जिला सहकारी बैंक में 50 नटवरलाल…फर्जी दस्तावेज से कर रहे नौकरी…आदेश के बाद भी नहीं हुए बर्खास्त

BHASKAR MISHRA
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SAHKARITA_GRADE_VISUAL 003बिलासपुर—  जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी करने वाले पचास लोगों के खिलाफ अभी कार्रवाई का इंतजार है। साल भर पहले राज्य शासन के आदेश पर संयुक्त संचालक ने जांच में पचास लोगों को नौकरी से निकालने की सिफारिश की थी। बावजूद इसके फर्जीवाड़ा करने वालों  के खिलाफ बैंक प्रबंधन ने कार्रवाई नहीं की है। मामला अभी भी लंबित है।

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                दो साल पहले दिवालिया होने की कगार पर खड़े जिला सहकारी बैंक में कचरों को साफ करने राज्य शासन ने बीड़ा उठाया। बैंक को दिवालिया बनाने के जिम्मेदार और फर्जी नियुक्ति मामले में जांच टीम का गठन किया गया। संयुक्त संचालक के.एल.ठारगावे को जांच टीम प्रमुख बनाया गया। जांच पड़ताल के बाद ठारगावे ने राज्यशासन के सामने करीब 6 महीने बाद रिपोर्ट पेश किया। रिपोर्ट में 50 कर्मचारियों को विधि विरूद्ध नौकरी करने की जानकारी दी। रिपोर्ट में संयुक्त संचालक ने बताया कि सभी लोगों की नियुक्ति नियमों को ताक पर हुई है। कई लोगों की शैक्षणिक प्रमाण पत्र भी फर्जी हैं। इसके अलावा सपोर्टिंग दस्तावेज गलत तरीके से बनवाया गया है।

                                 रिपोर्ट के बाद राज्य शासन ने बैंक प्रबंधन को फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी करने वालों को बर्खास्त करने का आदेश दिया। बावजूद इसके किसी के खिलाफ अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है।

                    बैंक प्रबंधन के अनुसार शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के लिए संबधित स्कूल और विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा गया। कई जगह से जवाब मिल चुका है। कुछ संस्थानों से अभी भी उत्तर का इंतजार है।

कलिंगा विश्वविद्यालय से रिपोर्ट का इंतजार

                रिपोर्ट के अनुसार विकास गुरूदीवान ने नौकरी के समय अपने आवेदन में कलिंगा विश्वविद्यालय का ग्रेजुएशन मार्कशीट लगाया है। कलिंगा विश्वविद्यालय कुल सचिव को पत्र भेजा गया। लेकिन जवाब नहीं आया है। अन्य 49 लोगों का जवाब मिल गया..लेकिन  अन्य सपोर्टिंग दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं। ठारगावे के रिपोर्ट में विकास गुरूदीवान की मार्कशीट को फर्जी बताया गया है। फर्जी मार्कशीट से नौकरी हथियाने की बात कही गयी है।

फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट

                                 जानकारी के अनुसार विकास गुरूदीवान ने नौकरी पाने के लिए फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट लगाया है। सर्टिफिकेट में विकास गुरूदीवान कान से 10 प्रतिशत कमजोर बताया गया है। लेकिन जांच पड़ताल में ऐसा कुछ नहीं पाया गया है। गुरूदीवान ने फर्जीवाड़ा कर सर्टिफिकेट बनवाया है।

आदेश के बाद भी नहीं हुआ एफआईआर

                        फर्जीवाड़ा खुलासा के बाद राज्य शासन ने बैंक प्रबंधन को गुरूदीवान समेत अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया था। बावजूद इसके साल भर बाद भी किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाया गया। बैंक प्रबंधन के अनुसार विकास गुरूदीवान, अमित शुक्ला,संदीप जायसवाल,परेश गौतम समेत अन्य 44 लोगों को नोटिस जारी कर पूछताछ की कार्रवाई होगी। जबकि इसकी जरूरत नहीं है।

पूर्व चेयरमैन का रिश्तेदार भी शामिल..

                   सूत्रों के अनुसार बैंक प्रबंधन ने सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। पूर्व चैयरमैन देवेन्द्र पाण्डेय के रसूख के कारण किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। बताया जा रहा है कार्रवाई नहीं होने का कारण अमित शुक्ला हैं। अमित शुक्ला पूर्व चेयरमैन देवेन्द्र पाण्डेय के साले हैं। अमित शुक्ला आज भी फर्जीदस्तावेजों और विधि विरूद्ध भर्ती का फायदा उठाकर नौकरी कर रहे हैं।

नियम विरूद्ध भर्ती

           जिला सहकारी बैंक में भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था। शर्त के अनुसार छूट के साथ आवेदक अधिकतम 35 साल का हो सकता है। बावजूद इसके विकास गुरूदीवान की भर्ती 37 साल की उम्र में हुई। अन्य आवेदकों की भर्ती करते समय नियमों से जमकर खिलवाड़ हुआ। जिसके चलते योग्य उम्मीदवारों का चयन नहीं हो सका।

बैंक कार्रवाई का इंतजार…फिर हम करेंगे कार्रवाई

                                  जांच टीम प्रमुख संयुक्त संचालक सहकारी संस्थाएं बिलासपुर संभाग के.एल.ठारगावे ने कहा हमने रिपोर्ट शासन को सौंप दिया था। शासन ने फर्जीवाड़ा करने वालों को बर्खास्त करने आदेश भी दिया था। बावजूद इसके किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। कार्रवाई करना बैंकप्रबंधन का काम  है।  मामले पर हमारी भी नज़र है। बैंक प्रबंधन के कार्रवाई का इंतजार है। जरूरत पड़ने पर मामले को संज्ञान में लिया जाएगा। फर्जीवाड़ा करने वालों के खिळाफ ना केवल सख्त कदम उठाया जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर शासन के निर्देशों का पालन भी किया जाएगा।

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