरायपुर । भारत सरकार की ओर से बिलासपुर के पत्रकार-साहित्यकार पंडित श्यामलाल चतुर्नेदी को साहित्यिक शिक्षा और पत्रकारिता के लिए पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया गया है। इस साल पदमश्री के लिए चयनित देश के प्रमुख लोगों में छत्तीसगढ़ के जांजगीर – चाँपा जिले के समाजसेवी गणेश बापट का भी नाम है। इस तरह इस बार बिलासपुर संभाग के दो मनीषी पद्मश्री से सम्मानित हुए हैं।उनके सम्मान से बिलासपुर की माटी सम्मानित हुई है।

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मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के दो वरिष्ठ नागरिकों को आज भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अलंकरण के लिए चयनित किए जाने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उल्लेखनीय है कि राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के श्री दामोदर गणेश बापट को समाज सेवा के क्षेत्र में और बिलासपुर निवासी पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी को साहित्यक, शिक्षा और पत्रकारिता के लिए पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। अलंकरण समारोह इस वर्ष मार्च अथवा अप्रैल के महीने में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया जाएगा, जहां राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद उन्हें पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित करेंगे। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आज गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में यह घोषणा की। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राष्ट्रीय अलंकरण के लिए चयनित राज्य के वरिष्ठ समाज सेवी श्री दामोदर गणेश बापट और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार तथा पत्रकार पंडित श्याम लाल चतुर्वेदी को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि श्री बापट और श्री चतुर्वेदी का चयन देश के इस अत्यंत प्रतिष्ठित नागरिक अलंकरण के लिए किए जाने पर छत्तीसगढ़ प्रदेश का गौरव और सम्मान बढ़ा है। श्री दामोदर गणेश बापट ने छत्तीसगढ़ के चांपा से आठ किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ पीडि़तों की सेवा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया है। इस कुष्ठ आश्रम की स्थापना सन 1962 में कुष्ठ पीडित श्री सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे द्वारा की गई थी, जहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता श्री बापट सन 1972 में पहुंचे और कात्रे जी के साथ मिलकर उन्होंने कुष्ठ पीडि़तों के इलाज और उनके सामाजिक-आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा के अनेक प्रकल्पों की शुरूआत की। इसी तरह बिलासपुर निवासी पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी ने विगत लगभग पचहत्तर वर्षों से जारी अपनी साहित्य साधना के जरिए हिन्दी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध बनाने का सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी मूल्यवान सेवाएं दी हैं। श्री चतुर्वेदी छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के प्रथम अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे मूलरूप से तत्कालीन अविभाजित बिलासपुर जिले के ग्राम कोटमी सोनार (वर्तमान में जिला जांजगीर-चांपा) के निवासी है, लेकिन साहित्यकार और पत्रकार के रूप में बिलासपुर उनकी कर्मभूमि है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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